शिमलाः स्नेक बाइट से पूरे देश भर में हर साल लगभग 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है. अब हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले डॉ. उमेश भारती केरला के डॉक्टर जयदीप मेनन के साथ मिलकर सर्प दंश से होने वाली मौतों की रोकथाम और लोगों को इसके सस्ते इलाज के लिए शोध करना शुरू करेंगे. शोध के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिल चुकी है.
डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि देश के 9 राज्यों में 30 सहायक शोधकर्ता इसमें शामिल होंगे. करीब 7 करोड़ की जनसंख्या को शोध में कवर किया जाएगा और सांप के काटने से होने वाली करीब 5 हजार मौतों का अध्ययन किया जाएगा. यह पहली बार होगा जब देश में सांप के काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा देश के सामने आएगा.
इसके अलावा सर्पदंश का शिकार होने के बाद लोगों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के अध्ययन के आंकड़ों को भी पहली बार देश के सामने रखा जाएगा. यह शोध केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्रा प्रदेश और मिजोरम में किया जाएगा.
बता दें कि डॉ. उमेश भारती इससे पहले एंटी रेबीज वैक्सीन पर काम कर चुके हैं. शोध में उन्होंने एक एंटी रेबीज सीरम इजाद किया. इस सीरम को WHO ने मान्यता दी है. पहले रेबिज का इलाज महंगा और पीड़ादायक होता था. रेबीज की रोकथाम से बचने के लिए पहले 35 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब डॉ. उमेश के इजाद किए गए सीरम से इलाज का खर्च मात्र 350 रुपए के करीब खर्च आता है और ये पीड़ादयक भी नहीं है. हिमाचल में रेबिज का मुफ्त इलाज भी इसी कारण संभव हो पाया है. इस खोज के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि रेबीज पर किए गए इस शोध की सबसे ज्यादा रिलीफ हिमाचल के लोगों को मिली है. प्रदेश में रेबिज से एक या दो लोगों की मौत हुई है. मृतक बीमारी होने पर ये अस्पताल नहीं पहुंचे थे इस वजह से ये मौतें हुई हैं.
हिमाचल रेबीज से डेथ रेट जीरो के करीब है, डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक रेबीज से जीरो डेथ रेट का लक्ष्य हासिल करने का उद्देश्य रखा है. हिमाचल इसको लगभग हासिल कर चुका है.