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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में छात्रों का धरना जारी, हॉस्टल से सामान निकाल कैंपस में किया इकट्ठा - protest continue after closing national law university in Shimla

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को बंद करने के बाद छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी, छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि प्रशासन ने इस आंदोलन को दबाने के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है.

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के बंद होने पर भी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी
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Published : Sep 20, 2019, 10:06 PM IST

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को बंद करने को लेकर छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है. छात्रों ने कुलसचिव के आदेशों के चलते हॉस्टलों को खाली कर दिया है और सामान निकाल कर बाहर रख दिया है. छात्र आपनी मांगों को लेकर लगाताकर अपनी पर अड़े हुए हैं.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया है. छात्रों का आरोप है, प्रशासन चाह रहा है कि यूनिवर्सिटी बंद करने से छात्र अपने आंदोलन को खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा. छात्रों का आरोप है कि उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है और साथ छात्रों को विश्वविद्यालय में पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.

ऐसे में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी छात्रों ने सवाल खड़े किए हैं. छात्रों का आरोप है कि भारी-भरकम फीस विश्वविद्यालय प्रशासन को दी जा रही है. इसके बावजूद भी उन्हें पीने के लिए साफ पानी और गुणवत्ता युक्त खाना नसीब नहीं हो रहा है.

छात्रावासों में सुविधाएं भी छात्रों को मुहैया नहीं करवाई जा रही हैं. छात्रों को मेडिकल सुविधा भी यूनिवर्सिटी में नहीं दी जा रही है, यही वजह है कि छात्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं. छात्रों का आरोप है कि, प्रशासन छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है. प्रशासन के विश्वविद्यालय को बंद करने के फैसले से छात्रों को काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं, लेकिन प्रशासन अभी भी अपने फैसले पर अडिग है.

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को बंद करने को लेकर छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है. छात्रों ने कुलसचिव के आदेशों के चलते हॉस्टलों को खाली कर दिया है और सामान निकाल कर बाहर रख दिया है. छात्र आपनी मांगों को लेकर लगाताकर अपनी पर अड़े हुए हैं.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया है. छात्रों का आरोप है, प्रशासन चाह रहा है कि यूनिवर्सिटी बंद करने से छात्र अपने आंदोलन को खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा. छात्रों का आरोप है कि उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है और साथ छात्रों को विश्वविद्यालय में पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.

ऐसे में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी छात्रों ने सवाल खड़े किए हैं. छात्रों का आरोप है कि भारी-भरकम फीस विश्वविद्यालय प्रशासन को दी जा रही है. इसके बावजूद भी उन्हें पीने के लिए साफ पानी और गुणवत्ता युक्त खाना नसीब नहीं हो रहा है.

छात्रावासों में सुविधाएं भी छात्रों को मुहैया नहीं करवाई जा रही हैं. छात्रों को मेडिकल सुविधा भी यूनिवर्सिटी में नहीं दी जा रही है, यही वजह है कि छात्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं. छात्रों का आरोप है कि, प्रशासन छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है. प्रशासन के विश्वविद्यालय को बंद करने के फैसले से छात्रों को काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं, लेकिन प्रशासन अभी भी अपने फैसले पर अडिग है.

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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को भले ही प्रशासन ने छात्रों के प्रदर्शन के चलते बंद कर दिया हो लेकिन यूनिवर्सिटी कैंपस में अभी भी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। छात्रों ने यूनिवर्सिटी कुलसचिव के आदेशों के चलते होस्टलों को भी खाली कर दिया है । छात्रों ने होस्टलों से अपना सामान निकाल कर बाहर कैंपस में रख दिया है और लगातार अपने आंदोलन को छात्र जारी रखें हुए हैं । छात्रों की एक ही मांग है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए ओर विश्वविद्यालय को बंद कर प्रशासन उनके आंदोलन को टाले ना।


Body:वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया है। ऐसे में छात्रों का कहना है कि किस तरह से छात्र इन पांच दिनों के अंदर घर जा कर वापिस आएंगे। इस विश्वविद्यालय में देश के अलग अलग क्षेत्रों से छात्र पढ़ रहे है ऐसे में छात्र इतनी दूर नहीं जा पाएंगे। छात्रों का कहना है कि वह यहीं कैंपस में ही रहेंगे। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है। प्रशासन के विश्वविद्यालय को बंद करने के फैसले से छात्रों को दिक्कत हो रही है लेकिन प्रशासन अपने फैसले पर अड़िग है।


Conclusion:छात्रों का आरोप है कि प्रशासन चाह रहा है कि यूनिवर्सिटी बंद करने से छात्र अपने आंदोलन को खत्म कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं होगा। बता दे वहीं छात्रों का आरोप है कि उन्हें खाने की खाने के लिए खाना भी घटिया परोसा जा रहा है तो वहीं पीने के लिए पानी तक नहीं नसीब हो रहा। ऐसे में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल छात्रों ने खड़े किए हैं।छात्रों का कहना है कि वह भारी-भरकम फीस विश्वविद्यालय प्रशासन को दे रहे हैं इसके बावजूद भी उन्हें पीने के लिए साफ पानी और गुणवत्ता वाला खाना तक नसीब नहीं हो रहा है. छात्रावासों में सुविधाएं भी उन्हें मुहैया नहीं करवाई जा रही है। यहां तक कि जो भी फैसले प्रशासन लेता है उन्हें भी गुप्त रखा जाता है और छात्रों को छात्रावासों में भी किसी तरह की सुविधा नहीं मिल पाई मिल पाई है। छात्रों को मेडिकल सुविधा भी यूनिवर्सिटी में नहीं दी जा रही है। यही वजह है कि छात्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं.
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