शिमला: हिमाचल प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में सरकार ने अल्ट्रासाउंड मशीनें तो लगाई गई हैं, लेकिन ये प्रयोग में नहीं लाई जा रही हैं. अस्पतालों में इन मशीनों को चलाने के लिए रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं है. मंगलवार को विधानसभा बजट सत्र के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट की कटौती पर चर्चा के दौरान भरमौर से विधायक डॉक्टर जनक राज ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए रखे गए बजट को समस्याओं को ध्यान में ना रख कर बनाने के आरोप लगाए.
डॉक्टर जनक राज ने कहा कि विधानसभा बजट सत्र के दौरान यह सवाल सरकार से पूछा गया था कि प्रदेश में कितनी अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं जो इस्तेमाल में नहीं लाई जा रही हैं तो हैरानी की बात है कि प्रदेश में 68 जगहों पर अल्ट्रासाउंड की मशीनें तो उपलब्ध हैं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट ना होने की वजह से उनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते लोगों को काफी देखते आ रही है. सरकार ने मुख्यमंत्री निशुल्क अनुदान योजना के तहत अल्ट्रासाउंड को फ्री किया है, लेकिन अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा ही लोगों को नहीं मिल रही है. लोगों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए दूसरे अस्पतालों या निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है. भरमौर के लोगों को भी अल्ट्रासाउंड के लिए चंबा जाना पड़ता है एक अल्ट्रासाउंड के लिए हजारों रुपये लोगों को खर्चना पड़ रहे हैं.
प्रदेश सरकार द्वारा इस बजट में रोबोटिक सर्जरी पेट स्कैन की सुविधा देने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक रूप से प्रदेश के सभी अस्पतालों में रोबोटिक सर्जरी और पेट स्कैन की सुविधा देना संभव नहीं है. सरकार ने लोगों की समस्याओं को जाने बिना ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट का प्रावधान किया है. सरकार रोबोटिक सर्जरी और हर अस्पताल में पेट स्कैन मशीनें लगाने की जगह अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं मोहिया करवाई और स्टाफ की तैनाती करें. अस्पतालों में डॉक्टर के लिए हॉस्टल बनाने की बजट में बात तक नहीं की गई है. डॉक्टर तभी यहां पर काम करेंगे जब उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल पाएंगे. अस्पतालों में डॉक्टर ना होने से लोग भी परेशान हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेजों में तो सभी सुविधाएं हैं, लेकिन क्षेत्रीय अस्पतालों पीएससी में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं.
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