शिमला: देश और विदेश से आए सैलानियों की शिमला यात्रा ब्रिटिशकालीन ईमारत वायसरीगल लॉज को देखे बिना अधूरी मानी जाती है. ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला देश की विंटर कैपिटल थी. उस समय यहां वायसरीगल लॉज बनाया गया था. आजादी के बाद इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी यानी भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का नाम दिया गया. अब संस्थान में इतिहास के झरोखों में झांकने के लिए आने वाले भारतीय सैलानियों को टिकट के लिए कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे.
संस्थान के प्रबंधन ने भारतीय नागरिकों के लिए निर्धारित टिकट दरों में कटौती की गई है. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नागेश्वर राव के अनुसार कोरोना के बाद म्यूजियम एरिया के टिकट में जो बढ़ोतरी की गई थी, उसकी नए सिरे से समीक्षा कर भारतीय नागरिकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए टिकट की दरों को कम किया गया है. व्यस्क भारतीय नागरिकों के लिए निर्धारित गाइडेड टूर के टिकट की दर को 200 रुपये से कम करके 100 रुपये कर दिया गया है.
इसके अलावा छात्रों, 5 से 12 वर्ष तक के बच्चों, दिव्यांगजनों और 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए टिकट शुल्क को 100 रुपये से घटा कर 50 रुपये कर दिया गया है. वहीं, लॉन एरिया का टिकट पहले की तरह यथावत 30 रुपये रखा गया है. विदेशी नागरिकों के लिए टिकट शुल्क भी यथावत रखा गया है. विदेशी सैलानियों के लिए टिकट की दरें पांच सौ रुपए प्रति व्यक्ति है.
प्रोफेसर राव ने बताया कि संस्थान के मुख्य भवन की स्थापत्य कला, ऐतिहासिक घटनाओं, वर्तमान अकादमिक एवं शोध कार्यों और राष्ट्रीय धरोहर से देश तथा विदेश के सैलानियों का अधिक से अधिक परिचय करवाने के लिए कोरोना के बाद बढ़ाई गई टिकट दरों को कम करने का यह निर्णय लिया गया है. इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि संस्थान से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं और वर्तमान शोध कार्यों के बारे में जानने के इच्छुक भारतीय पर्यटकों को भी सहुलियत मिलेगी.
टिकट की ये नई दरें 23 फरवरी से प्रभावी होंगी. उल्लेखनीय है कि कोरोना के समय लोगों की आमद को कम करने के लिए टिकट की दरें बढ़ाई गई थीं. ब्रिटिशकाल की ये इमारत ईस्वी सन 1888 में बनकर पूरी हुई थी. इसे बनाने में चार साल का समय लगा था. ईमारत में कई ऐतिहासिक बैठकें हुई हैं. यहां की लाइब्रेरी में डेढ़ लाख किताबों का खजाना है.
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