शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुदामा का राजनीतिक वारिस संगठन का बड़ा चेहरा भी हो सकता है. हिमाचल की मंडी सीट से निजी लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बिना इस सीट से प्रत्याशी फाइनल नहीं होगा.
अलबत्ता मुख्यमंत्री होने के नाते जयराम ठाकुर की राय और सहमति भी महत्वपूर्ण होगी, लेकिन जैसा कि चलन है भाजपा हाईकमान अचानक कोई चौंकाने वाला फैसला लेती आई है. ऐसे में नगर निगम चुनाव निपटते ही मंडी लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के तौर पर अचानक धमाका हो सकता है. करगिल हीरो खुशाल सिंह ठाकुर के अलावा संगठन के बड़े चेहरे अजय जम्वाल के नाम पर हाईकमान मुहर लगा सकती है.
भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल
इन दो नामों की चर्चा जोरों पर है. हालांकि इस समय भाजपा का सारा ध्यान नगर निगम चुनाव पर केंद्रित है. निगम चुनाव से निपटने के बाद ही मंडी सीट पर फोकस किया जाएगा. इसका कारण ये है कि पहली बार मंडी नगर निगम बना है और यहां चुनाव जीतना मुख्यमंत्री और मंडी के सभी भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल है.
चूंकि लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं, लिहाजा भाजपा अभी नगर निगम पर भी सारा ध्यान लगाए हुए है. सीएम जयराम ठाकुर के बार-बार मंडी दौरे इसकी गवाही दे रहे हैं. खैर, मंडी लोकसभा सीट के गणित पर जाएं तो यहां दिवंगत भाजपा नेता रामस्वरूप शर्मा के परिवार के किसी सदस्य की राजनीति में रुचि न होने के कारण घर में ही किसी को टिकट मिलने के आसार नहीं हैं. फिर परिवार के सदस्य सक्रिय राजनीति में भी नहीं हैं.
करगिल हीरो खुशाल ठाकुर की दावेदारी
अब करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की दावेदारी की बात करें तो उनके पक्ष में एकसाथ कई बातें हैं. वे सेना से जुड़े हैं. सेना और सैनिकों के मसलों पर उनकी राय हर जगह मानी जाती है. उनकी छवि करगिल हीरो की है. पूर्व सैनिकों में उनका मान-सम्मान है. वे फोरलेन संघर्ष समिति में सक्रिय रहे हैं. पिछली बार भी उनके नाम की चर्चा थी, लेकिन टिकट रामस्वरूप को ही मिला था.
अजय जम्वाल की दावेदारी
वहीं, यदि किसी चौंकाने वाली खबर की ओर जाएं तो संगठन के बड़े चेहरे अजय जम्वाल पर भी नजर टिक रही है. उनके नाम और पार्टी में किसी बड़ी जिम्मेदारी की चर्चा अकसर होती रहती है. वे नार्थ-ईस्ट में पार्टी के प्रभारी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की टीम का भी अहम हिस्सा हैं. संगठन में उनकी काम करने वाली छवि को सभी मानते हैं. यहां तक कि उनके नाम की चर्चा भविष्य के मुख्यमंत्री के तौर पर भी होती है.
'महेश्वर सिंह भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं'
स्थानीय समीकरण देखें तो कुल्लू से महेश्वर सिंह भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वे पहले भी मंडी से सांसद रहे हैं. इस लोकसभा सीट पर उनका निजी प्रभाव भी है. ऐसे में वे भी टिकट के बड़े दावेदार हैं. चर्चा ये भी है कि भाजपा किसी सिटिंग मंत्री या विधायक पर भी दांव लगा सकती है.
कुल्लू से कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर व सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल को भी राजनीतिक लोग दौड़ में बता रहे हैं, लेकिन परिस्थितियों को देखें तो शायद ही जयराम सरकार उपचुनाव का रिस्क लेगी. यदि गोबिंद सिंह के नाम पर मुहर लगती है तो दो नए काम सरकार के सिर पर आ जाएंगे. एक तो कैबिनेट मंत्री की पोस्ट भरनी पड़ेगी, दूसरा उपचुनाव करवाना पड़ेगा.
यही हाल, सुंदरनगर सीट के खाली होने से होगा. चुनावी साल में भाजपा सरकार ऐसा रिस्क लेने से बचेगी. इस तरह मौजूदा परिस्थितियों को देखें तो खुशाल सिंह ठाकुर, महेश्वर सिंह के अलावा चौंकाने वाली रणनीति के तौर पर संगठन के बड़े चेहरे अजय जम्वाल को मैदान में उतारा जा सकता है.
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