शिमला: हिमाचल में जलशक्ति विभाग की 226 योजनाओं में अभी पंप हाउस व मरम्मत का काम ठेके पर चल रहा है. राज्य सरकार विभागीय व्यवस्था के तहत मल्टीपर्पज वर्कर्स के 989 पद भरेगी. इस मामले को स्वीकृति के लिए कैबिनेट की मीटिंग में लाया जाएगा. मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने ये जानकारी दी.
भाजपा विधायक रमेश ध्वाला व कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू के संयुक्त सवाल में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि अब विभागीय व्यवस्था से पैराफीटर, मल्टीपर्पज वर्करों के 989 पद भरे जाएंगे. इस मामले की मंजूरी के लिए इसे मंत्रिमंडल की बैठक में ले जाएंगे. महेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने इस प्रथा को शुरू किया था. मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस व्यवस्था को खत्म करने के आदेश दिए थे.
विभागीय व्यवस्था से भर्ती करेगी सरकार
महेंद्र सिंह ने कहा कि पहले योजनाओं के लेबर कंपोनेंट पर विभाग 14 करोड़ 31 लाख खर्च करता था. अगर इसमें पंप हाउसों के मरम्मत का खर्च भी जोड़ दिया जाए तो यह 20 करोड़ 30 लाख हो जाता है. विभाग के तहत सरकार ने 969 लोगों को आउटसोर्स किया हुआ है. इन पर साल में 4 करोड़ 13 लाख खर्च हो रहे हैं. ऐसा करने से 10 करोड़ की बचत हो रही है. अगर यही काम अनुबंध पर हो तो इस पर 10 करोड़ 78 लाख का खर्चा होगा, इसलिए सरकार विभागीय व्यवस्था से भर्ती करेगी.
410 पंप ऑपरेटरों में से 343 आइटीआई से प्रशिक्षित
मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि 410 पंप ऑपरेटरों में से 343 आइटीआई से प्रशिक्षित हैं. इसके अलावा 76 लोग अनुभव आधार पर रखे गए हैं. वहीं, 32 में से 25 फिटर आईटीआई से क्वालीफाइड हैं और सात को अनुभव के आधार पर रखा गया है. सरकार ने ठेके पर मैसर्ज शिमला क्लीनवेज के माध्यम से 716 पंप ऑपरेटर, 140 फिटर रखे हैं.
बिजली बोर्ड में आउटसोर्स से भरे गए 811 पद
प्रश्नकाल के दौरान माकपा विधायक राकेश सिंघा ने बिजली बोर्ड से जुड़ा सवाल किया था. सिंघा ने आउटसोर्स के माध्यम से भरे गए पदों का ब्यौरा मांगा था. इस पर लिखित जवाब के तौर पर बताया गया कि बिजली बोर्ड में आउटसोर्स के माध्यम से यूनिवर्सल ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी यूटीआरआई की सेवाएं ली गई हैं. इसके माध्यम से अब तक 811 लोगों को बोर्ड में आउटसोर्स आधार पर सेवाएं प्रदान की जा रही है. इनमें कुशल और अकुशल दोनों तरह की सेवाएं शामिल हैं.
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