शिमला: देश प्रदेश के साथ-साथ राजधानी शिमला में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर शिमला शहर में मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बांटी गई. शिमला शहर के बाजार में व्यापारियों ने मिलकर खिचड़ी बनाई और व्यापारी वर्ग ने लोगों में भी बांटा. शिमला की सब्जी मंडी के साथ ही मीट मार्केट में खिचड़ी का भंडारा लगा. यहां खिचड़ी बनाकर लोगों को वितरित की गई. इसी तरह से जगह-जगह उपनगरों में भी खिचड़ी का भंडारा लगाया गया और लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाई गई.
मकर संक्रांति के दिन दान पूर्ण का अधिक महत्व रहता है. इसी वजह से मंदिरों में भी इस दिन पर भीड़ देखी गई और लोगों ने मंदिरों में आकर दान पुण्य किया. यही वजह है कि मकर सक्रांति के दिन खिचड़ी का दान भी किया जाता है और इस दिन किए गए योगदान का अनंत गुना फल मिलता है.
यह भी है मान्यता ?
मान्यता भी है के सक्रांति के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, लेकिन इस बार अप्रैल माह तक अस्त होने के चलते किसी भी तरह की शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, व्रत, कथा और दान के साथ ही भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व है. इस दिन भी तिल, कंबल, खिचड़ी का दान किया जाता है. यह कहा जाता है कि संक्रांति के दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी दान से किस्मत बदलती है.
तत्तापानी में मकर संक्रांति के दिन होता है भव्य मेले का आयोजन
हिमाचल प्रदेश में भी मकर सक्रांति धूमधाम से मनाया जाता है. अलग-अलग जिलों में अपनी परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार इस दिन पर पकवान बनते हैं और दान भी किया जाता. वहीं, तत्तापानी में मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते यहां पर मेले का आयोजन नहीं किया गया.
तत्तापानी में मकर सक्रांति के दिन बनी थी 1995 किलो खिचड़ी
बीते वर्ष की बात की जाए तो तत्तापानी में मकर सक्रांति के दिन 1995 किलो खिचड़ी एक ही बर्तन में बना कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था, लेकिन इस बार यहां पर इस तरह का कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है जबकि लोग यहां पहुंचकर स्नान करने के साथ ही तुला दान कर रहे हैं.
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