शिमलाः यूं तो जब भी लंगर का नाम आता है तो हमारे सामने लोगों की सेवा करते सेवकों की तस्वीर सामने आ जाती है. लेकिन देवभूमि हिमाचल प्रदेश की राजधानी में लंगर पर जमकर राजनीति हो रही है. यह हम नहीं बल्कि राजधानी की मौजूदा स्थिति बोल रही है.
इससे पहले हम लंगर पर हो रही राजनीति को समझें. उससे पहले हम यह हमें यह जानना जरूरी है कि सरबजीत सिंह बॉबी आखिर किस तरह की सेवा करते हैं, जो सबसे अलग है.
सरबजीत सिंह बॉबी उर्फ वेला बंदा
साल 2014 से सुबह के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में सरबजीत सिंह बॉबी उर्फ वेला बंदा कैंसर मरीजों की सेवा करते आ रहे हैं. बॉबी ऑलमाइटी ब्लेसिंग नामक संस्था के अध्यक्ष हैं.
सरबजीत सिंह न केवल आईजीएमसी में मरीजों और उनके तीमारदारों की सेवा करते हैं बल्कि पूरे शिमला में लोगों के लिए फ्यूनरल एंबुलेंस भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाते हैं. यही नहीं, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं होता. उनके अंतिम संस्कार में भी सरबजीत सिंह बॉबी सहायता करते हैं.
रोटी बैंक की शुरआत
सरबजीत सिंह बॉबी को शहर का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि बॉबी ने शहर भर के स्कूलों से रोटी एकत्रित कर अस्पताल में रोटी बैंक की स्थापना की. इस रोटी बैंक में शहर के स्कूलों से के बच्चे अपनी टिफिन में मरीज और उनके तीमारदारों के लिए रोटी लाते हैं. इससे न केवल बच्चों के मन में सेवा की भावना पैदा होती है बल्कि बच्चे बांटने की खुशी को भी सीखते हैं.
चाय और बिस्किट से की थी शुरुआत
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के कैंसर हॉस्पिटल में बॉबी की ऑलमाइटी ब्लेसिंग संस्था मरीज और उनके तीमारदारों के लिए खाना उपलब्ध करवाने की शुरुआत सिर्फ चाय के छोटे से कप और बिस्किट के पैकेट से हुई थी. धीरे-धीरे लोगों का समर्थन बॉबी को मिलता गया और चाय का कप खाने में तब्दील हो गया. इसके बाद बॉबी की संस्था लोगों को मरीज और उनके तीमारदारों को तीन समय का भोजन बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध करवाने लगी.
कई नेताओं और अधिकारियों ने की लंगर में सेवा
सूबे के बड़े नेता या तो अपने जन्मदिन पर या किसी खुशी के मौके पर कैंसर अस्पताल आते और अपनी खुशी को कैंसर मरीज और उनके तीमारदारों के साथ मनाते. अपना जन्मदिन कैंसर अस्पताल में मनाने अस्पताल में मनाने वालों की सूची बेहद लंबी है.
इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह समेत प्रदेश के बड़े-बड़े अधिकारी भी इस लंगर में सेवा करते देखे गए. सरबजीत सिंह बॉबी को इस काम के लिए देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी सम्मानित कर चुके हैं.
क्या है विवाद
ऑलमाइटी ब्लेसिंग के अध्यक्ष सरबजीत सिंह बॉबी का कहना है कि कैंसर अस्पताल में लंगर के साथ कैंसर अस्पताल में आ रहे मरीजों के तीमारदारों के लिए रात को ठहरने की व्यवस्था शुरू करना चाह रहे थे, जिसके लिए वह बीते करीब 2 सालों से काम में डटे हुए थे.
निजी प्रयासों से शुरू हुआ रैन बसेरे का काम
साल 2017 में जब प्रदेश की कमान वीरभद्र सिंह के हाथों में थी. उस समय वह आईजीएमसी अस्पताल के दौरे पर आए थे, जिस समय सरबजीत सिंह बॉबी ने उन्हें एक खाली जगह दिखाई. जहां पानी की टंकियां लगी हुई थी.
उन्होंने वीरभद्र सिंह से आग्रह किया कि इस स्थान को रैन बसेरे के तौर पर इस्तेमाल किया जाए. जिसके बाद यह काम शुरू हुआ था. बॉबी का कहना है कि उनके निजी प्रयासों से रैन बसेरे का काम शुरू किया गया था.
समाजसेवी गुरमीत को मिला रैन बसेरे का टेंडर
आईजीएमसी प्रशासन ने इन तीमारदारों के रहने के लिए रैन बसेरे का टेंडर किया. यह टेंडर शिमला के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में रोटी बैंक चला रहे गुरमीत सिंह को मिला. वही रोटी बैंक जिसका उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 6 जनवरी को अपने जन्म दिवस के मौके पर किया था.
लंबे समय से सेवा में जुटे हैं गुरमीत
गुरमीत सिंह भी पिछले लंबे समय से लोगों की सेवा करते आ रहे हैं. कोरोना संकट काल के बीच लोगों को सहायता पहुंचाना या ठंड के समय मजदूरों को गर्म कपड़ों की व्यवस्था कराना, गुरमीत सिंह हर जगह लोगों की मदद करते हुए नजर आते हैं.
गुरमीत सिंह भी लंबे समय से दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में लंगर चला अस्पताल में लंगर चला रहे हैं जिससे सैकड़ों मरीज और तीमारदार लाभान्वित होते आए हैं.
गुपचुप तरीके से किए टेंडर
लेकिन सरबजीत सिंह बॉबी का आरोप है कि आईजीएमसी प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में आकर गुपचुप तरीके से रैन बसेरे के टेंडर कर दिए, जिसकी बॉबी को जिसकी भनक तक नहीं लगी. बॉबी का आरोप है कि वह बीते 2 साल से इस काम पर डटे हुए थे. वे तीमारदारों के लिए बेड तक की व्यवस्था भी कर चुके हैं लेकिन आईजीएमसी ने गुपचुप तरीके से रैन बसेरे के टेंडर कर दिए, जो सरासर अन्याय है.
अगस्त 2020 में सुरेश भारद्वाज करने वाले थे उद्घाटन
बॉबी ने यह तक कहा कि वे अगस्त 2020 में रैन बसेरे का उद्घाटन प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज से करवाने वाले थे, जिसके निमंत्रण पत्र तक छप चुके थे. लेकिन किसी कारणवश उद्घाटन नहीं हो सका.
बीजेपी से जुड़े होने की वजह से मिला टेंडर
बॉबी का आरोप है कि आईजीएमसी प्रशासन किसी बड़े राजनीतिक दबाव में है. क्योंकि वह सूबे के कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज तक की की बात नहीं सुन रहे. बॉबी ने आरोप लगाए कि गुरमीत सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं इसलिए उन्हें रैन बसेरे का टेंडर दिया गया.
बॉबी को मिला वीरभद्र सिंह का समर्थन
इस सारे घटनाक्रम के बीच सरबजीत सिंह बॉबी को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का भी साथ मिला. उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा कि आईजीएमसी को राजनीति का अखाड़ा न बनाया जाए. लंगर पर किसी भी तरह की राजनीति न हो. इसके अलावा कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी सरबजीत सिंह बॉबी के साथ अन्याय होने की बात कही.
सोशल मीडिया पर भी सरबजीत सिंह बॉबी को जमकर लोगों का सहयोग मिला. सोशल मीडिया पर भी सरबजीत सिंह बॉबी के समर्थन में बड़े-बड़े पोस्ट देखने को मिले पोस्ट देखने को मिले.
आनन-फानन में कर दिया रैन बसेरे का उद्घाटन
बॉबी अभी समर्थन जुटाने और आरोप लगाने में ही लगे थे कि इसी बीच आईएमसी प्रशासन ने आनन-फानन में रैन बसेरे का उद्घाटन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल से करवा दिया. राजीव सैजल उद्घाटन में आए और उन्होंने गुरमीत सिंह को नए काम करने की बधाई दी.
जब मीडिया ने राजीव सैजल से विवाद के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने किसी भी तरह के विवाद होने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सभी को सेवा का मौका दिया जाना चाहिए. यह टेंडर सही तरीके से किए गए हैं. इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. राजीव सैजल ने कहा कि सरबजीत सिंह बॉबी को कोई भी लंगर लगाने से नहीं रोक लगाने से नहीं रोक रहा है. सभी मिलकर सेवा कर सकते हैं.
किसी विवाद के बारे में नहीं जानकारी: गुरमीत सिंह
हालांकि जब इस बारे में गुरमीत सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने इस बारे में जानकारी न होने की बात कही. गुरमीत सिंह ने कहा कि वे केवल सेवा के लिए आए हैं और किसी तरह के विवाद के बारे में नहीं जानते.
व्यक्तिगत विचारधारा के प्रभाव में काम कर रहे डॉ.जनक
इसके बाद बॉबी ने आरोपों को और अधिक सख्त किया और कहा कि आईजीएमसी प्रशासन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जनक राज राज राजनीतिक दबाव और अपनी व्यक्तिगत विचारधारा के अधीन होकर काम कर रहे हैं.
बॉबी ने सरकार से मांग की रखी कि प्रशासन में विशेष विचारधारा वाले लोगों को कोई जिम्मेदारी न दी जाए. अन्य विभागों की तरह सरकार बदलने के साथ अस्पतालों में इस तरह के फेरबदल न किए जाए. बॉबी ने आरोप लगाया कि डॉक्टर जनक सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. ताकि आने वाले समय में अपना व्यक्तिगत हित भी साथ सकें.
नियमानुसार हुए टेंडर
इसके बाद बॉबी के आरोपों पर शुक्रवार को डॉ.जनक राज ने पत्रकार वार्ता का आयोजन किया और डॉ. राजीव सैजल की बात को दोहराते हुए कहा कि टेंडर प्रक्रिया नियमानुसार की गई है. टेंडर प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है.
'बॉबी ने किया है अवैध कब्जा'
साथ ही डॉक्टर जनक राज ने कहा कि ने कहा कि राज ने कहा कि ने कहा कि सरबजीत सिंह बॉबी जिस जगह पर लंगर चला रहे हैं, वह अवैध कब्जा है. उस जगह को 108 एंबुलेंस सेवा के ड्राइवर के लिए रखा गया था लेकिन बॉबी ने उस पर कब्जा किया. डॉ. जनक राज ने सरबजीत सिंह बॉबी ने सरबजीत सिंह बॉबी को नोटिस तक देने की बात कही.
31 मार्च को बॉबी का लंगर बन्द!
डॉक्टर जनक राज की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सरबजीत सिंह बॉबी ने आईजीएमसी के लंगर को 31 मार्च के बाद बंद करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि वह इस लंगर को बंद कर देंगे. डॉ जनक राज की उपस्थिति में गुरमीत सिंह को लंगर का सारा सामान तक दे देंगे. बॉबी ने कहा कि इस मौके पर वे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को भी निमंत्रण देंगे.
सरबजीत सिंह बॉबी पत्रकारों से बातचीत करते हुए भावुक नजर आए. उन्होंने कहा कि उन्होंने इतने वर्ष तक लोगों की सेवा की और अब वह लांछन के साथ इस सेवा से नहीं दूर नहीं जाना चाहते हैं. इसलिए वे सारा सामान गुरमीत सिंह को दे देंगे. उन्होंने कहा कि वे जो फ्यूनरल वे जो एंबुलेंस सेवा और कमला नेहरू अस्पताल में लंगर सेवा चला रहे हैं, अगर सरकार चाहेगी तो वह इसे भी बंद कर देंगे.
कौन सही-कौन गलत
इस सारे मामले में कौन सही है और कौन गलत इसका फैसला तो जनता को ही करना है. आने वाले समय में लंगर पर राजनीतिक बवंडर का क्या होगा. यह तो आने वाला समय ही बताएगा. एक तरफ नियम-कानून हैं और दूसरी तरफ लोगों की भावनाएं.
फिलहाल लोगों की राय में यह सब गलत हो रहा है. अस्पताल में राजनीति को कोई भी सही नहीं ठहरा रहा. मरीज और उनके तीमारदारों उनके तीमारदारों की सेवा कोई भी कर सकता है.
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
प्रदेश सरकार और आईजीएमसी प्रशासन को चाहिए कि इस मामले पर कोई बीच का रास्ता निकाला जाए. शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी इस मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हस्तक्षेप करने की मांग की है. अब देखना यह होगा कि क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस मामले में हस्तक्षेप करते हैं या नहीं या इंतजार है मामला ठंडे बस्ते में जाने का.
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