शिमला: सीएम जयराम ठाकुर को अपने ही गृह जिला में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. सीएम जयराम ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट बल्ह में प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर विरोध जारी है. बेशक जयराम ठाकुर और उनके मंत्री इस विरोध को प्रायोजित बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर जमीन पर जनता पूरी तरह मुखर है.
दिल्ली दौरे पर भी किया ड्रीम प्रोजेक्ट का जिक्र
यही नहीं जिला मंडी से भाजपा को भारी समर्थन मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत सभी विधायक विरोध करने वालों को शांत नहीं कर पा रहे हैं. जनसभाओं से लेकर विधानसभा और विधानसभा से लेकर दिल्ली की चौखट तक जयराम अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर हर बार मुखर रहते आए हैं. दो दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान भी मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री से लेकर हरदीप पुरी तक जिससे भी मिले, उनसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का जिक्र करना नहीं भूले.
स्थानीय जनता लगातार कर रही विरोध
बल्ह में हवाई अड्डे का स्थानीय जनता लगातार विरोध कर रही है. विरोध करने वाली संघर्ष समिति का कहना है कि जिस जमीन पर हवाई अड्डा और हवाई पट्टी का निर्माण होना प्रस्तावित है, वह एशिया की सबसे उपजाऊ जमीन में से एक है. यहां लोग नकदी फसलों और सब्जियों के सहारे जीवन चलाते हैं. प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में आठ गांव सियांह, टान्वा, जरलू, कुम्मी, छात्तरू, ढाबण, भौर, डुंगराइ के लगभग 2500 स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं. जिनकी आबादी 12000 से अधिक है और अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन हो जाएंगे.
गैर उपजाऊ जमीन पर बनाया जाए हवाई अड्डा
संघर्ष समिति का कहना है कि बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान ही मिट जाएगा. बल्ह कि जनता जो नकदी फसलें उगाकर जीवन चला रही है, उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा, वह पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे. समिति ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जो कि अपने आप भी किसान हैं, वह बल्ह के किसानों की उपजाऊ जमीन को बर्बाद करने पर क्यों तुले हुए हैं. जबकि जिला में गैर उपजाऊ जमीन पर हवाई अड्डे को बनाया जा सकता है.
बल्ह के सभी गांवों में चलाया जाएगा जनसंपर्क अभियान
समिति का मानना है कि जयराम सरकार एक तरफा फैसला बल्ह के किसानों के उपर थोप रही है, जिसे कदापि सहन नहीं किया जाएगा. कोरोना महामारी के उपरांत बल्ह के सभी गावों में जन-संपर्क अभियान चलाया जाएगा और सरकार के खिलाफ संघर्ष कि रुपरेखा तैयार कि जाएगी. सरकार से मांग की जाती है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाए और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए. बल्ह ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने हेतु लिडार (लेसर) के माध्यम से सर्वे करवा कर उसके उपरांत जल्दी से उनके ड्रीम परियोजना का खाखा तैयार किया जाए और उनका सपना पूरा हो सके.
2018 में ओएलएस ने किया सर्वे
बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, जोगिन्दर वालिया व सचिव नन्द लाल वर्मा ने हैरानी जताते हुए कहा कि अक्टूबर 2018 में ओएलएस द्वारा जो सर्वे किया जा चुका है, जिस पर उड़ान विभाग ने 1 करोड़ खर्च करने के उपरांत 15 जनवरी 2020 को हिमाचल सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार के बीच एक इकरार नामा भी किया जा चुका है. जिसके अनुसार 51 और 49 फीसदी शेयर के अनुसार 2150 मीटर रनवे व ATR-72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलु उड़ान के लिए ही प्रस्तावित है.
अगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बोइंग-320 के लिए बनाना है तो उसके लिए 3150 मीटर लम्बी हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी. उसके लिए ओएलएस सर्वे के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़िया (बंदली धार) 500 मीटर तक काटनी पड़ेगी, जो की कभी भी संभव नहीं है. अब दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नए सिरे से 5 करोड़ खर्च कर लिडार सर्वे के माध्यम से हर हालत में अपने ड्रीम परियोजना को पूरा करना चाहते हैं. जो कि कभी भी संभव नहीं है. हम पूछना चाहते हैं बल्ह की उपजाऊ भूमि में ही घरेलू उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों किया जा रहा है. अत मांग कि जाती है कि इसे गैर उपजाऊ जमीन पर कही दूसरी जगह बनाया जाए.
संघर्ष समिति ने उठाई मांग
सरकार से मांग कि जाती है कि प्रस्तावित लिडार सर्वे को मंडी के ऐसी जगह करवाया जाए, जहां पर बिना पहाड़ काटे कम लागत से, बिना किसानों को उजाड़े 3150 मीटर हवाई पट्टी में ड्रीम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण किया जा सके. उस जगह पर सर्वे करवाया जाए. अन्यथा प्रस्तावित 72 सीटर हवाई जहाज के लिए मंडी जिला में ही नंदगढ़, ढांगसीधार, मौवीसेरी आदि उपयुक्त जगह में बनाया जाए.
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