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प्रदेश में घट रही संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या, हर साल एडमिशन्स में आ रही गिरावट

राजधानी के फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज में छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. संस्कृत पढ़ने वालों का कहना है कि शास्त्री में सरकारी नौकरी के स्कोप कम हैं.

फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज
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Published : Jul 16, 2019, 11:50 PM IST

शिमला: शिक्षा का हब कहे जाने वाले हिमाचल में जहां सरकार संस्कृत को दूसरी राष्ट्र भाषा का दर्जा दे रही है. वहीं, अब संस्कृत पढ़ने के लिए छात्रों की संख्या हर साल घटती जा रही है. राजधानी के फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज में छात्रों के एडमिशन से ये खुलासा हुआ.

फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज
फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज

संस्कृत कॉलेज में प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या घटती जा रही है जिस कॉलेज में कभी 700 के लगभग नए छात्र एडमिशन लेते थे. अब वहीं 2019 में 108 नए छात्रों ने दाखिला लिया है जबकि 2018 में ये संख्या 120 थी.

संस्कृत में छात्र मान रहे अंधकार में भविष्य
हिमाचल में भाजपा सरकार ने दिसंबर 2017 में जब शपथ ली थी तब शिक्षा मंत्री के रूप में सुरेश भारद्वाज ने संस्कृत में शपथ ली थी. उस समय संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों में नई ऊर्जा आयी थी कि शायद अब संस्कृत पढ़ने वालों के लिए नई संम्भावना के रास्ते खुलेंगे, लेकिन विद्यार्थियों को निराश तब हुई जब सरकार ने शास्त्री को सीएंडवी यानी भाषा अध्यापक के रूप में दर्जा दिया. शास्त्री में स्नातक करने वालो को सिर्फ ग्रेजुएट का दर्जा माना.

फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज

संस्कृत पढ़ने वालों का कहना है कि शास्त्री में सरकारी नौकरी के स्कोप कम हैं और बिल्कुल ना के बराबर हैं जबकि कला एवमं और कॉमर्स पढ़ने वालों को नौकरी के ज्यादा स्कोप हैं. इसलिए अब छात्र संस्कृत पढ़ने के इछुक नहीं हैं.

प्रधानाचार्य बलदेव सिंह
प्रधानाचार्य बलदेव सिंह

संस्कृत के प्रधानाचार्य बलदेव सिंह ने बताया कि इस बार 108 बच्चे ही नए आये हैं जबकि बीते साल 120 छात्रों ने दाखिला लिया था. शिमला में ही 3 संस्कृत कॉलेज खोल दिए गए हैं जिसमें 10 या 15 ही छात्र पढ़ रहे हैं. फागली में कई सालों से ये किराए के भवन में कॉजेल चल रहा है और अपना होस्टल भी नहीं है. इससे दूर दराज के छात्र पढ़ने नहीं आते.

ये भी पढे़ं - राजभवन को सिखाई बचत की आदत, हर साल बचाई 3 लाख की बिजली, लगातार लगती थी 'आचार्य' की पाठशाला

शिमला: शिक्षा का हब कहे जाने वाले हिमाचल में जहां सरकार संस्कृत को दूसरी राष्ट्र भाषा का दर्जा दे रही है. वहीं, अब संस्कृत पढ़ने के लिए छात्रों की संख्या हर साल घटती जा रही है. राजधानी के फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज में छात्रों के एडमिशन से ये खुलासा हुआ.

फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज
फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज

संस्कृत कॉलेज में प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या घटती जा रही है जिस कॉलेज में कभी 700 के लगभग नए छात्र एडमिशन लेते थे. अब वहीं 2019 में 108 नए छात्रों ने दाखिला लिया है जबकि 2018 में ये संख्या 120 थी.

संस्कृत में छात्र मान रहे अंधकार में भविष्य
हिमाचल में भाजपा सरकार ने दिसंबर 2017 में जब शपथ ली थी तब शिक्षा मंत्री के रूप में सुरेश भारद्वाज ने संस्कृत में शपथ ली थी. उस समय संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों में नई ऊर्जा आयी थी कि शायद अब संस्कृत पढ़ने वालों के लिए नई संम्भावना के रास्ते खुलेंगे, लेकिन विद्यार्थियों को निराश तब हुई जब सरकार ने शास्त्री को सीएंडवी यानी भाषा अध्यापक के रूप में दर्जा दिया. शास्त्री में स्नातक करने वालो को सिर्फ ग्रेजुएट का दर्जा माना.

फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज

संस्कृत पढ़ने वालों का कहना है कि शास्त्री में सरकारी नौकरी के स्कोप कम हैं और बिल्कुल ना के बराबर हैं जबकि कला एवमं और कॉमर्स पढ़ने वालों को नौकरी के ज्यादा स्कोप हैं. इसलिए अब छात्र संस्कृत पढ़ने के इछुक नहीं हैं.

प्रधानाचार्य बलदेव सिंह
प्रधानाचार्य बलदेव सिंह

संस्कृत के प्रधानाचार्य बलदेव सिंह ने बताया कि इस बार 108 बच्चे ही नए आये हैं जबकि बीते साल 120 छात्रों ने दाखिला लिया था. शिमला में ही 3 संस्कृत कॉलेज खोल दिए गए हैं जिसमें 10 या 15 ही छात्र पढ़ रहे हैं. फागली में कई सालों से ये किराए के भवन में कॉजेल चल रहा है और अपना होस्टल भी नहीं है. इससे दूर दराज के छात्र पढ़ने नहीं आते.

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Intro:प्रदेश में घट रही संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या
दिन प्ररिवर्ष एडमिशन में आ रही गिरावट
छात्र मान रहे अंधकार में भविष्य


शिमला।
शिक्षा का हब कहे जाने वाले हिमांचल में जहाँ सरकार संस्कृतं को दूसरी राष्ट्र भाषा का दर्जा दे रही है वही अब संस्कृत पढ़ने के लिए छात्रों की संख्या प्रतिवर्ष घटती जा रही है। यह खुलासा हुआ रराजधानी के फागली में स्थित संस्कृत कॉलेज में छात्रों के एडमिशन से।


Body:संस्कृत कॉलेज में प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या घटती जा रही है। जिस कालेज में कभी 700 के लगभग नए छात्र एडमिशन लेते थे अब वही 2019 में 108नए छात्रों ने दाखिला लिया है।जबकि 2018 में यह संख्या 120 थी। ।

संस्कृत में छात्र मान रहे अंधकार में भविष्य
हिमाचल में भाजपा सरकार ने दिसंबर 2017 में जब शपथ ली थी तब शिक्षा मंत्री के रूप में सुरेश भारद्वाज ने संस्कृत में शपथ ली थी उस समय संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों में नई ऊर्जा आयी थी कि शायद अब संस्कृत पढ़ने वालों के लिए नई संम्भावना के रास्ते खुलेंगे लेकिन विद्यार्थियों को निराश तब हुई जब सरकार ने शास्त्री को सीएंडवी यानी भाषा अध्यापक के रूप में दर्जा दिया और शास्त्री में स्नातक करने वालो को सिर्फ ग्रेजुएट का दर्जा माना।





Conclusion:संस्कृत पढ़ने वालों का कहना है कि शास्त्री में सरकारी नोकरी के स्कोप कम है और बिल्कुल ना के बराबर है जबकि कला एवमं व कॉमर्स पढ़ने वालों को नोकरी के ज्यादा स्कोप है इसलिय अब छात्र संस्कृत पढ़ने के इछुक नही हैं ।इस सम्बंध में संस्कृत के प्रधानाचार्य बलदेव सिंह ने बताया कि इस बार 108 बच्चे ही नए आये है जबकि बीते साल 120 छात्रों ने दाखिला लिया था।उन्होंने कहा कि शिमला में ही 3 संस्कृत कॉलेज खोल दिया है। जिसमे भी 10या 15 ही छात्र पढ़ रहे है ।उन्होंने कहा कि फागली में कई सालों से यह किराए के भवन में कॉजेल चल रहा है और अपना होस्टल भी नही है जिससे दूर दराज के छात्र पढ़ने नही आते ।उनका कहना था कि सरकार नई बिल्डिंग बनवा रही है उसमें अभी काम चला है।
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