शिमला: प्रदेश में मरीजों को बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों का पिछला रिकॉर्ड रखने की जगह नहीं बची है. इसके कारण रिकॉर्ड रूम में मरीजों के जरूरी दस्तावेज इधर-उधर जमीन पर बिखरे पड़े रहते हैं. घंटों ढूंढने के बाद भी दस्तावेज लोगों को नहीं मिल पाते हैं.
आईजीएमसी के निर्माण के समय उसी हिसाब से रिकॉर्ड रूम बनाया गया था, लेकिन अब हजारों की तादाद में मरीज दूरदराज के इलाकों से इलाज के लिए आते है. लगभग एक हजार के मरीज अस्पताल में दाखिल रहते हैं. डिस्चार्ज के बाद फाइल रिकॉर्ड रूम में रख दी जाती है. इसके अलावा दुर्घटना के मरीज हर रोज आते हैं और उनका रिकॉर्ड रखना भी जरूरी रहता है.
इसके अलावा अस्प्ताल में कैंसर के मरीज भी आते हैं जिनकी फाइल अस्प्ताल में जमा हो जाती है. फिर कभी जब मरीज इलाज के लिए आता हैं तो उसे रिकॉर्ड रूम से पिछली रिपोर्ट डॉक्टर को दिखानी होती है. इसके बाद ही मरीज का इलाज किया जाता है, लेकिन पिछला रिकॉर्ड के दस्तावेज न मिलने पर मरीजों को भटकना पड़ रहा है.
यहीं नहीं ऑर्थो के मरीज और हार्ट के मरीजों के इलाज के लिए आने पर उनसे भी पहले का रिकॉर्ड मांगते है, लेकिन आइजीएमसी के रिकॉर्ड रूम में मरीजों के रिकॉर्ड इस तरह पड़े रहते हैं जैसे रद्दी के कागज पड़े हों. लोगो आने जाने के लिए भी रास्ता नही मिलता है.
बता दें कि वैसे तो 10 साल तक के रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है, लेकिन वर्तमान में 2 साल पहले का रिकॉर्ड भी मरीजों को नहीं मिलता है. तीमारदार रिकार्ड रूम के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन रिकॉर्ड ढूंढकर भी नहीं मिलता है.
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