शिमलाः अपनी मांगों को लेकर निजी बस ऑपरेटर ने सोमवार से हड़ताल शुरू कर दी है. अनिश्चितकाल के लिए निजी बस ऑपरेटर प्रदेश के करीब 3500 रूटों पर बसें नहीं चल पाएंगी. सोमवार सप्ताह का पहला दिन होने के कारण लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा. बस अड्डों पर निगम के बस में ही लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. इससे कोरोना नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ती नजर आईं.
इस संबंध में निजी बस ऑपरेटर के प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने बताया कि हिमाचल सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी है जिसके कारण कोरोना काल में निजी बस ऑपरेटर को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते साल 2 लाख लोन देने की बात कही थी वह अभी तक पूरी नहीं की है.
ये रखी थी मांगें
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यूनियन लंबे समय से सरकार से टोकन टैक्स, स्पेशल रोड टैक्स माफ करने और वर्किंग कैपिटल (ऑपरेटरों को सस्ता लोन) की घोषणा पूरा करने की मांग कर रही है, लेकिन उनकी मांगों को पूरा न कर सिर्फ बहानेबाजी की जा रही है. ऐसे में जब तक निर्णय की घोषणा नहीं होती, हड़ताल नहीं टलेगी. जाहिर है कि सरकार के बयान के बाद से अब तक दोबारा न तो कोई बैठक हुई है और न कैबिनेट ने कोई फैसला लिया है.
हड़ताल से लोगों को झेलनी पड़ रही भारी परेशानी
ऐसे में सोमवार से निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल से लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हालांकि कांगड़ा जिले में हड़ताल का असर कम ही होगा, क्योंकि यहां निजी बस ऑपरेटर 2 गुटों में बंट गए हैं. एक गुट बसें चलाने के लिए तैयार है. बता दें कि हड़ताल होती है तो निजी बस ऑपरेटरों के साथ चालक-परिचालक, टायर और बस मैकेनिक सहित निजी बसों से जुड़े कार्य करने वालों के परिवार सदस्यों समेत प्रदेश के 12 से 15 लाख लोग प्रभावित होंगे.
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