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हिमाचल में स्कूल खोलने का फैसला, अभिभावक बोले- जिम्मेदारी से भाग रही सरकार

प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी स्टाफ स्कूलों में आएगा. वहीं, छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं. वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है.

स्कूल खोलने पर अभिभावकों के विचार
स्कूल खोलने पर अभिभावकों के विचार
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Published : Sep 19, 2020, 7:25 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 1:01 PM IST

शिमला: प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी स्टाफ स्कूलों में आएगा. वहीं, छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं.

वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि प्रदेश में कोविड 19 के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में स्कूलों को खोलने का यह फैसला सरकार को नहीं लेना चाहिए था.

वहीं, छात्रों को स्कूल जाने के लिए अभिभावकों से लिखित में परमिशन लेकर आना होगा. अभिभावकों से अनुमति मिलने पर ही छात्र स्कूल आ सकेंगे. सरकार के इस तरह के नियमों से यह साफ है कि सरकार किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहती है.

वीडियो रिपोर्ट

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के स्कूल जाने पर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. बच्चे स्कूल जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोटेशन का इस्तेमाल करेंगे. साथ ही स्कूल में दूसरे छात्रों से मिलने और उनमें किसी के कोरोना पॉजिटिव निकलने से कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. ऐसे में सरकार भी बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है.

अभी तक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा था. मार्च से ही छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. छात्र से लंबे समय से ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. यहां तक की परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही करवा दी गई हैं. ऐसे में अब कोरोना के मामले बढ़ने पर सरकार इतना बड़ा जोखिम लेकर छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी गई है.

अभिभावकों का कहना है कि छात्रों के स्कूल जाने पर वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पाएंगे. साथ ही अपने दोस्तों से बिना मिले रहेंगे. ऐसे में बच्चों के कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अभिभावकों का मानना है कि अभी कुछ समय के लिए परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को यह फैसला नहीं लेना चाहिए था.

सरकार ने यह लिया है फैसला

जयराम मंत्रिमंडल के लिए गए फैसले के अनुसार 21 सितंबर से प्रदेश के स्कूलों में 50 फीसदी स्टाफ रहेगा. साथ ही 9वीं से 12वीं के छात्र भी शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अपने अभिभावकों की लिखित में अनुमति लेकर स्कूल आ सकते हैं. हालांकि, स्कूलों में नियमित कक्षाएं छात्रों के नहीं लगेंगी और ना ही अन्य गतिविधियां स्कूलों में होंगी.

वहीं, शिक्षकों को छात्रों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करना होगा. परामर्श लेने के लिए स्कूल आए छात्रों को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के अभिभावक सरकार के इस फैसले से खुश नजर नहीं आ रहे हैं. इसके पीछे का एक बड़ा कारण प्रदेश में कोविड-19 के बढ़ते मामले भी हैं. ऐसे में अपने बच्चों को अभिभावक खतरे में नहीं डालना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: अभिभावकों को सता रहा कोरोना का डर, बोले- स्कूल खोलने पर जल्दबाजी न करे सरकार

शिमला: प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी स्टाफ स्कूलों में आएगा. वहीं, छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं.

वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि प्रदेश में कोविड 19 के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में स्कूलों को खोलने का यह फैसला सरकार को नहीं लेना चाहिए था.

वहीं, छात्रों को स्कूल जाने के लिए अभिभावकों से लिखित में परमिशन लेकर आना होगा. अभिभावकों से अनुमति मिलने पर ही छात्र स्कूल आ सकेंगे. सरकार के इस तरह के नियमों से यह साफ है कि सरकार किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहती है.

वीडियो रिपोर्ट

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के स्कूल जाने पर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. बच्चे स्कूल जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोटेशन का इस्तेमाल करेंगे. साथ ही स्कूल में दूसरे छात्रों से मिलने और उनमें किसी के कोरोना पॉजिटिव निकलने से कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. ऐसे में सरकार भी बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है.

अभी तक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा था. मार्च से ही छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. छात्र से लंबे समय से ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. यहां तक की परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही करवा दी गई हैं. ऐसे में अब कोरोना के मामले बढ़ने पर सरकार इतना बड़ा जोखिम लेकर छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी गई है.

अभिभावकों का कहना है कि छात्रों के स्कूल जाने पर वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पाएंगे. साथ ही अपने दोस्तों से बिना मिले रहेंगे. ऐसे में बच्चों के कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अभिभावकों का मानना है कि अभी कुछ समय के लिए परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को यह फैसला नहीं लेना चाहिए था.

सरकार ने यह लिया है फैसला

जयराम मंत्रिमंडल के लिए गए फैसले के अनुसार 21 सितंबर से प्रदेश के स्कूलों में 50 फीसदी स्टाफ रहेगा. साथ ही 9वीं से 12वीं के छात्र भी शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अपने अभिभावकों की लिखित में अनुमति लेकर स्कूल आ सकते हैं. हालांकि, स्कूलों में नियमित कक्षाएं छात्रों के नहीं लगेंगी और ना ही अन्य गतिविधियां स्कूलों में होंगी.

वहीं, शिक्षकों को छात्रों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करना होगा. परामर्श लेने के लिए स्कूल आए छात्रों को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के अभिभावक सरकार के इस फैसले से खुश नजर नहीं आ रहे हैं. इसके पीछे का एक बड़ा कारण प्रदेश में कोविड-19 के बढ़ते मामले भी हैं. ऐसे में अपने बच्चों को अभिभावक खतरे में नहीं डालना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: अभिभावकों को सता रहा कोरोना का डर, बोले- स्कूल खोलने पर जल्दबाजी न करे सरकार

Last Updated : Sep 20, 2020, 1:01 PM IST
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