शिमलाः राजधानी शिमला में सरकार किसी बड़े हादसे के इंतजार में है. बर्फबारी का सीजन शुरू होने से पहले नगर निगम शिमला ने 254 खतरनाक पेड़ों को काटने की अनुमति सरकार से मांगी थी, लेकिन निगम को इन पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं मिल पाई है. वहीं, अब बर्फबारी शुरू हो गई है और शहर में पेड़ गिरने का डर लोगों को सत्ता रहा है.
शहर में हर साल बर्फबारी में पेड़ गिरते हैं और कई जगह घरों के ऊपर सूखे पेड़ गिरने की कगार पर हैं. स्थानीय लोगों ने नगर निगम से इन पेड़ों को कटाने का आग्रह किया था. जिसे लेकर नगर निगम की ट्री कमेटी ने नवंबर माह में ही शहर में खतरनाक पेड़ों का जायजा लेकर रिपोर्ट को सरकार से अनुमति के लिए भेजा था.
खतरनाक पेड़ों को काटने के लिए सरकार कैबिनेट की बैठक में ही फैसला लेती है. इस महीने में दो बार कैबिनेट की बैठक का आयोजन हो चुका है, लेकिन कैबिनेट के एजेंडे में इसे शामिल तक नहीं किया गया. सरकार से मंजूरी न मिलने के चलते नगर निगम इस पेड़ों को नहीं काट पा रहा है.
नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि शहर में 254 पेड़ों को काटने की अनुमति सरकार से मांगी गई है, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है. इन पेड़ों में ज्यादातर सूखे और गिरने की कगार पर हैं. बर्फबारी में इन पेड़ों के गिरने की आशंका ज्यादा रहती है और कुछ पेड़ों की टहनियां काटने की भी अनुमति मांगी गई है. पेड़ों की टहनियां बर्फबारी के बाद बिजली की तारों पर गिरती हैं, जिससे बिजली सेवा बाधित होने का खतरा बना रहता है.
शहर में लोग खतरनाक पेड़ों को काटने के लिए आवेदन तो करते हैं, लेकिन निगम को इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी पड़ती है. पेड़ों को काटने के प्रक्रिया को कम करने के लिए मुख्यमंत्री से भी मिले थे और इस प्रक्रिया को कम करने का आग्रह किया गया था.
बता दें शहर में बर्फबारी के बाद हर साल सड़कों ओर घरों पर पेड़ गिरते हैं. इस साल भी कई पेड़ गिरने की कगार पर है, लेकिन सरकार के समक्ष मामला लाने के बावजूद भी इन पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जा रही है.