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आईजीएमसी में बेड की कमी, मजबूरन अस्पताल की गैलरी में कई दिनों से स्ट्रेचर पर पड़ें हैं मरीज

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में बेड की कमी की वजह से मरीजों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. इतना ही नहीं, मरीजों को समय से इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल में भर्ती कई मरीजों का कहना है कि 10 से 15 दिनों से वे स्ट्रेचर पर अस्पताल की गैलरी में पड़े हुए हैं. वहीं, आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज का कहना है कि अस्पताल में आने वाले किसी भी मरीज को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने की दी जा रही है.

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Published : Sep 2, 2021, 7:57 PM IST

शिमला: प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इनके दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में बेड की कमी की वजह से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ऑर्थो विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीज दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहे हैं. प्रशासन ऑर्थों विभाग में मरीजों के लिए बेड तक का इंतजाम नहीं कर पाया है. यही हाल ट्रामा वार्ड का भी है. यहां बेड खाली नहीं होने की स्थिति में मरीजों को वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर सुलाया जा रहा है.

गैलरी में मरीजों को सुलाए जाने की वजह से यहां से गुजरने वाले अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऑर्थो के मरीजों का समय से डॉक्टर इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. नाम ना छापने की शर्त कुछ मरीजों का कहना है कि उन्हें स्ट्रेचर पर सुलाए हुए 10 से 15 दिन हो चुके हैं. लेकिन, अभी तक डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए नहीं पूछा गया है. अब स्थिति यह बन चुकी है कि ना तो ऑपरेशन हो रहा है और ना ही बेड मिल रहा है.

आईजीएमसी में 60 प्रतिशत से भी ज्यादा ऐसे मरीज होते है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है. वे मरीज अस्पताल में ओपीडी व वार्डों के बाहर बिस्तर लगाकर राते गुजार रहे हैं. उन्हें डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए एक के बाद एक डेट दी जाती है. इसके अलावा कैंसर व अन्य बीमारियों के मरीज भी दो से चार महीनें से आईजीएमसी में अपना बिस्तर लगाए बैठे हैं. इस स्थिति में मरीजों का पैसा भी खर्च हो ही रहा है और परेशानी में कई गुणा बढ़ गई हैं.

इन दिनों आईजीएमसी में रोजाना 3000 से 3200 के बीच ओपीडी है. इनमें से काफी सारे मरीज अस्पताल में भर्ती भी होते हैं और कुछ मरीज फिर वार्ड में भर्ती भी नहीं हो पाते हैं. डॉक्टरों को जब यह पता है कि रोजाना मरीजों की बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में उन्हें मरीजों के ऑपरेशन समय से किए जाने चाहिए. दूर-दराज इलाके से आए मरीज के साथ तीमारदार बेड के गुहार लगा रहे हैं. इन दिनों अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में सबसे ज्यादा ऑर्थों के मरीज आते हैं. जब कहीं कोई एक्सीडेंट होता है तो गंभीर हालत में मरीजों को आपातकालीन वार्ड में लाया जाता है. ऐसे में यहां पर मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है.

लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आईजीएमसी प्रशासन कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए मेक शिफ्ट अस्पताल का सहारा ले रहा है. आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने बताया कि कई बार मरीजों की संख्या बढ़ने पर मरीजों को स्ट्रेचर पर रखा जाता है. किसी भी मरीजों को कोई दिक्कतें नहीं आने दी जा रही है. अस्पताल में सभी मरीजों का अच्छे से इलाज किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: HPU के लिए सिरदर्द बना ERP सिस्टम, अब ABVP ने किया डीन ऑफ स्टडीज का घेराव

शिमला: प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इनके दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में बेड की कमी की वजह से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ऑर्थो विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीज दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहे हैं. प्रशासन ऑर्थों विभाग में मरीजों के लिए बेड तक का इंतजाम नहीं कर पाया है. यही हाल ट्रामा वार्ड का भी है. यहां बेड खाली नहीं होने की स्थिति में मरीजों को वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर सुलाया जा रहा है.

गैलरी में मरीजों को सुलाए जाने की वजह से यहां से गुजरने वाले अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऑर्थो के मरीजों का समय से डॉक्टर इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. नाम ना छापने की शर्त कुछ मरीजों का कहना है कि उन्हें स्ट्रेचर पर सुलाए हुए 10 से 15 दिन हो चुके हैं. लेकिन, अभी तक डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए नहीं पूछा गया है. अब स्थिति यह बन चुकी है कि ना तो ऑपरेशन हो रहा है और ना ही बेड मिल रहा है.

आईजीएमसी में 60 प्रतिशत से भी ज्यादा ऐसे मरीज होते है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है. वे मरीज अस्पताल में ओपीडी व वार्डों के बाहर बिस्तर लगाकर राते गुजार रहे हैं. उन्हें डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए एक के बाद एक डेट दी जाती है. इसके अलावा कैंसर व अन्य बीमारियों के मरीज भी दो से चार महीनें से आईजीएमसी में अपना बिस्तर लगाए बैठे हैं. इस स्थिति में मरीजों का पैसा भी खर्च हो ही रहा है और परेशानी में कई गुणा बढ़ गई हैं.

इन दिनों आईजीएमसी में रोजाना 3000 से 3200 के बीच ओपीडी है. इनमें से काफी सारे मरीज अस्पताल में भर्ती भी होते हैं और कुछ मरीज फिर वार्ड में भर्ती भी नहीं हो पाते हैं. डॉक्टरों को जब यह पता है कि रोजाना मरीजों की बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में उन्हें मरीजों के ऑपरेशन समय से किए जाने चाहिए. दूर-दराज इलाके से आए मरीज के साथ तीमारदार बेड के गुहार लगा रहे हैं. इन दिनों अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में सबसे ज्यादा ऑर्थों के मरीज आते हैं. जब कहीं कोई एक्सीडेंट होता है तो गंभीर हालत में मरीजों को आपातकालीन वार्ड में लाया जाता है. ऐसे में यहां पर मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है.

लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आईजीएमसी प्रशासन कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए मेक शिफ्ट अस्पताल का सहारा ले रहा है. आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने बताया कि कई बार मरीजों की संख्या बढ़ने पर मरीजों को स्ट्रेचर पर रखा जाता है. किसी भी मरीजों को कोई दिक्कतें नहीं आने दी जा रही है. अस्पताल में सभी मरीजों का अच्छे से इलाज किया जा रहा है.

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