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हिमाचल में नई सरकार के सामने आर्थिक चुनौतीः विकास के लिए एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट पर निर्भर रहेगी नई सरकार

हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने जनता को रिझाने के लिए एक से बढ़कर एक दावे किए थे. लेकिन हिमाचल में नई सरकार के सामने आर्थिक चुनौती बड़ी समस्या बनकर सामने आने वाली है. दरअसल हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्ते पर ही एक बड़ी राशि खर्च हो रही है. ऐसे में नई सरकार के सामने सामने सबसे बड़ी चुनौती हिमाचल की आर्थिक स्थिति रहेगी. इतना ही नहीं, हिमाचल में नई सरकार बनने पर कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़े जाएंगे. फिलहाल हिमाचल पर करीब 70 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, ऐसे में नई सरकार इन मुश्किलों से कैसे पार पाएगी यह एक गंभीर सवाल है. (Himachal Assembly Elections 2022)

New government in Himachal
हिमाचल में नई सरकार के सामने आर्थिक चुनौती.
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Published : Nov 22, 2022, 7:14 PM IST

शिमला: 8 दिसंबर को यह स्पष्ट हो जाएगा कि हिमाचल में किस पार्टी की सरकार बनेगी. वहीं, हिमाचल में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने बड़े बड़े वायदे चुनाव में किए हैं, लेकिन सरकार बनाने पर ये वादे पूरा करना आसान नहीं है. फिर सरकार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की ही क्यों न बने, उसके साथ सामने सबसे बड़ी चुनौती हिमाचल की आर्थिक स्थिति रहेगी. हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्ते पर ही एक बड़ी राशि खर्च हो रही है. राज्य के कुल बजट की करीब पचास फीसदी राशि वेतन भत्तों पर खर्च करनी रही है, इसके अलावा लोन की राशि और इस पर दिए जाने वाले ब्याज पर ही करीब 21 फासदी राशि बजट की खर्च की जा रही है. सरकार के पास विकास के लिए नाममात्र की राशि बचती है. ऐसे में हिमाचल में नई सरकार भी हिमाचल में विकास कार्यों के लिए एक्टर्नल एडिड प्रोडजेक्ट पर ही निर्भर रहने की मजबूरी रहेगी. (Financial Challenge in Himachal) (Himachal Assembly Elections 2022) (Development works in Himachal)

कर्मचारियों-पेंशनरों के एरियर की दूसरी किश्त चुकाना मुश्किल: हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन भत्ते बढ़ने के कारण सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. करीब 6,000 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ इससे सरकार पर पड़ा है. राज्य सरकार ने अपने कर्मचारी व पेंशनरों को पहली जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के एरियर की पहली किश्त देने की घोषणा की थी, इसके तहत इसके तहत ग्रुप-ए, बी और सी (प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी) के कर्मचारियों को 50 हजार रुपए व ग्रुप-डी (चतुर्थ श्रेणी) कर्मचारियों को 60 हजार रुपए तक एरियर दिया गया. इनके एरियर का भुगतान करने लिए इस माह सरकार ने 2000 करोड़ का लोन लिया था. (development in Himachal) (Employees and Pensioners in Himachal)

वेतन के लाले, एरियर कहां से देंगे: हिमाचल में नई सरकार बनने पर कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़े जाएंगे. कर्मचारियों के संशोधित वेतन से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है, जिसे चुकाने में सरकार असमर्थ है. इसके साथ ही अब कर्मचारियों और पेंशनरों को संशोधित वेतनमान की दूसरी किश्त भी जारी की जानी है. इसके लिए भी सरकार के पास बजट नहीं है. इस तरह जहां नई सरकार के सामने कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ जाएंगे. इतना ही नहीं कर्मचारियों और पेंशनरों के संशोधित वेतन मान के एरियर की दूसरी किश्त चुकाने का संकट खड़ा हो जाएगा. हालांकि बताया जा रहा है कि अभी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों देने के लिए एक हजार करोड़ का लोन हर माह लेना पड़ेगा. फिलहाल अगले बजट तक सरकार को यह लोन हर माह लेना पड़ेगा. इसके बाद क्या स्थिति बनती है. यह देखने वाली बात होगी. (New government in Himachal)

हिमाचल पर करीब 70 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज: हिमाचल पर कर्ज का एक बड़ा बोझ है. हिमाचल पर मौजूदा समय में कर्ज 70 हजार करोड़ रुपए अधिक हो गया है. सरकार कर्ज से ही अपना काम चला रही है. हिमाचल में दिसंबर 2017 में जयराम सरकार बनी थी. इस दौरान प्रदेश पर करीब 48 हजार करोड़ रुपये कर्ज था. जयराम सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में करीब 28 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज ले लिया है. हाल में सरकार ने 2000 करोड़ रुपए कर्ज लिया है. अभी सरकार को हर माह करीब 1000 करोड़ रुपए कर्मचारियों और पेंशनरों के बढ़े हुए वेतन और इसका एरियर देने के लिए लेने पड़ रहे हैं. (Debt on Himachal Pradesh)

विकास के लिए एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स पर निर्भर रहेगी सरकार: हिमाचल में सरकार एक ओर जहां करीब पचास फीसदी कर्मचारियों-पेंशनरों के वेतन भत्तों पर खर्च कर रही है. वहीं, सरकार को लोन को चुकाने पर भी बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है. मौजूदा समय में सरकार को अपने बजट का 11 फीसदी हिस्सा कर्ज की अदायगी पर चुकाना पड़ रहा है. इसके अलावा 10 फीसदी हिस्सा लिए गए कर्ज के ब्याज को देने में चला जा रहा है. यानि 100 रुपए के बजट में 21 रुपए कर्ज की अदायगी और कर्ज पर बनने वाले ब्याज की अदायगी में खर्च हो रहा है. कर्मचारियों-पेंशनरों के वेतन भत्तों, लोन की राशि चुकान में ही बजट की एक बड़ी राशि व्यय हो रही है.

इस तरह विकास के लिए सरकार के पास फंड की कमी बनी रहेगी. इसके चलते नई सरकार भी हिमाचल में विकास कार्यों के लिए एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स पर ही निर्भर रहेगी. हिमाचल में एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स से भी करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा है. मौजूदा समय हिमाचल सरकार को केंद्र की कई योजनाओं से लाभ भी मिल रहा है. अकेले जल शक्ति विभाग में जल जीवन मिशन के तहत बेहतर काम करने पर हिमाचल को साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का इंसेंटिव मिल चुका है. डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की बागवानी विकास परियोजना के अलावा एडीबी और विश्व बैंक की मदद से भी विकास योजनाएं चल रही हैं.

केंद्र से उदार वित्तीय सहायता की रहेगी दरकार: पहाड़ी राज्य होने के कारण केंद्र से हिमाचल को उदार वित्तीय सहायता मिलती है. किसी भी केंद्रीय परियोजना की कुल लागत का केंद्र सरकार 90 फीसदी वहन करती है जबकि 10 फीसदी हिस्सा हिमाचल सरकार को वहन करना होता है. ऐसे में इस तरह की परियोजनाओं की दरकार आगे भी हिमाचल को रहेगी. हिमाचल में फोरलेन केंद्र की मदद से बन रहे हैं. इसके अलावा पर्यटन सेक्टर में भी केंद्र और बाह्य वित्त पोषित योजनाओं से सहयोग मिल रहा है. हिमाचल में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट जैसी योजनाएं केंद्र के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. चूंकि हिमाचल सरकार ढाई लाख सरकारी कर्मचारियों और पौने दो लाख पेंशनर्स पर खर्च होने वाली रकम का कोई विकल्प नहीं निकाल सकती, लिहाजा विकास योजनाओं के लिए केंद्र की मदद बेहद जरूरी है. (Green Field Airport in Himachal)

ये भी पढ़ें: कॉलेज शिक्षकों को भी बायोमेट्रिक मशीन पर Attendance लगाना अनिवार्य, शिक्षा निदेशालय ने जारी किए निर्देश

शिमला: 8 दिसंबर को यह स्पष्ट हो जाएगा कि हिमाचल में किस पार्टी की सरकार बनेगी. वहीं, हिमाचल में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने बड़े बड़े वायदे चुनाव में किए हैं, लेकिन सरकार बनाने पर ये वादे पूरा करना आसान नहीं है. फिर सरकार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की ही क्यों न बने, उसके साथ सामने सबसे बड़ी चुनौती हिमाचल की आर्थिक स्थिति रहेगी. हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्ते पर ही एक बड़ी राशि खर्च हो रही है. राज्य के कुल बजट की करीब पचास फीसदी राशि वेतन भत्तों पर खर्च करनी रही है, इसके अलावा लोन की राशि और इस पर दिए जाने वाले ब्याज पर ही करीब 21 फासदी राशि बजट की खर्च की जा रही है. सरकार के पास विकास के लिए नाममात्र की राशि बचती है. ऐसे में हिमाचल में नई सरकार भी हिमाचल में विकास कार्यों के लिए एक्टर्नल एडिड प्रोडजेक्ट पर ही निर्भर रहने की मजबूरी रहेगी. (Financial Challenge in Himachal) (Himachal Assembly Elections 2022) (Development works in Himachal)

कर्मचारियों-पेंशनरों के एरियर की दूसरी किश्त चुकाना मुश्किल: हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन भत्ते बढ़ने के कारण सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. करीब 6,000 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय बोझ इससे सरकार पर पड़ा है. राज्य सरकार ने अपने कर्मचारी व पेंशनरों को पहली जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के एरियर की पहली किश्त देने की घोषणा की थी, इसके तहत इसके तहत ग्रुप-ए, बी और सी (प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी) के कर्मचारियों को 50 हजार रुपए व ग्रुप-डी (चतुर्थ श्रेणी) कर्मचारियों को 60 हजार रुपए तक एरियर दिया गया. इनके एरियर का भुगतान करने लिए इस माह सरकार ने 2000 करोड़ का लोन लिया था. (development in Himachal) (Employees and Pensioners in Himachal)

वेतन के लाले, एरियर कहां से देंगे: हिमाचल में नई सरकार बनने पर कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़े जाएंगे. कर्मचारियों के संशोधित वेतन से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है, जिसे चुकाने में सरकार असमर्थ है. इसके साथ ही अब कर्मचारियों और पेंशनरों को संशोधित वेतनमान की दूसरी किश्त भी जारी की जानी है. इसके लिए भी सरकार के पास बजट नहीं है. इस तरह जहां नई सरकार के सामने कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ जाएंगे. इतना ही नहीं कर्मचारियों और पेंशनरों के संशोधित वेतन मान के एरियर की दूसरी किश्त चुकाने का संकट खड़ा हो जाएगा. हालांकि बताया जा रहा है कि अभी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों देने के लिए एक हजार करोड़ का लोन हर माह लेना पड़ेगा. फिलहाल अगले बजट तक सरकार को यह लोन हर माह लेना पड़ेगा. इसके बाद क्या स्थिति बनती है. यह देखने वाली बात होगी. (New government in Himachal)

हिमाचल पर करीब 70 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज: हिमाचल पर कर्ज का एक बड़ा बोझ है. हिमाचल पर मौजूदा समय में कर्ज 70 हजार करोड़ रुपए अधिक हो गया है. सरकार कर्ज से ही अपना काम चला रही है. हिमाचल में दिसंबर 2017 में जयराम सरकार बनी थी. इस दौरान प्रदेश पर करीब 48 हजार करोड़ रुपये कर्ज था. जयराम सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में करीब 28 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज ले लिया है. हाल में सरकार ने 2000 करोड़ रुपए कर्ज लिया है. अभी सरकार को हर माह करीब 1000 करोड़ रुपए कर्मचारियों और पेंशनरों के बढ़े हुए वेतन और इसका एरियर देने के लिए लेने पड़ रहे हैं. (Debt on Himachal Pradesh)

विकास के लिए एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स पर निर्भर रहेगी सरकार: हिमाचल में सरकार एक ओर जहां करीब पचास फीसदी कर्मचारियों-पेंशनरों के वेतन भत्तों पर खर्च कर रही है. वहीं, सरकार को लोन को चुकाने पर भी बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है. मौजूदा समय में सरकार को अपने बजट का 11 फीसदी हिस्सा कर्ज की अदायगी पर चुकाना पड़ रहा है. इसके अलावा 10 फीसदी हिस्सा लिए गए कर्ज के ब्याज को देने में चला जा रहा है. यानि 100 रुपए के बजट में 21 रुपए कर्ज की अदायगी और कर्ज पर बनने वाले ब्याज की अदायगी में खर्च हो रहा है. कर्मचारियों-पेंशनरों के वेतन भत्तों, लोन की राशि चुकान में ही बजट की एक बड़ी राशि व्यय हो रही है.

इस तरह विकास के लिए सरकार के पास फंड की कमी बनी रहेगी. इसके चलते नई सरकार भी हिमाचल में विकास कार्यों के लिए एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स पर ही निर्भर रहेगी. हिमाचल में एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स से भी करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा है. मौजूदा समय हिमाचल सरकार को केंद्र की कई योजनाओं से लाभ भी मिल रहा है. अकेले जल शक्ति विभाग में जल जीवन मिशन के तहत बेहतर काम करने पर हिमाचल को साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का इंसेंटिव मिल चुका है. डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की बागवानी विकास परियोजना के अलावा एडीबी और विश्व बैंक की मदद से भी विकास योजनाएं चल रही हैं.

केंद्र से उदार वित्तीय सहायता की रहेगी दरकार: पहाड़ी राज्य होने के कारण केंद्र से हिमाचल को उदार वित्तीय सहायता मिलती है. किसी भी केंद्रीय परियोजना की कुल लागत का केंद्र सरकार 90 फीसदी वहन करती है जबकि 10 फीसदी हिस्सा हिमाचल सरकार को वहन करना होता है. ऐसे में इस तरह की परियोजनाओं की दरकार आगे भी हिमाचल को रहेगी. हिमाचल में फोरलेन केंद्र की मदद से बन रहे हैं. इसके अलावा पर्यटन सेक्टर में भी केंद्र और बाह्य वित्त पोषित योजनाओं से सहयोग मिल रहा है. हिमाचल में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट जैसी योजनाएं केंद्र के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. चूंकि हिमाचल सरकार ढाई लाख सरकारी कर्मचारियों और पौने दो लाख पेंशनर्स पर खर्च होने वाली रकम का कोई विकल्प नहीं निकाल सकती, लिहाजा विकास योजनाओं के लिए केंद्र की मदद बेहद जरूरी है. (Green Field Airport in Himachal)

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