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HP Assembly Election Result: कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए पवन काजल जीते, लखविंदर सिंह राणा की हार

कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी से अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लखविंदर सिंह राणा नालागढ़ सीट से तो कांगड़ा सीट से पवन कुमार काजल की किस्मत का फैसला हो गया है. एक सीट पर जीत तो एक पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. पढ़ें.

हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे
हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे
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Published : Dec 8, 2022, 2:21 PM IST

शिमला: हिमाचल के रण में इस बार पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर काफी विवाद हुआ. टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी भी उभर के सामने आई थी. ऐसे ही दो बड़े नाम पवन काजल और लखविंद्र सिंह राणा का है. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर दोनों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. हिमाचल चुनाव परिणाम में कांगड़ा विधायक व प्रत्याशी पवन काजल ने अपनी सीट बचा ली लेकिन नालागढ़ के विधायक व बीजेपी प्रत्याशी लखविंद्र सिंह राणा अपनी सीट नहीं बचा सके. इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी किशन लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की है. (Pawan Kumar Kajal wins from Kangra seat) (Defeat of Lakhwinder Singh Rana) ( himachal assembly election result 2022)

कांगड़ा सीट से पवन काजल की जीत: भाजपा के उम्मीदवार पवन काजल वर्ष 2012 में इस विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याक्षी के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज करने के बाद स्वर्गीय वीरभद्र सिंह पवन काजल को कांग्रेस पार्टी में ले आए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव भी पवन काजल ने कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद लड़े थे और जीते थे, लेकिन इस मर्तबा पवन काजल ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़े हैं. वहीं, यह माना जाता रहा है कि जिस उम्मीदवार के साथ चौधरी समुदाय का साथ होता है वही उम्मीदवार जीत दर्ज करता है. (Surender Kumar VS Pawan Kumar Kajal) (BJP Candidate Pawan Kumar Kajal )

नालागढ़ से हारे लखविंदर सिंह राणा: साल 2011 में हरि नारायण सिंह की मृत्यु होने के चलते उपचुनाव हुआ यहां पर कांग्रेस के टिकट से लखविंदर राणा ने चुनाव लड़ा और वे जीते, उसके बाद साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ कर केएल ठाकुर ने नालागढ़ सीट जीती उसके बाद फिर समीकरण बदले और साल 2017 में लखविंदर कांग्रेस की टिकट से चुनकर आए, इस बार लखविंदर राणा भाजपा से चुनावी मैदान में थे और केएल ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर चुनावी मैदान में थे.इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी किशन लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की है.

नालागढ़ विधानसभा सीट पर अब तक ये रहे विधायक: आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2007 के बाद हुए चुनाव में कोई भी विधायक मिशन रिपीट नालागढ़ में नहीं कर पाया है, साल 1967 और 1972 में अर्जेन सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ कर चुनाव जीते थे,उसके बाद 1977 में जनता पार्टी से विजयेंद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और जीते उसके बाद साल 1982, 1985 ,1990 और 1993 में लगातार चार बार कांग्रेस के टिकट पर विजयेद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और जीता. उसके बाद साल 1998 2003 और 2007 में नालागढ़ सीट पर भाजपा का कब्जा रहा यहां पर 3 मर्तबा हरि नारायण सिंह ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और चुनाव जीतते आए.

वहीं, राजनीतिक पंडितों का मानना था कि चुनावी साल में कांग्रेस में तोडफोड़ करके भाजपा को कोई खास लाभ नहीं होगा. भाजपा वैसे तो कैडर की मजबूती का दावा करती है, लेकिन हाल ही के समय में विपक्ष में तोडफ़ोड़ का मॉडल अपना रही है. हिमाचल में मतदाता जागरूक है और अपने विवेक से फैसला लेता है. ऐसे में एक सीट पर जीत और एक पर हारने को लेकर बीजेपी में मंथन का दौर शुरू हो गया है.

पढ़ें- kangra assembly seat result: कांगड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी के पवन काजल आगे, कांग्रेस दूसरे नंबर पर

शिमला: हिमाचल के रण में इस बार पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर काफी विवाद हुआ. टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी भी उभर के सामने आई थी. ऐसे ही दो बड़े नाम पवन काजल और लखविंद्र सिंह राणा का है. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर दोनों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. हिमाचल चुनाव परिणाम में कांगड़ा विधायक व प्रत्याशी पवन काजल ने अपनी सीट बचा ली लेकिन नालागढ़ के विधायक व बीजेपी प्रत्याशी लखविंद्र सिंह राणा अपनी सीट नहीं बचा सके. इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी किशन लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की है. (Pawan Kumar Kajal wins from Kangra seat) (Defeat of Lakhwinder Singh Rana) ( himachal assembly election result 2022)

कांगड़ा सीट से पवन काजल की जीत: भाजपा के उम्मीदवार पवन काजल वर्ष 2012 में इस विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याक्षी के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज करने के बाद स्वर्गीय वीरभद्र सिंह पवन काजल को कांग्रेस पार्टी में ले आए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव भी पवन काजल ने कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद लड़े थे और जीते थे, लेकिन इस मर्तबा पवन काजल ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़े हैं. वहीं, यह माना जाता रहा है कि जिस उम्मीदवार के साथ चौधरी समुदाय का साथ होता है वही उम्मीदवार जीत दर्ज करता है. (Surender Kumar VS Pawan Kumar Kajal) (BJP Candidate Pawan Kumar Kajal )

नालागढ़ से हारे लखविंदर सिंह राणा: साल 2011 में हरि नारायण सिंह की मृत्यु होने के चलते उपचुनाव हुआ यहां पर कांग्रेस के टिकट से लखविंदर राणा ने चुनाव लड़ा और वे जीते, उसके बाद साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ कर केएल ठाकुर ने नालागढ़ सीट जीती उसके बाद फिर समीकरण बदले और साल 2017 में लखविंदर कांग्रेस की टिकट से चुनकर आए, इस बार लखविंदर राणा भाजपा से चुनावी मैदान में थे और केएल ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर चुनावी मैदान में थे.इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी किशन लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की है.

नालागढ़ विधानसभा सीट पर अब तक ये रहे विधायक: आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2007 के बाद हुए चुनाव में कोई भी विधायक मिशन रिपीट नालागढ़ में नहीं कर पाया है, साल 1967 और 1972 में अर्जेन सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ कर चुनाव जीते थे,उसके बाद 1977 में जनता पार्टी से विजयेंद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और जीते उसके बाद साल 1982, 1985 ,1990 और 1993 में लगातार चार बार कांग्रेस के टिकट पर विजयेद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और जीता. उसके बाद साल 1998 2003 और 2007 में नालागढ़ सीट पर भाजपा का कब्जा रहा यहां पर 3 मर्तबा हरि नारायण सिंह ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और चुनाव जीतते आए.

वहीं, राजनीतिक पंडितों का मानना था कि चुनावी साल में कांग्रेस में तोडफोड़ करके भाजपा को कोई खास लाभ नहीं होगा. भाजपा वैसे तो कैडर की मजबूती का दावा करती है, लेकिन हाल ही के समय में विपक्ष में तोडफ़ोड़ का मॉडल अपना रही है. हिमाचल में मतदाता जागरूक है और अपने विवेक से फैसला लेता है. ऐसे में एक सीट पर जीत और एक पर हारने को लेकर बीजेपी में मंथन का दौर शुरू हो गया है.

पढ़ें- kangra assembly seat result: कांगड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी के पवन काजल आगे, कांग्रेस दूसरे नंबर पर

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