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इस छोटे से पिस्सू के काटने से अब तक IGMC में 6 लोग तोड़ चुके हैं दम, 8 नए मामले आए सामने - आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस

आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस के आठ नए मामले सामने आए हैं. चिकित्सकों ने स्क्रब टायफस को लेकर लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दी है.

IGMC Shimla
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Published : Aug 29, 2019, 7:57 PM IST

शिमला: पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला के कई इलाकों में स्क्रब टायफस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के आठ नए मामले सामने आए हैं. अब तक 1000 से ज्यादा लोगों के ब्लड टेस्ट हो चुके हैं, जिसमें से 43 लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक ने आईजीएमसी में स्क्ब टायफस के 8 नए मामले आने की पुष्टि की है. स्क्रब टायफस बरसात में संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. ये पिस्सू खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है. ये पिस्सू चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.

आईजीएमसी स्वास्थ्य विभाग और सचिवालय में रोजाना स्क्रब टायफस की मॉनिटरिंग रिपोर्ट भेज रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को बरसात के मौसम में झाडियों और घास से दूर रहना चाहिए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह मुमकिन नहीं है. बरसात के मौसम में खेतों और बगीचों में घास काटने का ज्यादा काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा है.

स्क्रब टायफस के लक्ष्ण
तेज बुखार आना, जोड़ों में दर्द, अकड़न, थकान महसूस होना, गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्ष्ण हैं. इस तरह के लक्ष्ण दिखाई देनें पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय
सफाई का विशेष ध्यान रखें.
घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें.
घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.
घास काटते समय या खेतों में काम करते समय पूरे कपड़े पहनें.

स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है. इसके कारण मरीजों की मौत हो जाती है. अब आईजीएमसी शिमला में लगभग छह लोगों की स्क्रब टायफस से मौत हो चुकी है.

ये भी पढ़ें: ट्रिब्यूनल को बंद करने पर भड़के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, कहा: कर्मचारियों के साथ हुआ अन्याय

शिमला: पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला के कई इलाकों में स्क्रब टायफस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के आठ नए मामले सामने आए हैं. अब तक 1000 से ज्यादा लोगों के ब्लड टेस्ट हो चुके हैं, जिसमें से 43 लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक ने आईजीएमसी में स्क्ब टायफस के 8 नए मामले आने की पुष्टि की है. स्क्रब टायफस बरसात में संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. ये पिस्सू खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है. ये पिस्सू चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.

आईजीएमसी स्वास्थ्य विभाग और सचिवालय में रोजाना स्क्रब टायफस की मॉनिटरिंग रिपोर्ट भेज रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को बरसात के मौसम में झाडियों और घास से दूर रहना चाहिए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह मुमकिन नहीं है. बरसात के मौसम में खेतों और बगीचों में घास काटने का ज्यादा काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा है.

स्क्रब टायफस के लक्ष्ण
तेज बुखार आना, जोड़ों में दर्द, अकड़न, थकान महसूस होना, गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्ष्ण हैं. इस तरह के लक्ष्ण दिखाई देनें पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय
सफाई का विशेष ध्यान रखें.
घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें.
घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.
घास काटते समय या खेतों में काम करते समय पूरे कपड़े पहनें.

स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है. इसके कारण मरीजों की मौत हो जाती है. अब आईजीएमसी शिमला में लगभग छह लोगों की स्क्रब टायफस से मौत हो चुकी है.

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Intro:शिमला में स्क्रब टायफस की दहशत
8 नए मरीज पहुंचे आईजीएमसी
शिमला।
राजधानी में स्क्रब टायफस ने दस्तक दे दी है। आईजीएमसी . में स्क्रब टायफस के 8 मामले आए है। यह पिडि़त शिमला के रहने वाले है और आई.एम.सी. में अपना उपचार करवा रहे है। प्रतिदिन आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के मरीज आने से शहर में दहशत फैल गयी है आईजीएमसी दर्जनों लोग हलके बुखार होने पर भी चेक कराने पहुंच रहे है। आईजीएमसी में सभी स्क्रब टायफस से ग्रस्त मरीजो का इलाज चल रहा है। अभीतक 1000 से ज्यादा लोगो के स्क्रब टायफस के टैस्ट हो चुके है और 43 मामले पोस्टिव आए है।
Body:स्क्रब टायफस बरसात के दिनों में उगने वाली घास में पाए जाने वाले पीसू से अधिक फैलता है। जिससे मौत तक भी हो सकती है। ऐसे में अब लोगों को सावधानी बरतनी होगी। स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों झाडि़ओ व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। विभागाधिकारियों का कहना है कि मॉनीटरिंग की जा रही है और रोजाना रिपोर्ट निदेशालय और सचिवालय भेजी जाती है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडियों से दूर रहे और घास आदि में न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है क्योंकि इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की सं या ज्यादा अधिक होती है।

स्क्रब टाइफस के लक्षण
स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है। जोड़ो में दर्द और कंपकपी के साथ बुखार शरीर में ऐठन अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना।

Conclusion:बचने के उपाय
सफाई का विशेष ध्यान रखे। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखे। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करे। मरीजों को डाक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।
आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक ने आईजीएमसी में 8 नए मामले आने की पुस्टि की है।
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