शिमला: राजधानी शिमला में वर्षों से चली आ रही परंपरा इस बार भी रिज मैदान पर ही पूरी होगी. शिमला के रिज मैदान पर सुहागिनें इस बार भी करवा चौथ पर चांद का दीदार करेंगी, लेकिन इसके लिए उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करना होगा.
रिज पर 8.06 पर होगा चांद का दीदार
कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से रिज मैदान पर करवा चौथ के दिन चांद को देखने आने वाली महिलाओं से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की गई है. इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार किया गया है. रिज मैदान पर एक साथ भीड़ इकट्ठी ना हो और लोग कोरोना के नियमों का पालन करें इसके लिए जिला प्रशासन ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है. इस बार शिमला में शाम 8:06 मिनट पर चांद का दीदार होगा और सुहागिनें एक साथ चांद का दीदार कर अपने करवा चौथ के व्रत को पूरा करेंगी.
खास बात यह है कि शिमला में रिज मैदान ही एक स्थान ऐसा है, जहां चांद का दीदार सबसे पहले होता है. यही वजह है कि शिमला के अलग-अलग स्थानों से महिलाएं रिज मैदान पर चांद का दीदार करने आती हैं. यहां सैकड़ों सुहागिनें चांद को अर्घ देकर, छननी से अपने पति का चेहरा देखकर और उनके हाथों से पानी पी कर अपना व्रत खोलती है.
शुभ है इस बार का करवा चौथ का व्रत
इस बार का करवा चौथ का व्रत शुभ माना जा रहा है. करवाचौथ पर भद्रा का साया नहीं है. ऐसे में जैसे ही चांद निकलेगा वैसे ही महिलाएं चांद को अर्घ दे कर अपना व्रत खोल सकती है. पंडित वासुदेव ने बताया कि करवा चौथ का त्यौहार गणेश चतुर्थी के दिन मनाया जाता है. इस बार का करवाचौथ बुधवार को आ रहा है जो खास फलदाई है. शादी के बाद पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत करना शुभ है. साथ ही व्रत का उद्यापन करने की चाह रखने वाली महिला के लिए भी शुभ रहेगा. उन्होंने बताया कि शिमला में शाम 8 बजकर 6 मिनट पर चंद्रोदय होगा और महिलाएं चांद का दीदार कर सकेंगी.
प्रशासन ने किए विशेष प्रबंध
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से भी विशेष प्रबंध किए गए है. डीसी शिमला आदित्य नेगी ने बताया कि इस बार शिमला को करवा चौथ के लिए अलग-अलग सेक्टर में बांटा गया है. हर एक सेक्टर मजिस्ट्रेट के अंदर होगा और मजिस्ट्रेट का काम होगा लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना और मास्क पहनने जैसे निर्देशों को देने के साथ ही इन बातों पर चैक रखना होगा.
लोगों से नियमों का पालन करने की अपील
साथ ही पुलिस जवानों की मदद से भी लोगों को निर्देशों के अनुपालन करने को लेकर जागरूक किया जाएगा. जिला प्रशासन ने लोगों से भी अपील की है कि जो लोग अपने घर पर रहकर ही चांद देख सकते हैं वह रिज मैदान पर आने की बजाए घर से ही चांद का दीदार करें और पूजा करें.
करवाचौथ को मनाने के पीछे की कहानी
करवा चौथ गणेश चतुर्थी के दिन आती है. इस दिन चार करवों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि करवा नाम की एक महिला थी जो गणेश चतुर्थी का व्रत करती थी. एक दिन उस महिला का पति नदी पर पानी लेने के लिए गया, जहां उस पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया. जान बचाने के लिए वह अपनी पत्नी का नाम करवा करवा चिल्लता है. उस दिन करवा ने गणेश चतुर्थी का व्रत रखा था. करवा भगवान गणेश की पूजा करने के दौरान अपने पति की चिल्लाने की आवाज सुनती है.
पति को बचाने के लिए करवा नदी के पास पहुंचती है और साथ में सूत का धागा भी लाती है. करवा को अपने पति को बचाने का कोई विकल्प न सूझने पर भगवान से प्रार्थना करते हुए कहती है कि अगर उसने सच्चे मन से भगवान की पूजा की है तो वह अपने पति को बचा लेगी. इसके बाद वह सूत के धागे से मगरमच्छ को अपनी शक्ति से बांध कर पति की जान बचा लेती है. तभी से इस महिला के नाम पर ही अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं करवाचौथ के व्रत का करती हैं.