शिमला: पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला के कई इलाकों में स्क्रब टायफस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के आठ नए मामले सामने आए हैं. अब तक 1000 से ज्यादा लोगों के ब्लड टेस्ट हो चुके हैं, जिसमें से 43 लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक ने आईजीएमसी में स्क्ब टायफस के 8 नए मामले आने की पुष्टि की है. स्क्रब टायफस बरसात में संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. ये पिस्सू खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है. ये पिस्सू चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.
आईजीएमसी स्वास्थ्य विभाग और सचिवालय में रोजाना स्क्रब टायफस की मॉनिटरिंग रिपोर्ट भेज रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को बरसात के मौसम में झाडियों और घास से दूर रहना चाहिए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह मुमकिन नहीं है. बरसात के मौसम में खेतों और बगीचों में घास काटने का ज्यादा काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा है.
स्क्रब टायफस के लक्ष्ण
तेज बुखार आना, जोड़ों में दर्द, अकड़न, थकान महसूस होना, गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्ष्ण हैं. इस तरह के लक्ष्ण दिखाई देनें पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय
सफाई का विशेष ध्यान रखें.
घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें.
घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.
घास काटते समय या खेतों में काम करते समय पूरे कपड़े पहनें.
स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है. इसके कारण मरीजों की मौत हो जाती है. अब आईजीएमसी शिमला में लगभग छह लोगों की स्क्रब टायफस से मौत हो चुकी है.