शिमला: प्रदेश में कोरोना मरीजों को कहीं कंधा नहीं मिल रहा तो कहीं उनके स्ट्रेचर को उठाने को कोई तैयार नहीं हो रहा. संजौली में सामने आई तस्वीर ने सबको शर्मसार कर दिया. कोरोना से पीड़ित 92 साल की बुजुर्ग को घर तक स्ट्रेचर से पहुंचाने के लिए बेटे को काफी मशक्कत करना पड़ी. बेटा बाजार में मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन कोरोना के डर से लोग खिड़कियों से देखकर तमाशबीन बने रहे.
मजदूरों से भी मांगी मदद
92 साल की बुजुर्ग महिला और बेटा कोरोना पॉजिटिव हैं. दो दिन पहले भी इनकी तबीयत खराब होने पर पुलिस के दो जवानों ने अस्पताल पहुंचाया था. रविवार को आईजीएमसी अस्पताल से इन्हें छुट्टी दी गई थी. 108 एंबुलेंस में दोनों को रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे संजौली लाया गया. यहां एंबुलेंस कर्मी ने इन्हें उतरने के लिए कहा, लेकिन बुजुर्ग महिला स्ट्रेचर से उठ नहीं पा रही थी. बीमार बेटे में भी इतनी ताकत नहीं थी कि अकेले मां को घर तक ले जाए. इसके लिए मजदूरों से मदद मांगी गई और मनमाने पैसे देने की बात भी कही, लेकिन मजदूर और दूसरे लोग तैयार नहीं हुए.
समाजसेवी रवि कुमार ने की मदद
आखिरकार समाजसेवी रवि कुमार और उनके दो साथियों आशीष और संजीव ठाकुर ने स्ट्रेचर उठाकर बुजुर्ग महिला को घर तक पहुंचाया. शहर में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए पहले भी ऐसी दिक्कतें आती रही हैं. वहीं, सरकार की ओर से कोरोना पीड़ित मरीजों को घर से लाकर इलाज कर वापस भेजने के क्या इंतजाम किए गए है इसकी पोल भी खुल गई.
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