कुल्लू/बिलासपुर: डेंटल क्लीनिक में किसी भी मरीज का चेकअप करने के लिए डॉक्टर का सीधा संपर्क मरीज के मुंह होता है. ऐसे में कोरोना फैलने का खतरा और बढ़ जाता है, जिसके डर से मरीज डेंटल क्लीनिक का रूख करने से बच रहे हैं. ऐसे में करीब तीन महीने बाद क्लीनिक खोलने के बाद भी दंत चिकित्सकों के पास न के बराबर मरीज आ रहे हैं.
कुल्लू के डॉक्टर पंकज का कहना है कि पूरी सावधानी और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखते हुए मरीजों का इलाज किया जा रहा है. बावजूद इसके लोगों के अंदर बैठे कोरोना के डर के चलते उनका 90 फीसदी कार्य प्रभावित हुआ है. सरकार ने इन डॉक्टर्स के लिए खास गाइडलाइन जारी की हैं, जिनका पालन करते हुए ही डेटिस्ट मरीजों का ट्रीटमेंट कर रहे हैं.
डेंटल क्लीनिक्स में मरीजों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा दवाईयों का ही प्रयोग किया जा रहा है और आपातकालीन स्थिति में ही एरासोल जनरेटिंग प्रोसिजर जैसी ट्रीटमेंट्स की जा रही है. लोगों के दिलों-दिमाग पर हावी कोरोना के खौफ के चलते तीन महीने बाद क्लीनिक खोलकर बैठे डॉक्टर्स को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
अकेले जिला कुल्लू में 50 से अधिक डेंटल क्लीनिक हैं. कोरोना महामारी से लोगों का खौफ लाजमी है, लेकिन जरूरत पड़ने पर घर से बाहर निकलने से परहेज करना भी समझदारी नहीं है. फिर चाहे दांतों की बीमारी हो या कोई जरूरी कार्य सावधानी और सुरक्षा बरतने पर कोरोना संक्रमण फैलने के आसार बेहद कम रह जाते हैं. इससे न डॉक्टर्स की आमदनी बनेगी और मरीजों को भी बेवजह परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी.