शिमलाः जब कोरोना महामारी शुरू में फैली थी तो उस दौरान कोरोना वैक्सीन के लिए तरस रहे थे. अब जब कोरोना की वैक्सीन आई तो स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना का टीका लगाने के लिए तैयार होते नजर नहीं आ रहे है. इसका अंदाजा जिला में स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगे अभी तक कोरोना के टीकाकरण से लगाया जा सकता है.
शिमला जिला की अगर बात की जाए तो स्वास्थ्य विभाग ने कोविड टीकाकरण के लिए 13115 स्वास्थ्य कर्मचारी जिसमें डॉक्टर, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ के अलावा आशा कार्यकर्ता और आगंनबाडी कार्यकर्ता सूची में शामिल है, जिनमें से 7467 ने ही कोरोना का टीका लगाया है जो कुल संखया का 56 प्रतिशत बनता है. इसे तो यह स्पष्ट होता है कि कुछ स्वास्थ्य कर्मचारी टीका लगाने के लिए विल्कुल भी तैयार नहीं है.
9 फरवरी तक कोरोना टीका लगााने के दिए निर्देश
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला शिमला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुरेखा चोपड़ा ने कहा कि जिला शिमला में जिन हेल्थ केयर कर्मचारियों ने अभी तक कोरोना टीका नहीं लगाया है वह 9 फरवरी तक टीका अवश्य लगााएं, क्योंकि यह अंतिम दिन होगा तथा उनकी सुविधा के लिए मोप- अप राउड 12 फरवरी को सुनिश्चित है। अन्यथा आगे उनको अपने खर्चे से टीका लगाना पडे़गा. 10 फरवरी से कोविड टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हो रहा है, जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर जिसमें पुलिस, सेनिटेशन,रेविनयूऔर पंचायती राज विभाग का टीकाकरण किया जाएगा. कोरोना टिकाकरण के आंकड़ों के मुताबिक जिला में अगर कोरोना टीका लगाने की यही रफ्तार रहती है तो काफी सारे स्वास्थ्य कर्मचारी टिकारण से छुट जाएंगे.
सरकार ने सबसे पहले टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसलिए चुना है, क्योंकि कोरोना काल में इन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की जान को बचाया है, लेकिन अब यह भी एक बड़ी बात है कि अगर ये लोग ही कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो मरीजों का इलाज कैसे हो पाएगा. इन्हें कोरोना का टिका लगना बहुत जरूरी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कर्मचारियों के समय से टिका लगाने के लिए निर्देश जारी किए है.
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