शिमला: इस साल फरवरी में असम कैबिनेट ने मदरसों और संस्कृत की टोलों को बंद करने और ऐसे सभी मौजूदा संस्थानों को नियमित स्कूलों में बदलने का फैसला लिया था. असम में मदरसा शिक्षा बंद करने के मुद्दे पर असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईडीएफ) के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल के बीच शब्दों के युद्ध के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया है.
हिमंत बिस्वा सरमा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह इसे बदलने के लिए एक और कैबिनेट का फैसला लेंगे और मदरसा शिक्षा को फिर से शुरू करेंगे.
इस बीच हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा है कि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की ओर से क्या बयान आया उसे पूरी तरह से नहीं पढ़ा है. साथ ही साथ अभी तक असम की सरकार ने इस मामले को लेकर क्या विचार किया है.
जितना अभी तक जानकारी है उसके आधार पर अभी तक कह सकता हूं कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाना बहुत महत्वपूर्ण है. गोविंद ठाकुर ने कहा कि असम सरकार ने इस मामले में अध्ययन करके क्या फैसला लिया उसकी विस्तृत जानकारी जुटाने के बाद आगे जानकारी दी जाएगी.
गौर रहे कि मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा था कि सरकारी खजाने पर धार्मिक शिक्षा की अनुमति नहीं दी है. इस मुद्दे पर हमारा रुख समान है. हमने विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा की है और एक संकल्प अपनाया है कि सरकारी खर्च पर धार्मिक शिक्षा नहीं हो सकती. हम इस पर काम कर रहे हैं और सरकार इस संबंध में अंतिम निर्णय नवंबर तक लेने वाली है.
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