शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में सरकार ने संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए 10 दिन का कोरोना कर्फ्यू लगा दिया है. आईजीएमसी में ओपीडी तो खुली है लेकिन अब मरीजों की संख्या घटने लगी है. मरीजों में अस्पताल आने का खौफ है और वह अस्पताल आने से बच रहे हैं.
ओपीडी में कम हुई मरीजों की संख्या
दो सप्ताह पहले जहां आईजीएमसी की ओपीडी 2000 से 2500 तक प्रतिदिन जा रही थी, वही बीते सप्ताह 1200 के लगभग ही रह गयी थी. कर्फ्यू लगते ही शुक्रवार को 500 के लगभग मरीज ही उपचार के लिए आईजीएमसी पहुंचे. शुक्रवार को 515 मरीज ही ओपीडो आए जबकि आपातकाल में कुल 73 मरीज ही जांच के लिए आए.
बता दें कि आम दिनों में आपातकाल में प्रतिदिन 150 से 200 गंभीर मरीज उपचार के लिए आते थे. अस्पतालों में ओपीडी की संख्या में कमी आने का एक कारण निजी बसों की हड़ताल भी है. बसों के कम चलने का फायदा निजी गाड़ी चालक भी उठा रहे हैं. निजी गाड़ी चालक अपनी मरजी से किराया वसूल रहे हैं. ऐसे में कई लोग सफर नहीं कर पा रहे हैं.
रातों रात नही लगाया जा सकता स्टाफ
आईजीएमसी में सबसे भीड़-भाड़ वाली ओपीडी मेडिसिन और सर्जरी है लेकिन शुक्रवार को दोनों जगह गिने चुने मरीज ही दिखे. इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने बताया कि ओपीडी खुली है लेकिन समस्या भीड़ की है. लोग अपना इलाज टेलीमेडिसिन के जरिए भी करा सकते हैं. उनका कहना था कि अगर जरूरी न हो तो लोग घर से बाहर न निकलें. उनका कहना था कि प्रतिदिन हजारों लोग पॉजटिव आ रहे हैं जिसमें से 10 फीसदी को अस्प्ताल में रखना पड़ रहा है. उनका कहना था कि समस्या जगह की नहीं है. सरकार बेड की संख्या बढ़ा सकती है लेकिन उनको देखने वाला स्टाफ रातों रात नहीं लगाया जा सकता.
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