शिमला: उत्तराखंड में गलेशियर की तबाही के बाद हिमाचल सरकार भी अलर्ट हो गई है. गलेशियर के पिघलने से झीलें बन रही हैं. पिछले तीन सालों में ही सौ से अधिक नई झीलें बन गई हैं. वहीं, अब इन झीलों पर इसरो के एलआईएसएस 4 सैटेलाइट के हाई रेजोल्यूशन कैमरे की मदद से नजर रखी जाएगी.
प्रदेश में झीलों की मैपिंग
प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद इन झीलों पर झीलों की मैपिंग की जाती है, लेकिन अब इसरो के आधुनिक कैमरों की मदद से 5.8 मीटर तक के इलाके का डाटा मिल सकेगा. इससे निगरानी रखने में और आसानी होगी. परिषद संयुक्त सचिव निशांत ठाकुर ने कहा कि हिमालय में 33 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में गलेशियर है और इससे कृत्रिम झीलें हर साल बढ़ रही है.
झीलों पर सेटेलाइट से नजर
निशांत ठाकुर ने कहा कि छोटी झीलों से खास खतरा नहीं है, लेकिन पांच हेक्टेयर से ज्यादा बड़ी झीलें हिमाचल के लिए बड़ा खतरा हैं. सतलुज बेस पर 2017 में सतलुज बेस पर 2017 पर 642 झीलें थी, लेकिन अब बढ़ कर 769 झीलें हो गई है. विभाग गलेशियर ओर झीलों पर सेटेलाइट से नजर रख रहे हैं और इसरो के सैटेलाइट के हाई रेजोल्यूशन कैमरे की मदद ले रहा है. उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे झीलों के आकार में भी बढ़ोतरी हो रही है.
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