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सर्पदंश के सस्ते इलाज पर शोध करेंगे हिमाचल के डॉ. भारती, रेबीज की रोकथाम पर खोजा है सबसे सस्ता इलाज

कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी में जन्मे डॉ. उमेश भारती स्नेक बाइट के सस्ते इलाज पर शोध करेंगे. ये शोध देश के 9 राज्यों में 30 सहायक शोधकर्ताओं के साथ मिलकर किया जाएगा. करीब 7 करोड़ की जनसंख्या को शोध में कवर किया जाएगा

research on snake bite by doctor omesh bharti
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Published : Oct 8, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 3:22 PM IST

शिमलाः स्नेक बाइट से पूरे देश भर में हर साल लगभग 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है. अब हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले डॉ. उमेश भारती केरला के डॉक्टर जयदीप मेनन के साथ मिलकर सर्प दंश से होने वाली मौतों की रोकथाम और लोगों को इसके सस्ते इलाज के लिए शोध करना शुरू करेंगे. शोध के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिल चुकी है.

डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि देश के 9 राज्यों में 30 सहायक शोधकर्ता इसमें शामिल होंगे. करीब 7 करोड़ की जनसंख्या को शोध में कवर किया जाएगा और सांप के काटने से होने वाली करीब 5 हजार मौतों का अध्ययन किया जाएगा. यह पहली बार होगा जब देश में सांप के काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा देश के सामने आएगा.

वीडियो.

इसके अलावा सर्पदंश का शिकार होने के बाद लोगों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के अध्ययन के आंकड़ों को भी पहली बार देश के सामने रखा जाएगा. यह शोध केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्रा प्रदेश और मिजोरम में किया जाएगा.

बता दें कि डॉ. उमेश भारती इससे पहले एंटी रेबीज वैक्सीन पर काम कर चुके हैं. शोध में उन्होंने एक एंटी रेबीज सीरम इजाद किया. इस सीरम को WHO ने मान्यता दी है. पहले रेबिज का इलाज महंगा और पीड़ादायक होता था. रेबीज की रोकथाम से बचने के लिए पहले 35 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब डॉ. उमेश के इजाद किए गए सीरम से इलाज का खर्च मात्र 350 रुपए के करीब खर्च आता है और ये पीड़ादयक भी नहीं है. हिमाचल में रेबिज का मुफ्त इलाज भी इसी कारण संभव हो पाया है. इस खोज के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि रेबीज पर किए गए इस शोध की सबसे ज्यादा रिलीफ हिमाचल के लोगों को मिली है. प्रदेश में रेबिज से एक या दो लोगों की मौत हुई है. मृतक बीमारी होने पर ये अस्पताल नहीं पहुंचे थे इस वजह से ये मौतें हुई हैं.

हिमाचल रेबीज से डेथ रेट जीरो के करीब है, डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक रेबीज से जीरो डेथ रेट का लक्ष्य हासिल करने का उद्देश्य रखा है. हिमाचल इसको लगभग हासिल कर चुका है.

शिमलाः स्नेक बाइट से पूरे देश भर में हर साल लगभग 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है. अब हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले डॉ. उमेश भारती केरला के डॉक्टर जयदीप मेनन के साथ मिलकर सर्प दंश से होने वाली मौतों की रोकथाम और लोगों को इसके सस्ते इलाज के लिए शोध करना शुरू करेंगे. शोध के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिल चुकी है.

डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि देश के 9 राज्यों में 30 सहायक शोधकर्ता इसमें शामिल होंगे. करीब 7 करोड़ की जनसंख्या को शोध में कवर किया जाएगा और सांप के काटने से होने वाली करीब 5 हजार मौतों का अध्ययन किया जाएगा. यह पहली बार होगा जब देश में सांप के काटने से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा देश के सामने आएगा.

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इसके अलावा सर्पदंश का शिकार होने के बाद लोगों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के अध्ययन के आंकड़ों को भी पहली बार देश के सामने रखा जाएगा. यह शोध केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्रा प्रदेश और मिजोरम में किया जाएगा.

बता दें कि डॉ. उमेश भारती इससे पहले एंटी रेबीज वैक्सीन पर काम कर चुके हैं. शोध में उन्होंने एक एंटी रेबीज सीरम इजाद किया. इस सीरम को WHO ने मान्यता दी है. पहले रेबिज का इलाज महंगा और पीड़ादायक होता था. रेबीज की रोकथाम से बचने के लिए पहले 35 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब डॉ. उमेश के इजाद किए गए सीरम से इलाज का खर्च मात्र 350 रुपए के करीब खर्च आता है और ये पीड़ादयक भी नहीं है. हिमाचल में रेबिज का मुफ्त इलाज भी इसी कारण संभव हो पाया है. इस खोज के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि रेबीज पर किए गए इस शोध की सबसे ज्यादा रिलीफ हिमाचल के लोगों को मिली है. प्रदेश में रेबिज से एक या दो लोगों की मौत हुई है. मृतक बीमारी होने पर ये अस्पताल नहीं पहुंचे थे इस वजह से ये मौतें हुई हैं.

हिमाचल रेबीज से डेथ रेट जीरो के करीब है, डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक रेबीज से जीरो डेथ रेट का लक्ष्य हासिल करने का उद्देश्य रखा है. हिमाचल इसको लगभग हासिल कर चुका है.

Intro:Body:रैबिस के जानलेवा पंजे से बचाव के बाद, अब सर्पदंश से होने वाली मौतों से बचाव पर काम कर रहे डॉ. उमेश भारती
शिमला. सर्प दंश से पूरे देश में हर साल लगभग 50 हजार लोगों काल का ग्रास बन जाते हैं. केरला से डॉक्टर जयदीप मेनन से साथ मिलकर डॉक्टर उमेश भारती सर्प दंश से होने वाली मौतों की रोकथाम और सस्ते इलाज पर जनवरी से का करना शुरू करेंगें. डॉक्टर उमेश ने कहा कि इसके लिए आईसीएमआर की मंजूरी मिल चुकी है.
डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि देश के 9 राज्यों में 30 सहायक शोधकर्ता करीब 7 करोड की जनसंख्या को कवर करते हुए सांप के काटने से होने वाली करीब 5000 मौतों का अध्ययन करेंगे. यह पहली बार होगा जब देश में सांप के काटने से होने वाली मौतों का सही आंकडा देश के सामने आएगा. इसके अलावा शर्पदंश का शिकार होने के बाद लोगों पर पडने वाले आर्थिक बोझ पर पर किए गए अध्ययन का आंकडा भी पहली बार देश के सामने आएगा. यह शोध केरला, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, उडीसा, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान, आंध्रा प्रदेश और मिजोरम में किया जाएगा.
Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 3:22 PM IST
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