शिमला: किसानों को आधुनिक तकनीक से अवगत करवाने और मंडियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ने शिमला में कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन किया. जिसमें 16 के करीब कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई और किसानों और बागवानों को इन प्रोडक्ट के प्रयोग और लाभ के बारे में बताया. कार्यशाला में करीब 150 किसानों बागवानों ने भाग लिया. प्रोजेक्ट के टीम लीडर गोविंद झोकटा ने कहा कि आज का दौर तकनीक का दौर है. अगर किसान और बागवान आधुनिक तकनीक का लाभ नहीं उठाएंगे तो पिछड़ जाएंगे. इसलिए अधिक से अधिक प्रोडक्शन के लिए आधुनिक तकनीक अपनानी चाहिए.
कार्यशाला में आए बागवानों के अनुसार अब बागवानी पर लागत ज्यादा व मुनाफा कम हो रहा है. बगीचों के सेब के पेड़ काफी पुराने हो चुके हैं, इसलिए विभाग से सेब के पौधे मांगे जाते हैं तो 100 मांग के बदले 25 ही पौधे मिलते हैं. बागवानी विभाग को ग्रामीण स्तर पर कमेटियां गठित कर बागवानों की समस्याओं के आधार पर हल खोजने चाहिए. ताकि सेब की फसल पर मंडला रहे संकट के बादल छंट सके. बागवानों की धरातल पर अपनी दिक्कतें है. जिनसे बागवानी विभाग का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है. विभाग के वैज्ञानिक न तो हिमाचल की भूगौलिक परिस्थितियों के मुताबिक कोई शोध कर रहे हैं न ही उनके अनुसार सेब की आधुनिक किस्मों पर काम कर रहे हैं जो वास्तव में बागवान है.
ये भी पढ़ें- कथित तीन तलाक मामले में SP से मिली मुस्लिम महिला, लगाई न्याय की गुहार