शिमला: कोरोना लॉकडाउन में सभी तरह के कारोबार ठप हैं. लोग घरों में कैद हैं. बाजारों में सन्नाटा है, सड़कें विरान हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है. जरूरत के हिसाब से इक्का दूक्का वाहन ही सड़कों पर नजर आ रहे हैं.
आम दिनों में जहां पेट्रोल पंप पर इंधन डलवाने के लिए गाड़ियों की लंबी कतारें लगती थीं. वहीं, इन दिनों मुश्किल से ही कोई वाहन पेट्रोल पंप में तेल डलवाने आ रहा है. हिमाचल की राजधानी शिमला में भी कुछ ऐसा ही नजारा है. शहर के बीचों बीच बने पेट्रोल पंप विरान हैं.
हालांकि प्रदेश सरकार ने कर्फ्यू में सात घंटे की छूट दी है, लेकिन कोरोना के डर से लोग घरों में ही रहना मुनासिफ समझ रहे हैं. शिमला विक्ट्री टनल के पास बने पेट्रोल पंप के मैनेजर ने बताया कि आम दिनों से सेल 10 प्रतिशत से भी कम है.
हालांकि थोड़ी बहुत पेट्रोल की सेल तो हो रही है. वहीं, डीजल की सेल में भारी कमी आई है, जिसका कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट का पूरी तरह से बंद होना है. बसें और अन्य बड़ी गाड़ियां कई दिनों से पार्किंग में खड़ी हैं. स्कूल, कॉलेज और अन्य ऑफिस बंद होना इसका मुख्य कारण है.
इस दौरान पेट्रोल पंप मालिक सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं, जो गाड़ियां पेट्रोल पंप पर आ रही हैं उन्हें उचित दूरी पर खड़ा किया जा रहा है. वहीं, सेनिटाइज मानकों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. पहाड़ों की राजधानी शिमला गर्मियों के दिनों में देश-विदेश के पर्यटकों की फेवरेट डेस्टिनेशन होती थी.
यहां की सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें और कई घंटों सड़कों पर जाम इसकी गवाही देता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण न कोई पर्यटक आया है न ही स्थानीय लोग घरों से निकल रहे हैं. ऐसे में अन्य व्यवसायों की तरह पेट्रोल और डीजल के कारोबार में भी भारी कमी आई है. वहीं, अभी तक प्रदेश सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर कोरोना सेस नहीं लगाया है.