रामपुर: शिमला जिले के रामपुर बुशहर में पॉक्सो एक्ट के तहत एक साल में 18 आरोपियों को जिला एवं सत्र न्यायालय ने सलाखों के पीछे पहुंचाया है. जानकारी देते हुए उप जिला न्यायवादी कमल चंदेल ने बताया कि पॉक्सो एक्ट के तहत 16 से कम आयु पर 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि किसी बच्चे का बार-बार शारीरिक शोषण करने पर न्यूनतम सजा 20 वर्ष और अधिकतम मृत्युदंड तक निर्धारित किया गया है. वहीं, अन्य मामलों में 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बच्चों के प्रति शारीरिक शोषण के मामले में काफी इजाफा देखने को मिला है. ऐसे मामले से निपटने के लिए पॉक्सो एक्ट से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. जिसमें विशेष न्यायालय खोले गए हैं और बच्चों की गवाही दर्ज करने और उनकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए विशेष रूप से प्रावधान किया गया है. इस तरह के मामलों में पीड़िता व उनके परिवार, रिश्तेदार पड़ोसी की पहचान गोपनीय रखी जाती है. वहीं, पीड़िता के लिए मुआवजे का भी प्रावधान कोर्ट की तरफ से किया जाता है.
जिला एव सत्र न्यायालय अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने व पीड़ितों को न्याय दिलाने में उप जिला न्यायवादी कमल चंदेल अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. उप जिला न्यायवादी कमल चंदेल ने बताया कि रामपुर जिला एव सत्र न्यायालय 4 जिलों का केंद्र है. जिनमें लाहौल स्पीति, किन्नौर, शिमला और कुल्लू मौजूद है. उन्होंने बताया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत 18 आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि पॉक्सो एक्ट नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए है. इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र वालों को बच्चा माना गया है और उसके साथ यौन उत्पीड़न को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
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