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हादसों पर चिंतन: हिमाचल के गांवों में 5 साल में 12 हजार 720 सड़क हादसे, इन 3 शहरों में पैदल हादसे ज्यादा - Road accidents in villages in Himachal

हिमाचल में सड़क हादसों में गावों की सड़के भी पीछे नहीं है. पिछले 5 सालों में ग्रामीण इलाकों में 12 हजार से ज्यादा हादसों ने जिम्मेदारों को मंथन करने पर मजबूर कर दिया. अब हादसों का ग्राफ रोकने के लिए विचार-विमर्श किया गया है ,ताकि आने वाले समय पर हादसों में ब्रेक लगाया जा सके. (Road accidents in Himachal in 5 years)

हादसों पर चिंतन
हादसों पर चिंतन
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Published : Feb 24, 2023, 10:34 AM IST

शिमला: अगर आप हिमाचल की खूबसूरती को निहारने अपने वाहनों से आ रहे हैं तो जरूर आइयेगा, लेकिन गांवों से सफर करने के दौरान सावधानी बरतकर आगे बढ़ियेगा. क्योंकि यहां की सर्पीली सड़कों पर हादसों पर सफर के दौरान 5 सालों में 12 हजार से ज्यादा सड़क हादसों ने जिम्मेदारों को मंथन करने पर मजबूर कर दिया है. बाकायदा इसको लेकर टीटीआर विभाग ने ट्रेनिंग प्रोग्राम किया और इस दौरान सड़क हादसों पर किस तरह ब्रेक लगाया जा सके, इसको लेकर गंभीरता से मंथन कर आगे बढ़ने की दिशा तय की गई.

हादसों पर ब्रेक लगाने पर मंथन
हादसों पर ब्रेक लगाने पर मंथन

5 साल 12 हजार 720 हादसे: हिमाचल प्रदेश के ट्रेफिक टूरिस्ट एवं रेलवे विभाग विभाग ने जब आंकड़ों पर गौर किया तो सामने आया कि 5 साल में हिमाचल के गांवों में 12 हजार 720 सड़क हादसे हो चुके. यानी हर साल ग्रामीण इलाकों में 2 हजार से ज्यादा हादसे हुए. तीन दिवसीय ट्रेनिंग में हिमाचल के हर जिले के 35 अन्वेषण अधिकारियों ने भाग लिया. हालांकि, इस दौरान कितने लोग घायल हुए और कितनों की मौत हुई यह आंकड़ा नहीं सामने आया.

हादसों को रोकन के लिए ट्रेनिंग
हादसों को रोकन के लिए ट्रेनिंग

हिमाचल में खुले क्षेत्र में भी खतरा: हादसों पर चिंतन में सामने आया कि हिमाचल में खुले क्षेत्र में भी ज्यादा खतरा है. पांच सालों में खुले क्षेत्र में 8 हजार 570 हादसे हुए. वहीं, शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक 26 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुई. इसके अलावा 65 प्रतिशत हादसों में लोगों की उम्र 40 साल से कम का आंकड़ा सामने आया है.

इन तीन शहरों में पैदल ज्यादा हादसे : वहीं, हिमाचल के तीन शहरों पंजाब से लगा बड़ा शहर ऊना, हिमाचल-उत्तराखंड बार्डर पर बसा पांवटा साहिब और औद्योगिक नगरी बद्दी में पैदल चलने के दौरान सबसे ज्यादा हादसे हुए. बता दें कि विश्व भर में हर वर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती है, जिसमें भारत का 12 प्रतिशत हिस्सा है. हिमाचल प्रदेश में भी सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा काफी चिंतनीय है. हिमाचल पुलिस समय-समय पर चालानी कार्रवाई और जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करती है. डीआईजी टीटीआर गुरुदेव शर्मा ने बताया इस कोर्स के दौरान भिन्न विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे. इस अवसर पर एआईजी संदीप धवल एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने भी प्रतिभागियों को भिन्न-भिन्न विषयों पर ट्रेनिंग दी.

इन पांच बिंदुओं पर मंथन: 1. डिजिटल एविडेंस कैसे एकत्र करना और उसे अदालत में कैसे पेश करना है. 2. आधुनिक उपकरण एल्को सेंसर लेजर स्पीड मीटर लेजर स्पीड गन का उपयोग कैसे करना. 3. iRAD एवं e-DAR का उपयोग कैसे करना.4. एमवी एक्ट एवं ट्रैफिक रूल्स एवं रेगुलेशन की जानकारी दी गई. 5. पुलिस अन्वेषण अधिकारी के दायित्व एवं मौके पर एकत्र भीड़ से किस तरह का व्यवहार किया जाए, एवं तुरंत रोड को अन्य वाहनों के लिए कैसे खोला जाए.

शिमला: अगर आप हिमाचल की खूबसूरती को निहारने अपने वाहनों से आ रहे हैं तो जरूर आइयेगा, लेकिन गांवों से सफर करने के दौरान सावधानी बरतकर आगे बढ़ियेगा. क्योंकि यहां की सर्पीली सड़कों पर हादसों पर सफर के दौरान 5 सालों में 12 हजार से ज्यादा सड़क हादसों ने जिम्मेदारों को मंथन करने पर मजबूर कर दिया है. बाकायदा इसको लेकर टीटीआर विभाग ने ट्रेनिंग प्रोग्राम किया और इस दौरान सड़क हादसों पर किस तरह ब्रेक लगाया जा सके, इसको लेकर गंभीरता से मंथन कर आगे बढ़ने की दिशा तय की गई.

हादसों पर ब्रेक लगाने पर मंथन
हादसों पर ब्रेक लगाने पर मंथन

5 साल 12 हजार 720 हादसे: हिमाचल प्रदेश के ट्रेफिक टूरिस्ट एवं रेलवे विभाग विभाग ने जब आंकड़ों पर गौर किया तो सामने आया कि 5 साल में हिमाचल के गांवों में 12 हजार 720 सड़क हादसे हो चुके. यानी हर साल ग्रामीण इलाकों में 2 हजार से ज्यादा हादसे हुए. तीन दिवसीय ट्रेनिंग में हिमाचल के हर जिले के 35 अन्वेषण अधिकारियों ने भाग लिया. हालांकि, इस दौरान कितने लोग घायल हुए और कितनों की मौत हुई यह आंकड़ा नहीं सामने आया.

हादसों को रोकन के लिए ट्रेनिंग
हादसों को रोकन के लिए ट्रेनिंग

हिमाचल में खुले क्षेत्र में भी खतरा: हादसों पर चिंतन में सामने आया कि हिमाचल में खुले क्षेत्र में भी ज्यादा खतरा है. पांच सालों में खुले क्षेत्र में 8 हजार 570 हादसे हुए. वहीं, शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक 26 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुई. इसके अलावा 65 प्रतिशत हादसों में लोगों की उम्र 40 साल से कम का आंकड़ा सामने आया है.

इन तीन शहरों में पैदल ज्यादा हादसे : वहीं, हिमाचल के तीन शहरों पंजाब से लगा बड़ा शहर ऊना, हिमाचल-उत्तराखंड बार्डर पर बसा पांवटा साहिब और औद्योगिक नगरी बद्दी में पैदल चलने के दौरान सबसे ज्यादा हादसे हुए. बता दें कि विश्व भर में हर वर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती है, जिसमें भारत का 12 प्रतिशत हिस्सा है. हिमाचल प्रदेश में भी सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा काफी चिंतनीय है. हिमाचल पुलिस समय-समय पर चालानी कार्रवाई और जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करती है. डीआईजी टीटीआर गुरुदेव शर्मा ने बताया इस कोर्स के दौरान भिन्न विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे. इस अवसर पर एआईजी संदीप धवल एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने भी प्रतिभागियों को भिन्न-भिन्न विषयों पर ट्रेनिंग दी.

इन पांच बिंदुओं पर मंथन: 1. डिजिटल एविडेंस कैसे एकत्र करना और उसे अदालत में कैसे पेश करना है. 2. आधुनिक उपकरण एल्को सेंसर लेजर स्पीड मीटर लेजर स्पीड गन का उपयोग कैसे करना. 3. iRAD एवं e-DAR का उपयोग कैसे करना.4. एमवी एक्ट एवं ट्रैफिक रूल्स एवं रेगुलेशन की जानकारी दी गई. 5. पुलिस अन्वेषण अधिकारी के दायित्व एवं मौके पर एकत्र भीड़ से किस तरह का व्यवहार किया जाए, एवं तुरंत रोड को अन्य वाहनों के लिए कैसे खोला जाए.

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