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इंदिरा गांधी खेल परिसर में जूडो चैंपियनशिप का आगाज, कोरोना नियमों का रखा जा रहा खास ख्याल

इंदिरा गांधी खेल परिसर में राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज आज से हो गया है. प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में यह राज्यस्तरीय जूडो प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस जूडो चैंपियनशिप में आठ जिलों के 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

judo championship
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Published : Mar 25, 2021, 2:15 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में 31वीं राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज आज यानि गुरुवार से हो गया है. इस जूडो प्रतियोगिता में 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. हिमाचल प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में यह राज्यस्तरीय जूडो प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस प्रतियोगिता के मुख्यातिथि आईएएस नीरज कुमार शर्मा रहे. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं होती रहनी चाहिये. इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.

जूडो प्रतियोगिता में 200 प्रतिभागी ले रहे हिस्सा

वहीं, प्रदेश जूडो एसोसिएशन के महासचिव रमेश चौहान ने बताया कि इस जूडो चैंपियनशिप में आठ जिलों के 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में कोरोना से बचाव के सभी तय मापदंडों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा जो बच्चे इस प्रतियोगिता से चयनित होंगे, उनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिये किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता करवाने का मकसद बच्चों को नशे से दूर रखना है. रमेश चौहान ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से बच्चे शारिरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत होते हैं.

चालों से अपनी प्रतिद्वंद्वी को हराने की कला है जूडो

बता दें कि जूडो खेल को डॉ. कानो जिगोरो की ओर से 1882 में जापान में इजाद किया गया था. एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है. इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना या ज्वाइंट लॉक करके यानि जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है. हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जूडो का एक हिस्सा है, लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों में होता है क्योंकि जूडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है.

ये भी पढ़ें: हमीरपुर में फिर पांव पसार रहा कोरोना! वृंदावन से लौटे 14 श्रद्धालुओं समेत 38 लोग संक्रमित

ये भी पढ़ें: CM जयराम ने बढ़ते कोरोना मामलों पर की समीक्षा बैठक, DC-SP समेत कई अधिकारी रहे मौजूद

शिमला: राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में 31वीं राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज आज यानि गुरुवार से हो गया है. इस जूडो प्रतियोगिता में 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. हिमाचल प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में यह राज्यस्तरीय जूडो प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस प्रतियोगिता के मुख्यातिथि आईएएस नीरज कुमार शर्मा रहे. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं होती रहनी चाहिये. इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.

जूडो प्रतियोगिता में 200 प्रतिभागी ले रहे हिस्सा

वहीं, प्रदेश जूडो एसोसिएशन के महासचिव रमेश चौहान ने बताया कि इस जूडो चैंपियनशिप में आठ जिलों के 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में कोरोना से बचाव के सभी तय मापदंडों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा जो बच्चे इस प्रतियोगिता से चयनित होंगे, उनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिये किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता करवाने का मकसद बच्चों को नशे से दूर रखना है. रमेश चौहान ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से बच्चे शारिरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत होते हैं.

चालों से अपनी प्रतिद्वंद्वी को हराने की कला है जूडो

बता दें कि जूडो खेल को डॉ. कानो जिगोरो की ओर से 1882 में जापान में इजाद किया गया था. एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है. इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना या ज्वाइंट लॉक करके यानि जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है. हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जूडो का एक हिस्सा है, लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों में होता है क्योंकि जूडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है.

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