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IGMC में मरीजों के रिकॉर्ड रखने की जगह नहीं, लोगों को झेलनी पड़ रही परेशानी

प्रदेश में मरीजों को बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को परेशानी  झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों का पिछला रिकॉर्ड रखने की जगह नहीं बची है. घंटों ढूंढने के बाद भी दस्तावेज लोगों को नहीं मिल पाते हैं.

No record keeping space In IGMC
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Published : Nov 26, 2019, 5:50 PM IST

शिमला: प्रदेश में मरीजों को बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों का पिछला रिकॉर्ड रखने की जगह नहीं बची है. इसके कारण रिकॉर्ड रूम में मरीजों के जरूरी दस्तावेज इधर-उधर जमीन पर बिखरे पड़े रहते हैं. घंटों ढूंढने के बाद भी दस्तावेज लोगों को नहीं मिल पाते हैं.

आईजीएमसी के निर्माण के समय उसी हिसाब से रिकॉर्ड रूम बनाया गया था, लेकिन अब हजारों की तादाद में मरीज दूरदराज के इलाकों से इलाज के लिए आते है. लगभग एक हजार के मरीज अस्पताल में दाखिल रहते हैं. डिस्चार्ज के बाद फाइल रिकॉर्ड रूम में रख दी जाती है. इसके अलावा दुर्घटना के मरीज हर रोज आते हैं और उनका रिकॉर्ड रखना भी जरूरी रहता है.

इसके अलावा अस्प्ताल में कैंसर के मरीज भी आते हैं जिनकी फाइल अस्प्ताल में जमा हो जाती है. फिर कभी जब मरीज इलाज के लिए आता हैं तो उसे रिकॉर्ड रूम से पिछली रिपोर्ट डॉक्टर को दिखानी होती है. इसके बाद ही मरीज का इलाज किया जाता है, लेकिन पिछला रिकॉर्ड के दस्तावेज न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ रहा है.

यहीं नहीं ऑर्थो के मरीज और हार्ट के मरीजों के इलाज के लिए आने पर उनसे भी पहले का रिकॉर्ड मांगते है, लेकिन आइजीएमसी के रिकॉर्ड रूम में मरीजों के रिकॉर्ड इस तरह पड़े रहते हैं जैसे रद्दी के कागज पड़े हों. लोगो आने जाने के लिए भी रास्ता नही मिलता है.

बता दें कि वैसे तो 10 साल तक के रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है, लेकिन वर्तमान में 2 साल पहले का रिकॉर्ड भी मरीजों को नहीं मिलता है. तीमारदार रिकार्ड रूम के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन रिकॉर्ड ढूंढकर भी नहीं मिलता है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: भाजपा कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियां लोगों तक पहुचाएं: सीएम

शिमला: प्रदेश में मरीजों को बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों का पिछला रिकॉर्ड रखने की जगह नहीं बची है. इसके कारण रिकॉर्ड रूम में मरीजों के जरूरी दस्तावेज इधर-उधर जमीन पर बिखरे पड़े रहते हैं. घंटों ढूंढने के बाद भी दस्तावेज लोगों को नहीं मिल पाते हैं.

आईजीएमसी के निर्माण के समय उसी हिसाब से रिकॉर्ड रूम बनाया गया था, लेकिन अब हजारों की तादाद में मरीज दूरदराज के इलाकों से इलाज के लिए आते है. लगभग एक हजार के मरीज अस्पताल में दाखिल रहते हैं. डिस्चार्ज के बाद फाइल रिकॉर्ड रूम में रख दी जाती है. इसके अलावा दुर्घटना के मरीज हर रोज आते हैं और उनका रिकॉर्ड रखना भी जरूरी रहता है.

इसके अलावा अस्प्ताल में कैंसर के मरीज भी आते हैं जिनकी फाइल अस्प्ताल में जमा हो जाती है. फिर कभी जब मरीज इलाज के लिए आता हैं तो उसे रिकॉर्ड रूम से पिछली रिपोर्ट डॉक्टर को दिखानी होती है. इसके बाद ही मरीज का इलाज किया जाता है, लेकिन पिछला रिकॉर्ड के दस्तावेज न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ रहा है.

यहीं नहीं ऑर्थो के मरीज और हार्ट के मरीजों के इलाज के लिए आने पर उनसे भी पहले का रिकॉर्ड मांगते है, लेकिन आइजीएमसी के रिकॉर्ड रूम में मरीजों के रिकॉर्ड इस तरह पड़े रहते हैं जैसे रद्दी के कागज पड़े हों. लोगो आने जाने के लिए भी रास्ता नही मिलता है.

बता दें कि वैसे तो 10 साल तक के रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है, लेकिन वर्तमान में 2 साल पहले का रिकॉर्ड भी मरीजों को नहीं मिलता है. तीमारदार रिकार्ड रूम के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन रिकॉर्ड ढूंढकर भी नहीं मिलता है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: भाजपा कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियां लोगों तक पहुचाएं: सीएम

Intro:आइजीएमसी के रिकार्ड रूम में मरीजो के रिकार्ड रखने की जगह नही।
1लाख कीजगह रखे 5 लाख से अधिक रिकार्ड
पिछले रिकार्ड के लिए भटक रहे मरीज।
शिमला।
प्रदेश में मरीजो को बेहतर सुबिधा देने का दावा करने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्प्ताल आए दिन मरीजो व तीमारदारों के लिए परेशानी का सबब बनतीं जा रही है। अस्प्ताल में मरीजो का पिछला रिकार्ड रखने की जगह नही बची है। जिसके कारण रिकार्ड रूम में मरीजो के जरूरी दस्तावेज इधर-उधर जमीन पर बिखरा पड़ा रहता है।


Body:आइजीएमसी जब बना था तब उसी हिसाब से रिकार्ड रूम बनाया गया था पहले सेंकडो में मरीज आते थे और अब हजारों की तादाद में मरीज दूरदराज के इलाकों से ईलाज के लिए आते है जिनमे 1000 के लगभग मरीज दाखिल रहते है। जिनका डिस्चार्ज के बाद फ़ाइल रिकार्ड रूम में रख दी जाती । इसके अलावा दुर्घटना के मरीज प्रतिदिन आते है और उनका रिकार्ड रखना जरूरी रहता है।


Conclusion:इसके अलावा अस्प्ताल में कैंसर के मरीज भी आते है जिनकी फाइल अस्प्ताल में जमा हो जाती है और फिर कभी जब मरीज ईलाज के लिए आता है तो उसे रिकार्ड रूम।से पिछला रिपोर्ट चिकित्सक को दिखाना होता है उसके बाद ही मरीज का ईलाज किया जाता है। यही नही ऑर्थो के मरीज जिन्हें स्टंट पड़ा होता है व हार्ट के मरीज जिन्हें स्टंट पड़ा होता है जब ईलाज के लिए आते है तो पहले का रिकार्ड मांगते है ।लेकिन आइजीएमसी के रिकार्ड रूम में मरीजो के रिकार्ड इस तरह पड़े रहते है जैसे रद्दी कागज हो । लोगो आने जाने के लिए भी रास्ता नही मिलता है।
वैसे तो 10 साल तक के रिकार्ड रखना जरूरी होता है लेकिन वर्तमान में 2 साल पहले का रिकार्ड भी मरीजो को नही मिलता है।

तीमारदार रिकार्ड रूम के चक्कर लगाते रहते है लेकिन रिकार्ड ढूंढे नही मिलता है।
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