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देवभूमि की धरती को चार चांद लगाएंगे एक करोड़ पौधे, हिमाचल का ग्रीन कवर बढ़ना तय

देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धरती इस बार एक करोड़ पौधों से अपना शृंगार करेगी. राज्य की 14 हजार हेक्टेयर भूमि पर एक करोड़ पौधे रोपे जाएंगे. ग्रीन कवर के लिहाज से हिमाचल का रिकॉर्ड देश में शानदार है. मौजूदा साल में कल से यानी मंगलवार व बुधवार को बड़े पैमाने पर पौधरोपण अभियान शुरू होगा. दो दिन में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है. स्टेट रेड क्रॉस सोसाइटी (State Red Cross Society) अकेले ही स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से एक लाख पौधे लगाएगी.

One crore plants to be planted in Himachal Pradesh
फोटो.
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Published : Jul 19, 2021, 10:46 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धरती इस बार एक करोड़ पौधों से अपना शृंगार करेगी. राज्य की 14 हजार हेक्टेयर भूमि पर एक करोड़ पौधे रोपे जाएंगे. ग्रीन कवर के लिहाज से हिमाचल का रिकॉर्ड देश में शानदार है. हिमाचल को एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट स्टेट का गौरव भी मिल चुका है. साल दर साल यहां का ग्रीन कवर बढ़ रहा है. हिमाचल ने अपने ग्रीन कवर को 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. इस बार भी वन विभाग (Forest department) बरसात में वन महोत्सव के माध्यम से एक करोड़ पौधे रोप रहा है.

मौजूदा साल में मंगलवार व बुधवार को बड़े पैमाने पर पौधरोपण अभियान शुरू होगा. दो दिन में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है. स्टेट रेड क्रॉस सोसाइटी (State Red Cross Society) अकेले ही स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से एक लाख पौधे लगाएगी. तीन साल पूर्व हिमाचल में तीन दिन तक चले अभियान में स्कूली बच्चों, आम जनता, युवक मंडलों सहित अन्य संस्थानों ने 26.5 लाख पौधे लगाए थे.

इसी तरह वर्ष 2019 में वन महोत्सव के तहत 5 दिवसीय अभियान में 31.60 लाख पौधे लगाए गए थे. यही कारण है कि हिमाचल का ग्रीन कवर लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश समूचे एशिया में पहला ऐसा राज्य है, जिसे विश्व बैंक से कार्बन क्रेडिट मिला है. कार्बन क्रेडिट (carbon credit) का मतलब है कि वातावरण से कार्बन कम करना और ऑक्सीजन बढ़ाना.

पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विश्व बैंक ने हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के लिए 1.93 करोड़ रुपए की इनामी राशि मिल चुकी है. हिमाचल प्रदेश में 37,948 स्कवेयर किलोमीटर क्षेत्र को वन क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसमें से 4.96 प्रतिशत रिजर्व फॉरेस्ट एरिया, 33.87 प्रतिशत सीमांकित वन, 42.25 प्रतिशत गैर सीमांकित संरक्षित वन और 18.87 प्रतिशत अन्य वन हैं.

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का ग्रीन कवर 27.72 है. हिमाचल प्रदेश का लक्ष्य 2030 तक इसे 30 प्रतिशत करना है. आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 के मुकाबले 2019 में ग्रीन कवर में 334 स्क्वायर किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई. उस दौरान प्रदेश में डेंस और मीडियम डेंस फॉरेस्ट यानी अधिक घनत्व और मध्यम घनत्व वाले वन क्षेत्र बढ़े.

वर्ष 2017 की फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट में हिमाचल का ग्रीन कवर 15,100 स्कवेयर किलोमीटर था. अगली रिपोर्ट यानी 2019 में ये बढक़र 15,434 वर्ग किलोमीटर हुआ. यहा हिमाचल के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. ताजा सर्वे रिपोर्ट इस साल आनी है. हर दो साल बाद ये रिपोर्ट आती है. हिमाचल की पूरी वन संपदा डेढ़ लाख करोड़ रुपए की है. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पौधरोपण की समृद्ध परंपरा है. यदि पूर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हिमाचल में वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे गए हैं.

इसके बाद के समय में भी सालाना पौधे रोपने का औसत एक करोड़ पौधों से अधिक का ही है. इनका सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी से अधिक है. इस बार भी एक करोड़ पौधे रोपे जा रहे हैं. हिमाचल में औषधीय पौधों को रोपने का अभियान भी साथ-साथ चलता है. औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा व आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. राज्य में जंगली फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं. इसका मकसद बंदरों को वनों में ही आहार उपलब्ध करवाना है.

आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख और वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. राज्य में वन संपदा के कई दिलचस्प पहलू हैं. हिमाचल में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 प्रोटेक्टेड क्षेत्र हैं अर्थात इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.

आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2017 में राज्य में फॉरेस्ट कवर 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. रिकॉर्ड फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है. प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं. हिमाचल के वनों में औषधीय प्रजातियों की संख्या 109 है और 99 प्रजातियों के छोटे पेड़ हैं.

एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि हिमाचल की राजधानी और हिल्स क्वीन के नाम से विख्यात शिमला शहर में 55 हजार के करीब पेड़ हैं. इनमें से अधिकांश पेड़ देवदार के हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में ग्रीन फैलिंग यानी हरे पेड़ के कटान पर प्रतिबंध है. यहां तक कि कोई भी व्यक्ति पेड़ की टहनी भी नहीं काट सकता.

बता दें कि हिमाचल में पहले सेब की पेटियां बनाने के लिए पेड़ काटे जाते थे, लेकिन 1983 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) ने सत्ता में आने के बाद से ग्रीन फैलिंग पर रोक लगाई थी. यह रोक अभी भी जारी है. हिमाचल में लोक परंपरा के तहत कई देवताओं के पास अपने वन हैं और वहां कोई भी पेड़ अथवा टहनी को काट नहीं सकता. हिमाचल के वन मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि वन विभाग रोपे जाने वाले पौधों के सर्वाइवल पर काम करेगा.

ये भी पढ़ें- अनियंत्रित होकर पेड़ से टकराई बुलेट, पंजाब के एक युवक की मौत, 1 की हालत गंभीर

शिमला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धरती इस बार एक करोड़ पौधों से अपना शृंगार करेगी. राज्य की 14 हजार हेक्टेयर भूमि पर एक करोड़ पौधे रोपे जाएंगे. ग्रीन कवर के लिहाज से हिमाचल का रिकॉर्ड देश में शानदार है. हिमाचल को एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट स्टेट का गौरव भी मिल चुका है. साल दर साल यहां का ग्रीन कवर बढ़ रहा है. हिमाचल ने अपने ग्रीन कवर को 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. इस बार भी वन विभाग (Forest department) बरसात में वन महोत्सव के माध्यम से एक करोड़ पौधे रोप रहा है.

मौजूदा साल में मंगलवार व बुधवार को बड़े पैमाने पर पौधरोपण अभियान शुरू होगा. दो दिन में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है. स्टेट रेड क्रॉस सोसाइटी (State Red Cross Society) अकेले ही स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से एक लाख पौधे लगाएगी. तीन साल पूर्व हिमाचल में तीन दिन तक चले अभियान में स्कूली बच्चों, आम जनता, युवक मंडलों सहित अन्य संस्थानों ने 26.5 लाख पौधे लगाए थे.

इसी तरह वर्ष 2019 में वन महोत्सव के तहत 5 दिवसीय अभियान में 31.60 लाख पौधे लगाए गए थे. यही कारण है कि हिमाचल का ग्रीन कवर लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश समूचे एशिया में पहला ऐसा राज्य है, जिसे विश्व बैंक से कार्बन क्रेडिट मिला है. कार्बन क्रेडिट (carbon credit) का मतलब है कि वातावरण से कार्बन कम करना और ऑक्सीजन बढ़ाना.

पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विश्व बैंक ने हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के लिए 1.93 करोड़ रुपए की इनामी राशि मिल चुकी है. हिमाचल प्रदेश में 37,948 स्कवेयर किलोमीटर क्षेत्र को वन क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसमें से 4.96 प्रतिशत रिजर्व फॉरेस्ट एरिया, 33.87 प्रतिशत सीमांकित वन, 42.25 प्रतिशत गैर सीमांकित संरक्षित वन और 18.87 प्रतिशत अन्य वन हैं.

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल का ग्रीन कवर 27.72 है. हिमाचल प्रदेश का लक्ष्य 2030 तक इसे 30 प्रतिशत करना है. आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 के मुकाबले 2019 में ग्रीन कवर में 334 स्क्वायर किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई. उस दौरान प्रदेश में डेंस और मीडियम डेंस फॉरेस्ट यानी अधिक घनत्व और मध्यम घनत्व वाले वन क्षेत्र बढ़े.

वर्ष 2017 की फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट में हिमाचल का ग्रीन कवर 15,100 स्कवेयर किलोमीटर था. अगली रिपोर्ट यानी 2019 में ये बढक़र 15,434 वर्ग किलोमीटर हुआ. यहा हिमाचल के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. ताजा सर्वे रिपोर्ट इस साल आनी है. हर दो साल बाद ये रिपोर्ट आती है. हिमाचल की पूरी वन संपदा डेढ़ लाख करोड़ रुपए की है. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पौधरोपण की समृद्ध परंपरा है. यदि पूर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हिमाचल में वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे गए हैं.

इसके बाद के समय में भी सालाना पौधे रोपने का औसत एक करोड़ पौधों से अधिक का ही है. इनका सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी से अधिक है. इस बार भी एक करोड़ पौधे रोपे जा रहे हैं. हिमाचल में औषधीय पौधों को रोपने का अभियान भी साथ-साथ चलता है. औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा व आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. राज्य में जंगली फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं. इसका मकसद बंदरों को वनों में ही आहार उपलब्ध करवाना है.

आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख और वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. राज्य में वन संपदा के कई दिलचस्प पहलू हैं. हिमाचल में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 प्रोटेक्टेड क्षेत्र हैं अर्थात इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.

आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2017 में राज्य में फॉरेस्ट कवर 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. रिकॉर्ड फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है. प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं. हिमाचल के वनों में औषधीय प्रजातियों की संख्या 109 है और 99 प्रजातियों के छोटे पेड़ हैं.

एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि हिमाचल की राजधानी और हिल्स क्वीन के नाम से विख्यात शिमला शहर में 55 हजार के करीब पेड़ हैं. इनमें से अधिकांश पेड़ देवदार के हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में ग्रीन फैलिंग यानी हरे पेड़ के कटान पर प्रतिबंध है. यहां तक कि कोई भी व्यक्ति पेड़ की टहनी भी नहीं काट सकता.

बता दें कि हिमाचल में पहले सेब की पेटियां बनाने के लिए पेड़ काटे जाते थे, लेकिन 1983 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) ने सत्ता में आने के बाद से ग्रीन फैलिंग पर रोक लगाई थी. यह रोक अभी भी जारी है. हिमाचल में लोक परंपरा के तहत कई देवताओं के पास अपने वन हैं और वहां कोई भी पेड़ अथवा टहनी को काट नहीं सकता. हिमाचल के वन मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि वन विभाग रोपे जाने वाले पौधों के सर्वाइवल पर काम करेगा.

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