शिमला: हिमाचल में प्रत्येक वर्ष लगभग 60 टन प्लास्टिक कचरा एकत्रित कर इसका उपयोग सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योगों में फ्यूल के रूप में किया गया. यह बात प्रधान सचिव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केके पन्त ने कही.
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम में केके पन्त ने कहा कि प्लास्टिक कचरा एकत्रित कर 190 किलोमीटर प्लास्टिक की सड़कें बनाई गई हैं. प्रदेश में प्लास्टिक से निपटने के लिए सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट 75 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदने के लिए बाय-बैक पॉलिसी शुरू की है. इसके अन्तर्गत अब तक 1 लाख 35 हजार 600 किलो प्लास्टिक खरीदा गया, इसके लिए 87 लाख रुपये का भुगतान किया गया.
प्रदेश सचिवालय में हुई वर्चुअल बैठक में केके पन्त ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण एवं जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत प्रदेश, देश का अग्रणी राज्य है. राज्य में वर्ष 2011 से प्लास्टिक के कप, प्लेट, गिलास इत्यादि पर प्रतिबन्ध लगाया गया और वर्ष 2018 में थर्मोकॉल से बनी वस्तुएं जैसे थाली, कप, प्लेट, चम्मच इत्यादि पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण प्रबन्धन को सुदृढ़ करने के लिए कई शोध परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है. आईआईटी मण्डी के विशेषज्ञों के सहयोग से लैंड स्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है. पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली भी विकसित की है. बैठक में प्रधान सचिव ने पर्यावरण विभाग द्वारा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से तैयार की गई कुल्लू जिला की जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन रिर्पोर्ट भी जारी की है.
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