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कोल्ड डेजर्ट लाहौल-स्पीति में महिलाओं की हुकूमत, तीन साल में रेप का एक भी केस नहीं

देश के कोल्ड डेजर्ट लाहौल-स्पीति में घर से लेकर गांव और गांव से लेकर पूरे जिले में महिलाओं की हुकूमत चलती है. घर का सारा नियंत्रण महिलाओं के हाथ में है. पिछले तीन साल में लाहौल स्पीति में बलात्कार का एक भी केस सामने नहीं आया है. यहां महिला अपराध ना के बराबर है.

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Published : Mar 23, 2021, 7:36 AM IST

Updated : Mar 23, 2021, 7:54 AM IST

शिमला: महिला सशक्तिकरण को लेकर सवा अरब की आबादी वाले भारत को हिमाचल के लाहौल-स्पीति से सीखने की जरूरत है. देश के कोल्ड डेजर्ट लाहौल-स्पीति में घर से लेकर गांव और गांव से लेकर पूरे जिले में महिलाओं की हुकूमत चलती है. घर का सारा नियंत्रण महिलाओं के हाथ में है. यही नहीं खेती-बागवानी में भी महिलाओं का ही सिक्का चलता है. यहां बाल लिंग अनुपात देश भर में सबसे अधिक है. सबसे बड़ी बात ये है कि क्राइम अगेंस्ट वूमेन न के बराबर है.

पिछले तीन साल में लाहौल-स्पीति में बलात्कार का एक भी केस सामने नहीं आया है. यहां का बाल लिंग अनुपात भी देश में सबसे अधिक है. यहां एक हजार लडकों के मुकाबले 1033 लड़कियां हैं. यहां महिला साक्षरता दर भी बेहतरीन है. भारत के अन्य राज्यों को इस कोल्ड डेजर्ट से नारी सशक्तिकरण का सार्थक संदेश सीखने की जरूरत है. लाहौल की संस्कृति महिला सम्मान की सीख देती है. यहां बेटी के जन्म को शुभ माना जाता है. लाहौल-स्पीति में हर मोर्चे पर बेटियों, बहुओं और माताओं की धाक है. कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई का यहां दूर-दूर तक नामो-निशान नहीं है. यहां बेटियों को आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

बेटी के जन्म पर मनाई जाती है खुशी

लाहौल-स्पीति में बेटियों के जन्म पर खुशी मनाई जाती है.उन्हें जीवन में आगे बढऩे के सारे अवसर दिए जाते हैं. मैदानी इलाकों की सामाजिक बुराई दहेज प्रथा की यहां कोई बात तक भी नहीं करता. बेटियों की अहमियत के कारण यहां दहेज प्रथा का दानव अपने पैर नहीं पसार पाया है. लाहौल-स्पीति जिला की आबादी पचास हजार से अधिक है.घर की पूरी कमान महिलाओं के हाथ रहती है.महत्वपूर्ण सामाजिक निर्णय महिलाएं ही लेती हैं. खेती-बाड़ी हो या फिर घरेलू मोर्चे की कोई बात, महिलाएं ही सारे फैसले लेती हैं. यही नहीं, घर के आर्थिक फैसले भी महिलाएं ही लेती हैं. लाहौल से उच्च शिक्षा के लिए शिमला आने वाले लड़के-लड़कियां भी अपनी परंपराओं से जुड़े रहते हैं.

अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं लाहौल स्पीति के युवा

लाहौल-स्पीति छात्र संघ के पदाधिकारी रहे युवा सुशांत कुमार, अजय पॉल, प्रमोद के अनुसार उन्हें अपनी परंपराओं पर गर्व है. अजय पॉल इस समय मेरठ में बैंक अफसर हैं.वे बताते हैं कि पूरे लाहौल-स्पीति में बेटियों को सम्मान की नजर से देखा जाता है. यही नहीं, पढ़ाई करने के लिए बाहर गए युवा साथ में पढऩे वाली लाहौल की लड़कियों की हरसंभव सहायता करते हैं. अजय पॉल याद करते हैं कि एक बार लाहौल की एक बच्ची का पीजीआई चंडीगढ़ में ऑपरेशन होना था और परिवार के पास खर्च उठाने की सामर्थ्य नहीं थी. लाहौल के युवाओं ने घर-घर से पैसे इकट्ठे कर ऑपरेशन का खर्च पूरा किया.

महिलाओं के हाथ होती है हर काम की कमान

हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा लाहौल-स्पीति से ही आते हैं. वे अपने गृह क्षेत्र में नारी शक्ति के सम्मान से अभिभूत हैं. डॉ. मारकंडा ने बताया कि लाहौल-स्पीति में खेतों से लेकर बागीचों और घर से लेकर अन्य मोर्चों पर महिलाएं ही फ्रंट लाइन पर रहती है. घर के सभी महत्वपूर्ण फैसले महिलाओं की सहमति से ही लिए जाते हैं. इस समय लाहौल में फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स चला है, जिसकी पूरी कमान महिलाओं ने ही संभाली है.

डॉ. मारकंडा ने बताया कि लाहौल की संस्कृति महिला सम्मान की संस्कृति है. यहां क्राइम अगेंस्ट वूमेन लगभग जीरो है. तीन साल में बलात्कार का कोई भी केस नहीं है. महिलाओं से मारपीट या घरेलू हिंसा का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. हाल ही में विधानसभा में क्राइम अगेंस्ट वूमेन से जुड़े एक सवाल में जानकारी सामने आई थी कि पूरे लाहौल-स्पीति में रेप का तीन साल में कोई केस नहीं आया.

महिलाओं को सम्मान देने की संस्कृति

इसी तरह कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई भी यहां नहीं पनप सकी हैं. यही कारण है कि यहां का बाल लिंग अनुपात देश में सबसे अधिक है. लाहौल की बेटियों के मुताबिक पूरे जिले में महिलाओं को सम्मान देने की संस्कृति है. शॉलिनी राय बताती हैं कि उनके पिता ने कभी किसी बच्चे पर हाथ नहीं उठाया तो घरेलू हिंसा का सवाल ही पैदा नहीं होता. कूंगा देछेन अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए बताती हैं कि क्राइम अगेंस्ट वूमेन के मामले कभी सुनने में नहीं आते. लाहौल के युवा भी अपनी संस्कृति को भूलते नहीं हैं. यहां संयुक्त परिवार में संस्कार की शिक्षा मिलती है.

ये भी पढ़ें: सुंदरनगर में नाबालिगा के साथ दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार

शिमला: महिला सशक्तिकरण को लेकर सवा अरब की आबादी वाले भारत को हिमाचल के लाहौल-स्पीति से सीखने की जरूरत है. देश के कोल्ड डेजर्ट लाहौल-स्पीति में घर से लेकर गांव और गांव से लेकर पूरे जिले में महिलाओं की हुकूमत चलती है. घर का सारा नियंत्रण महिलाओं के हाथ में है. यही नहीं खेती-बागवानी में भी महिलाओं का ही सिक्का चलता है. यहां बाल लिंग अनुपात देश भर में सबसे अधिक है. सबसे बड़ी बात ये है कि क्राइम अगेंस्ट वूमेन न के बराबर है.

पिछले तीन साल में लाहौल-स्पीति में बलात्कार का एक भी केस सामने नहीं आया है. यहां का बाल लिंग अनुपात भी देश में सबसे अधिक है. यहां एक हजार लडकों के मुकाबले 1033 लड़कियां हैं. यहां महिला साक्षरता दर भी बेहतरीन है. भारत के अन्य राज्यों को इस कोल्ड डेजर्ट से नारी सशक्तिकरण का सार्थक संदेश सीखने की जरूरत है. लाहौल की संस्कृति महिला सम्मान की सीख देती है. यहां बेटी के जन्म को शुभ माना जाता है. लाहौल-स्पीति में हर मोर्चे पर बेटियों, बहुओं और माताओं की धाक है. कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई का यहां दूर-दूर तक नामो-निशान नहीं है. यहां बेटियों को आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

बेटी के जन्म पर मनाई जाती है खुशी

लाहौल-स्पीति में बेटियों के जन्म पर खुशी मनाई जाती है.उन्हें जीवन में आगे बढऩे के सारे अवसर दिए जाते हैं. मैदानी इलाकों की सामाजिक बुराई दहेज प्रथा की यहां कोई बात तक भी नहीं करता. बेटियों की अहमियत के कारण यहां दहेज प्रथा का दानव अपने पैर नहीं पसार पाया है. लाहौल-स्पीति जिला की आबादी पचास हजार से अधिक है.घर की पूरी कमान महिलाओं के हाथ रहती है.महत्वपूर्ण सामाजिक निर्णय महिलाएं ही लेती हैं. खेती-बाड़ी हो या फिर घरेलू मोर्चे की कोई बात, महिलाएं ही सारे फैसले लेती हैं. यही नहीं, घर के आर्थिक फैसले भी महिलाएं ही लेती हैं. लाहौल से उच्च शिक्षा के लिए शिमला आने वाले लड़के-लड़कियां भी अपनी परंपराओं से जुड़े रहते हैं.

अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं लाहौल स्पीति के युवा

लाहौल-स्पीति छात्र संघ के पदाधिकारी रहे युवा सुशांत कुमार, अजय पॉल, प्रमोद के अनुसार उन्हें अपनी परंपराओं पर गर्व है. अजय पॉल इस समय मेरठ में बैंक अफसर हैं.वे बताते हैं कि पूरे लाहौल-स्पीति में बेटियों को सम्मान की नजर से देखा जाता है. यही नहीं, पढ़ाई करने के लिए बाहर गए युवा साथ में पढऩे वाली लाहौल की लड़कियों की हरसंभव सहायता करते हैं. अजय पॉल याद करते हैं कि एक बार लाहौल की एक बच्ची का पीजीआई चंडीगढ़ में ऑपरेशन होना था और परिवार के पास खर्च उठाने की सामर्थ्य नहीं थी. लाहौल के युवाओं ने घर-घर से पैसे इकट्ठे कर ऑपरेशन का खर्च पूरा किया.

महिलाओं के हाथ होती है हर काम की कमान

हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा लाहौल-स्पीति से ही आते हैं. वे अपने गृह क्षेत्र में नारी शक्ति के सम्मान से अभिभूत हैं. डॉ. मारकंडा ने बताया कि लाहौल-स्पीति में खेतों से लेकर बागीचों और घर से लेकर अन्य मोर्चों पर महिलाएं ही फ्रंट लाइन पर रहती है. घर के सभी महत्वपूर्ण फैसले महिलाओं की सहमति से ही लिए जाते हैं. इस समय लाहौल में फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स चला है, जिसकी पूरी कमान महिलाओं ने ही संभाली है.

डॉ. मारकंडा ने बताया कि लाहौल की संस्कृति महिला सम्मान की संस्कृति है. यहां क्राइम अगेंस्ट वूमेन लगभग जीरो है. तीन साल में बलात्कार का कोई भी केस नहीं है. महिलाओं से मारपीट या घरेलू हिंसा का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. हाल ही में विधानसभा में क्राइम अगेंस्ट वूमेन से जुड़े एक सवाल में जानकारी सामने आई थी कि पूरे लाहौल-स्पीति में रेप का तीन साल में कोई केस नहीं आया.

महिलाओं को सम्मान देने की संस्कृति

इसी तरह कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई भी यहां नहीं पनप सकी हैं. यही कारण है कि यहां का बाल लिंग अनुपात देश में सबसे अधिक है. लाहौल की बेटियों के मुताबिक पूरे जिले में महिलाओं को सम्मान देने की संस्कृति है. शॉलिनी राय बताती हैं कि उनके पिता ने कभी किसी बच्चे पर हाथ नहीं उठाया तो घरेलू हिंसा का सवाल ही पैदा नहीं होता. कूंगा देछेन अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए बताती हैं कि क्राइम अगेंस्ट वूमेन के मामले कभी सुनने में नहीं आते. लाहौल के युवा भी अपनी संस्कृति को भूलते नहीं हैं. यहां संयुक्त परिवार में संस्कार की शिक्षा मिलती है.

ये भी पढ़ें: सुंदरनगर में नाबालिगा के साथ दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार

Last Updated : Mar 23, 2021, 7:54 AM IST
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