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आग की भेंट चढ़ रहे हिमाचल के जंगल, कैबिनेट से हेलिकॉप्टर के लिए अप्रूवल का इंतजार

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Published : Apr 21, 2021, 7:25 PM IST

Updated : Apr 29, 2021, 8:15 PM IST

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में आग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साल 2016-17 से 2019-20 तक वनों में आग लगने से 1.7 करोड़ से 3.5 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आग लगने का सबसे बड़ा कारण मानवीय गलतियां हैं. इनको रोकने के लिए प्रदेश सरकार पूरी कोशिश कर रही है.

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शिमला: प्रदेश में बारिश न होने के कारण इस बार जंगलों में आग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अभी तक प्रदेश में वनों की आग के 900 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आग लगने का सबसे बड़ा कारण मानवीय गलतियां हैं. इनको रोकने के लिए प्रदेश सरकार पूरी कोशिश कर रही है.

कैबिनेट से अप्रूवल के बाद हेलिकॉप्टर का होगा प्रयोग

वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि वनों की आग को नियंत्रित करने के किए कैबिनेट के अप्रूवल के बाद हेलिकॉप्टर का प्रयोग किया जाएगा. इसके लिए 22 अप्रैल वाली कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगे. इस बार प्रदेश में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. फरवरी महीने में 82 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. मार्च महीने में 62 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है. इसके कारण सूखा अधिक पड़ गया और आग की घटनाएं बढ़ना शुरू हो गई. प्रदेश के वनों में आग लगने की समस्या का सालों बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

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2016-17 से 2019-20 तक 3.5 करोड़ का नुकसान

वर्ष 2018 में वनों में आग लगने की 2,469 घटनाएं सामने आई हैं. उस समय करीब 25 हजार 300 हेक्टेयर क्षेत्र आग की भेंट चढ़ा था. यह पिछले 8 वर्षों में सबसे अधिक था. उससे पहले 2012-13 में आग लगने की इतनी अधिक 1,798 घटनाएं सामने आई थी. उस समय 20,773 हेक्टेयर क्षेत्र आग की भेंट चढ़ गया था. वनों में आग से प्रदेश को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है. 2016-17 से 2019-20 तक वनों में आग लगने से 1.7 करोड़ से 3.5 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ.

वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए विभाग प्रयासरत

वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि इस बार वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए विभाग पूरी कोशिश कर रहा हैं. जहां भी संभव हो विभाग आग बुझाने के लिए टैंकरों का प्रबंध कर रहा है. इसके अलावा अग्निशमन विभाग से भी सहयोग मांगा गया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों की कटेगी सैलरी, कोविड फंड में जाएगा पैसा

शिमला: प्रदेश में बारिश न होने के कारण इस बार जंगलों में आग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अभी तक प्रदेश में वनों की आग के 900 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आग लगने का सबसे बड़ा कारण मानवीय गलतियां हैं. इनको रोकने के लिए प्रदेश सरकार पूरी कोशिश कर रही है.

कैबिनेट से अप्रूवल के बाद हेलिकॉप्टर का होगा प्रयोग

वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि वनों की आग को नियंत्रित करने के किए कैबिनेट के अप्रूवल के बाद हेलिकॉप्टर का प्रयोग किया जाएगा. इसके लिए 22 अप्रैल वाली कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगे. इस बार प्रदेश में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. फरवरी महीने में 82 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. मार्च महीने में 62 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है. इसके कारण सूखा अधिक पड़ गया और आग की घटनाएं बढ़ना शुरू हो गई. प्रदेश के वनों में आग लगने की समस्या का सालों बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

वीडियो.

2016-17 से 2019-20 तक 3.5 करोड़ का नुकसान

वर्ष 2018 में वनों में आग लगने की 2,469 घटनाएं सामने आई हैं. उस समय करीब 25 हजार 300 हेक्टेयर क्षेत्र आग की भेंट चढ़ा था. यह पिछले 8 वर्षों में सबसे अधिक था. उससे पहले 2012-13 में आग लगने की इतनी अधिक 1,798 घटनाएं सामने आई थी. उस समय 20,773 हेक्टेयर क्षेत्र आग की भेंट चढ़ गया था. वनों में आग से प्रदेश को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है. 2016-17 से 2019-20 तक वनों में आग लगने से 1.7 करोड़ से 3.5 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ.

वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए विभाग प्रयासरत

वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि इस बार वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए विभाग पूरी कोशिश कर रहा हैं. जहां भी संभव हो विभाग आग बुझाने के लिए टैंकरों का प्रबंध कर रहा है. इसके अलावा अग्निशमन विभाग से भी सहयोग मांगा गया है.

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Last Updated : Apr 29, 2021, 8:15 PM IST
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