शिमला: किसान संघर्ष समिति ने पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में बर्फबारी, भारी ओलावृष्टि और बारिश से सेब, फलों व फसलों को हुई भारी क्षति पर चिंता व्यक्त की है. समिति ने सरकार से मांग की है कि इस क्षति का तुरन्त आकलन कर बागवानों को इसका मुआवजा प्रदान किया जाए और किसानों व बागवानों से ऋण की वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाए.
फसल को हुए नुकसान के मुआवजे की मांग
किसान संघर्ष समिति की ओर से मांग की गई है कि सरकार प्रदेश भर में कृषि व बागवानी विभाग के माध्यम से फफूंदीनाशक, कीटनाशक, माइक्रोन्यूट्रिएंट, खाद, बीज आदि लागत वस्तुएं सब्सिडी पर तुरन्त उपलब्ध करवाए. इससे बागवान समय पर स्प्रे व अन्य कार्य कर इस नुकसान को बढ़ने से रोक सकेंगे. किसान संघर्ष समिति के महासचिव संजय चौहान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, लाहौल-स्पीति, सोलन, सिरमौर, चंबा, कांगड़ा में बर्फबारी और भारी ओलावृष्टि के अलावा बारिश से फलों व अन्य फसलों को भारी क्षति हुई है. इससे इन जिलों के किसानों और बागवानों की अधिकांश फसल बर्बाद हो गई है.
नुकसान का आकलन नहीं कर पाई है सरकार
शिमला, किन्नौर, कुल्लू, मंडी जिलों में तो इस प्राकृतिक आपदा के कारण सेब और अन्य फल जिसमें चेरी, पल्म, खुमानी, बादाम आदि की फसल को भारी नुकसान हुआ है. प्रदेश में अकेले सेब की करीब 70 प्रतिशत फसल बर्फबीरी व भारी ओलावृष्टि से बर्बाद हो गई जो अनुमान के अनुसार करीब 2000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान है. असामयिक बर्फबारी व भारी ओलावृष्टि से सेब के पेड़ टूटने से भी बागवानों को भारी क्षति पहुंची है. सरकार अभी तक इस क्षति के आकलन का कार्य तक नहीं कर पाई है और बागवानों को मुआवजा देने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं.
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