शिमला: प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय की तरह है निजी कॉलेजों में भी नियमों को ताक पर रखकर प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति की गई हैं. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से को जा रही जांच में प्रारंभिक स्तर पर यह खुलासा हुआ है कि कॉलेजों में जिन प्रिंसिपल की नियुक्ति गई है उसमें बहुत से प्रिंसिपल इस पद पर रहने की योग्यता को ही पूरा नहीं करते हैं. किसी का अनुभव कम है तो किसी की आयु अधिक है. अभी आयोग के पास सभी निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल को बायोडाटा भी नहीं है लेकिन जिन कॉलेजों में जानकारी आयोग को भेजी है उनकी जांच शुरू कर दी गई है.
100 के करीब निजी कॉलेजों ने आयोग को भेजी जानकारी
अभी तक 100 के करीब निजी कॉलेजों ने आयोग को जानकारी भेजी है जिससे से 75 कॉलेजों के प्रिंसिपलों के बायोडेटा की जांच की गई है और उसमें से भी आधे से अधिक प्रिंसिपलों की नियुक्तियां सवालों के घेरे में है. वहीं, जिन कॉलेजों ने अभी तक आयोग को प्रिंसिपलों का ब्यौरा नहीं भेजा है एक और रिमाइंडर आयोग की तरफ से उन्हें भेजा गया है. आयोग ने उन्हें यह स्पष्ट किया है कि वह जल्द से जल्द प्रिंसिपलों रिपोर्ट और बायोडेटा आयोग को भेजें नहीं तो आयोग की ओर से कॉलेजों पर कार्रवाई की जाएगी.
आयोग ने निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की योग्यता की जांच भी शुरू
बता दें कि निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता जांचने के साथ ही आयोग ने निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की योग्यता की जांच भी शुरू कर दी थी. इसके लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो.वीसी एनके शारदा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई है. जांच कमेटी के पास अभी जिन कॉलेजों का रिकॉर्ड पहुंचा है. उनकी जांच शुरू कर दी गई है जिसमें यह पाया गया है कि कई कॉलेजों में नियमों के बाहर ही नियुक्तियां की गई है.जल्द जांच पूरी होने के बाद आयोग की ओर से खुलासा कर दिया जाएगा के कितने निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल पद पर रहने के योग्य नहीं हैं.
जांच में शामिल
आयोग की ओर से प्रदेश के सभी निजी डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज,लॉ, फार्मेसी, नर्सिंग बीएड कॉलेजों के साथ ही तकनीकी, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपलों की जांच की जा रही है. वहीं अगर यूजीसी के नियमों की बात की जाए तो कॉलेजों में नियुक्त किए जाने वाले प्रिंसिपलों को 15 साल पढ़ाने का अनुभव होने के साथ ही पीएचडी की अनिवार्यता ओर आयु में 70 वर्ष से नहीं होना चाहिए.
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