शिमला: हिमाचल में मौसम का मिजाज ठंडा है. कहीं बर्फबारी तो कहीं बारिश हो रही है, लेकिन राजनीति में आए उबाल ने प्रदेश की सियासत में गर्माहट ला दी है. भाजपा-कांग्रेस के बीच राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुई तकरार. कब थमेगी इस पर संशय बना हुआ है.
राजनीति हावी, मुद्दे गौण
जहां नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित पांच विधायकों पर हुई एफआईआर का विरोध किया गया. भाजपा ने राज्यपाल के साथ हुए व्यवहार को लेकर प्रदेश भर में कांग्रेस के पुतले फूंके. सियासत इन दिनों बर्फबारी और बारिश के इस दौर में अपना रंग दिखाकर मुद्दों को गौण करने में कामयाब दिखाई देती नजर आ रही है.
राजनीति के पंडितों की मानें तो जहां भाजपा ने किसान आंदोलन और महंगाई को लेकर अंदरखाने में रणनीति बनाकर इस तरह उसे पेश किया. जहां विपक्ष इन मुद्दों को हवा नहीं दे पाई. वहीं, कांग्रेस नेताओं ने किसानों और बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दामों का बैठे बिठाए मिले मुद्दों को उछालकर आने वाले नगर निगम चुनाव से पहले अपनी जोरदार एंट्री की आमद का अहसास कराने की कोशिश की.
भाजपा या कांग्रेस किसे मिलेगा फायदा
इसका कितना फायदा भाजपा-कांग्रेस को होगा, ये आने वाले नगर निगम चुनावों के परिणाम तय करेंगे, लेकिन इतना तय है कि भाजपा-कांग्रेस इस समय तू-डाल-डाल तो में पात-पात की तर्ज पर चलकर. कोई मौका नहीं छोड़ रहे. वहीं, भाजपा-कांग्रेस नेताओं के अपने-अपने तर्क है. सत्ताधारी भाजपा जहां मुद्दों को दबाने की कोशिश कर हाल ही में धर्मशाला में हुई मिशन रिपीट की दिशा में बढ़ चुकी है. वहीं कांग्रेस ने भी कसौली में मिशन 2022 को लेकर बैठक की. इसमें कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने नगर निगम चुनावों को विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश में कांग्रेस कि एक सप्लिमेंट्री परीक्षा होना बताया.
कब तक दिखाएगी सियासत रंग
बजट सत्र 20 मार्च तक चलेगा और रंगों का त्योहार होली करीब होगा, लेकिन बात नगर निगम चुनाव में प्रचंड वोट हासिल कर अपना दबदबा दिखाना मुख्य केंद्र में होगा, तो फिर सियासतदानों का शह और मात के इस खेल में जीतने के लिए चाल चलना भी वाजिब माना जाएगा.
देखना होगा कि नेता जी प्रदेश की ठंडी तासीर के हिसाब से राजनीतिक चाल चलकर आगे बढ़ेंगे या फिर दो दिनों से जो तस्वीरें पहाड़ों की राजधानी शिमला से लेकर ऊना तक दिखाई दे रही है, उसमें और इजाफा होगा और सियासत की रंगों के त्योहार के पहले बंदरग तस्वीरें दिखाई देंगी.
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