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लवी मेले में 800 रुपए किलो में बिक रहा पेजा किस्म का लाल चावल, आप भी जानिए इसके फायदे - benefits of red rice

लाल चावल की पेजा किस्म रामपुर बुशहर में इस बार यह चावल यूं तो 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, लेकिन जो चावल की पेजा नामक किस्म है वह 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. वहीं, पेजा किस्म के लाल चावल शुगर के मरीज भी खा सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...(Sugar Patients Can Also Eat Red Rice) (Peja Variety Of Red Rice)

Peja Variety Of Red Rice
हिमाचल में रेड राइस की पेजा वैरायटी
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Published : Nov 21, 2022, 10:48 AM IST

रामपुर: शिमला जिले के रामपुर में लगा अंतरराष्ट्रीय लवी मेला 14 नवंबर को समाप्त हो गया है, लेकिन यहां अभी भी स्टॉल लगे हैं. इनमें कुछ स्टॉल ऐसे हैं, जहां पर अपने खेतों में उगाए गए उत्पाद दुकानदारों ने बेचने के लिए रखे हैं. इनमें सबसे पसंदीदा उत्पाद लाल चावल हैं, जिसे लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं. इस चावल की प्रदेश में बहुत कम पैदावार होती है इसलिए यह चावल अधिक मंहगा बिकता है. (Peja Variety Of Red Rice)

पेजा लाल चावल 800 रुपये किलो बिक रहा: लाल चावल की पेजा किस्म रामपुर बुशहर में इस बार यह चावल यूं तो 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, लेकिन जो चावल की पेजा नामक किस्म है वह 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस चावल की विशेषता यह है कि यह काफी पौष्टिक माना जाता है. शुगर के मरीज भी इस चावल का आनंद ले सकते हैं. यह चावल रोहड़ू क्षेत्र से बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में लाया गया है. व्यापारियों का कहना है कि यह चावल बहुत कम मात्रा में पैदा होता है, ऐसे में बाजार में इसकी मांग काफी ज्यादा होती है.

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ये उत्पाद भी खरीद रहे लोग: इसके अलावा यहां पर और भी लोकल उत्पाद लगे है स्टॉल पर पहाड़ी माश, कोलथ, अखरोट, राजमा, ओगले का आटा, फाफरे का आटा, चुली और बेमी का तेल व अन्य उत्पाद भी बेचने के लिए रखा गया है. पहाड़ी उत्पाद के विक्रेता बबलू वर्मा और अमरनाथ का कहना है कि लवी मेले में आधुनिकता हावी हो गई है, लेकिन अभी भी लोग पुरानी चीजों को पसंद कर रहे हैं. खासकर पुराने उत्पादों को लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं.

हिमाचल में घटी लाल चावल की खेती: अब लाल चावल की खेती सिमट कर रह गई है. एक दशक पहले यह खेती रामपुर के अधिकतर क्षेत्रों, जो नदी के किनारे बसे हुए थे, वहां पर की जाती थी. अब जैसे-जैसे लोग व्यस्त हो गए हैं, उन्होंने इस खेती से किनारा कर दिया. अब यह खेती रोहड़ू के कुछ क्षेत्रों तक सिमटकर रह गई है. वहीं, पहाड़ी माश व कोलथ की स्थिति भी ऐसी ही है. लोगों ने इसकी खेती करने से भी किनारा कर लिया है.

लाल चावल के फायदे: बता दें कि लाल चावल में खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने की असीम शक्ति है. साथ ही इसमें फाइबर, जिंक, आयरन, नियानिस तथा विटामिन डी जैसे तत्त्व भी पाए जाते हैं. लाल चावल में ऑक्सीडेंट ज्यादा पाए जाते हैं. कैंसर के उपचार के लिए भी इसका उपयोग करने पर शोध चल रहे हैं. वहीं, पेजा किस्म के लाल चावल शुगर के मरीज भी खा सकते हैं. लाल चावल हिमाचल में सैकड़ों सालों से पैदा हो रहा है, मगर जल स्रोतों के सूखने के साथ साथ लोगों के नकदी फसलों की तरफ रुझान बढ़ने की वजह से इसकी पैदावार कम होने लगी है. (benefits of red rice) (Sugar Patients Can Also Eat Red Rice)

ये भी पढ़ें: हिमाचल में सेब का बंपर उत्पादन, 12 सालों का टूटेगा रिकॉर्ड

रामपुर: शिमला जिले के रामपुर में लगा अंतरराष्ट्रीय लवी मेला 14 नवंबर को समाप्त हो गया है, लेकिन यहां अभी भी स्टॉल लगे हैं. इनमें कुछ स्टॉल ऐसे हैं, जहां पर अपने खेतों में उगाए गए उत्पाद दुकानदारों ने बेचने के लिए रखे हैं. इनमें सबसे पसंदीदा उत्पाद लाल चावल हैं, जिसे लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं. इस चावल की प्रदेश में बहुत कम पैदावार होती है इसलिए यह चावल अधिक मंहगा बिकता है. (Peja Variety Of Red Rice)

पेजा लाल चावल 800 रुपये किलो बिक रहा: लाल चावल की पेजा किस्म रामपुर बुशहर में इस बार यह चावल यूं तो 150 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, लेकिन जो चावल की पेजा नामक किस्म है वह 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस चावल की विशेषता यह है कि यह काफी पौष्टिक माना जाता है. शुगर के मरीज भी इस चावल का आनंद ले सकते हैं. यह चावल रोहड़ू क्षेत्र से बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में लाया गया है. व्यापारियों का कहना है कि यह चावल बहुत कम मात्रा में पैदा होता है, ऐसे में बाजार में इसकी मांग काफी ज्यादा होती है.

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ये उत्पाद भी खरीद रहे लोग: इसके अलावा यहां पर और भी लोकल उत्पाद लगे है स्टॉल पर पहाड़ी माश, कोलथ, अखरोट, राजमा, ओगले का आटा, फाफरे का आटा, चुली और बेमी का तेल व अन्य उत्पाद भी बेचने के लिए रखा गया है. पहाड़ी उत्पाद के विक्रेता बबलू वर्मा और अमरनाथ का कहना है कि लवी मेले में आधुनिकता हावी हो गई है, लेकिन अभी भी लोग पुरानी चीजों को पसंद कर रहे हैं. खासकर पुराने उत्पादों को लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं.

हिमाचल में घटी लाल चावल की खेती: अब लाल चावल की खेती सिमट कर रह गई है. एक दशक पहले यह खेती रामपुर के अधिकतर क्षेत्रों, जो नदी के किनारे बसे हुए थे, वहां पर की जाती थी. अब जैसे-जैसे लोग व्यस्त हो गए हैं, उन्होंने इस खेती से किनारा कर दिया. अब यह खेती रोहड़ू के कुछ क्षेत्रों तक सिमटकर रह गई है. वहीं, पहाड़ी माश व कोलथ की स्थिति भी ऐसी ही है. लोगों ने इसकी खेती करने से भी किनारा कर लिया है.

लाल चावल के फायदे: बता दें कि लाल चावल में खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने की असीम शक्ति है. साथ ही इसमें फाइबर, जिंक, आयरन, नियानिस तथा विटामिन डी जैसे तत्त्व भी पाए जाते हैं. लाल चावल में ऑक्सीडेंट ज्यादा पाए जाते हैं. कैंसर के उपचार के लिए भी इसका उपयोग करने पर शोध चल रहे हैं. वहीं, पेजा किस्म के लाल चावल शुगर के मरीज भी खा सकते हैं. लाल चावल हिमाचल में सैकड़ों सालों से पैदा हो रहा है, मगर जल स्रोतों के सूखने के साथ साथ लोगों के नकदी फसलों की तरफ रुझान बढ़ने की वजह से इसकी पैदावार कम होने लगी है. (benefits of red rice) (Sugar Patients Can Also Eat Red Rice)

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