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स्मृति शेष: जब एपीजे कलाम को बरागटा ने समझाए लोकगीत और बताई लोकनृत्य ठोडा की खासियत

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Published : Jun 5, 2021, 1:29 PM IST

प्रदेश की जनता खासकर ऊपरी शिमला के लोग नरेंद्र बरागटा की स्मृतियों को याद कर रहे हैं. ऐसी ही एक स्मृति देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी हैं. राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने हिमाचल का एक गांव देखने की इच्छा जताई थी.

file photo
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शिमला: भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र बरागटा के असमय निधन से हिमाचल में शोक की लहर है. प्रदेश की जनता खासकर ऊपरी शिमला के लोग बरागटा की स्मृतियों को खंगाल रहे हैं. ऐसी ही एक स्मृति देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी है. राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने हिमाचल का एक गांव देखने की इच्छा जताई थी.

बरागटा ने राष्ट्रपति कलाम को समझाए लोकगीत

कलाम की विजिट के लिए शिमला जिला का सरोग गांव चुना गया. ये बात दिसंबर 2004 की है. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. तब भाजपा नेता और प्रेम कुमार धूमल सरकार में कैबिनेट मंत्री नरेंद्र बरागटा राष्ट्रपति के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग थे. एपीजे कलाम के सम्मुख लोकनृत्य, लोकगीत पेश किए गए. लोकनृत्य चोल्टू और ठोडा पेश किया गया. मिनिस्टर इन वेटिंग नरेंद्र बरागटा ने राष्ट्रपति कलाम को तब चोल्टू नृत्य और ठोडा के लोक और सांस्कृतिक पक्ष की जानकारी दी.

लोकनृत्य ठोडा की खासियत से करवाया रूबरू

बाद में हिमाचल के ख्याति प्राप्त लोकगायत किशन वर्मा ने एपीजे कलाम के समक्ष अपनी मंडली के साथ एक लोकगीत पेश किया. लोकगीत के बोल थे- मेरिए साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू... तब नरेंद्र बरागटा ने ही इस लोकगीत का अनुवाद कर कलाम को समझाया था. वर्ष 2004 में एपीजे कलाम जिस समय सरोग गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से परिचित करवाने के लिए पारंपरिक लोकनृत्य ठोडा खेला गया. साथ ही चोल्टू नृत्य भी पेश किया गया.

स्मृतियों को सांझा करते थे बरागटा

लोकगायक किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया. नरेंद्र बरागटा उस समय की स्मृतियों को अकसर सांझा किया करते थे. मीडिया के साथ कई बार नरेंद्र बरागटा ने उन पलों को याद किया और बताया कि कैसे कलाम हिमाचल की लोक संस्कृति से गहरे तक प्रभावित हुए थे. बरागटा बताते थे कि कलाम ने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं थी. खासकर लोक संस्कृति को लेकर वे बहुत जिज्ञासापूर्ण सवाल करते रहे. उन्होंने देव वाद्य यंत्रों को लेकर भी कई सवाल पूछे थे. गायक किशन वर्मा के अनुसार ऊपरी शिमला ने पिता तुल्य व्यक्ति खोया है. किशन वर्मा ने बताया कि कैसे एपीजे कलाम के समक्ष ढीली नाटी व लोकगीत पेश करने के बाद नरेंद्र बरागटा ने उनका हौसला बढ़ाया था.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री और जुब्बल कोटखाई से विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन

शिमला: भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र बरागटा के असमय निधन से हिमाचल में शोक की लहर है. प्रदेश की जनता खासकर ऊपरी शिमला के लोग बरागटा की स्मृतियों को खंगाल रहे हैं. ऐसी ही एक स्मृति देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी है. राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने हिमाचल का एक गांव देखने की इच्छा जताई थी.

बरागटा ने राष्ट्रपति कलाम को समझाए लोकगीत

कलाम की विजिट के लिए शिमला जिला का सरोग गांव चुना गया. ये बात दिसंबर 2004 की है. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. तब भाजपा नेता और प्रेम कुमार धूमल सरकार में कैबिनेट मंत्री नरेंद्र बरागटा राष्ट्रपति के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग थे. एपीजे कलाम के सम्मुख लोकनृत्य, लोकगीत पेश किए गए. लोकनृत्य चोल्टू और ठोडा पेश किया गया. मिनिस्टर इन वेटिंग नरेंद्र बरागटा ने राष्ट्रपति कलाम को तब चोल्टू नृत्य और ठोडा के लोक और सांस्कृतिक पक्ष की जानकारी दी.

लोकनृत्य ठोडा की खासियत से करवाया रूबरू

बाद में हिमाचल के ख्याति प्राप्त लोकगायत किशन वर्मा ने एपीजे कलाम के समक्ष अपनी मंडली के साथ एक लोकगीत पेश किया. लोकगीत के बोल थे- मेरिए साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू... तब नरेंद्र बरागटा ने ही इस लोकगीत का अनुवाद कर कलाम को समझाया था. वर्ष 2004 में एपीजे कलाम जिस समय सरोग गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से परिचित करवाने के लिए पारंपरिक लोकनृत्य ठोडा खेला गया. साथ ही चोल्टू नृत्य भी पेश किया गया.

स्मृतियों को सांझा करते थे बरागटा

लोकगायक किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया. नरेंद्र बरागटा उस समय की स्मृतियों को अकसर सांझा किया करते थे. मीडिया के साथ कई बार नरेंद्र बरागटा ने उन पलों को याद किया और बताया कि कैसे कलाम हिमाचल की लोक संस्कृति से गहरे तक प्रभावित हुए थे. बरागटा बताते थे कि कलाम ने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं थी. खासकर लोक संस्कृति को लेकर वे बहुत जिज्ञासापूर्ण सवाल करते रहे. उन्होंने देव वाद्य यंत्रों को लेकर भी कई सवाल पूछे थे. गायक किशन वर्मा के अनुसार ऊपरी शिमला ने पिता तुल्य व्यक्ति खोया है. किशन वर्मा ने बताया कि कैसे एपीजे कलाम के समक्ष ढीली नाटी व लोकगीत पेश करने के बाद नरेंद्र बरागटा ने उनका हौसला बढ़ाया था.

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