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शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में जूडो चैंपियनशिप का आगाज, 250 खिलाड़ी दिखा रहे दमखम

शिमला में 32वीं राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज हो गया है. हिमाचल प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस चैंपियनशिप में आठ जिलों के 250 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

शिमला का इंदिरा गांधी खेल परिसर
शिमला का इंदिरा गांधी खेल परिसर
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Published : Aug 28, 2021, 2:13 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में 32वीं राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज आज यानि शनिवार से हो गया है. इस जूडो प्रतियोगिता में 250 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. हिमाचल प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में यह प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस प्रतियोगिता के मुख्यातिथि नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल रहीं. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं होती रहनी चाहिये. इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.

वहीं, प्रदेश जूडो एसोसिएशन के महासचिव रमेश चौहान ने बताया कि इस चैंपियनशिप में आठ जिलों के 250 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में कोरोना से बचाव के सभी तय मापदंडों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. रमेश चौहान ने कहा कि जो बच्चे इस प्रतियोगिता से चयनित होंगे, उनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए किया जाएगा. जूडो खेल को जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए थी. प्रदेश में उतनी अभी तक नहीं मिली. अभी भी हिमाचल में मात्र तीन कोच हैं.

वीडियो.

रमेश चौहान ने कहा कि जूडो के 200 खिलाड़ियों को अभी तक सरकारी क्षेत्र में रोजगार मिल चुका है. उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर शिमला आए थे. जूडो संघ ने उनसे मुलाकात की थी. जूडो को हिमाचल में प्रमोट किया जाएगा. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आश्वासन दिया था और यहां पर एक ओलंपिक भवन का निर्माण भी किया जाएगा. साथ ही अन्य जो अच्छे खेल हैं, उन्हें भी बढ़ावा दिया जाएगा. इस तरह की प्रतियोगिता करवाने का मकसद बच्चों को नशे से दूर रखना है. रमेश चौहान ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत होते हैं.

बता दें कि जूडो खेल को डॉ. कानो जिगोरो की ओर से 1882 में जापान में इजाद किया गया था. एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है. इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना या ज्वाइंट लॉक करके यानि जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है.

हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जूडो का एक हिस्सा है, लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों में होता है, क्योंकि जूडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल सरकार 9.50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 125 केंद्रों पर खरीद रही सी-ग्रेड सेब: सुरेश भारद्वाज

शिमला: राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में 32वीं राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज आज यानि शनिवार से हो गया है. इस जूडो प्रतियोगिता में 250 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. हिमाचल प्रदेश जूडो एसोसिएशन की तरफ से इंदिरा गांधी खेल परिसर में यह प्रतियोगिता करवाई जा रही है. इस प्रतियोगिता के मुख्यातिथि नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल रहीं. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं होती रहनी चाहिये. इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.

वहीं, प्रदेश जूडो एसोसिएशन के महासचिव रमेश चौहान ने बताया कि इस चैंपियनशिप में आठ जिलों के 250 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में कोरोना से बचाव के सभी तय मापदंडों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. रमेश चौहान ने कहा कि जो बच्चे इस प्रतियोगिता से चयनित होंगे, उनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए किया जाएगा. जूडो खेल को जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए थी. प्रदेश में उतनी अभी तक नहीं मिली. अभी भी हिमाचल में मात्र तीन कोच हैं.

वीडियो.

रमेश चौहान ने कहा कि जूडो के 200 खिलाड़ियों को अभी तक सरकारी क्षेत्र में रोजगार मिल चुका है. उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर शिमला आए थे. जूडो संघ ने उनसे मुलाकात की थी. जूडो को हिमाचल में प्रमोट किया जाएगा. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आश्वासन दिया था और यहां पर एक ओलंपिक भवन का निर्माण भी किया जाएगा. साथ ही अन्य जो अच्छे खेल हैं, उन्हें भी बढ़ावा दिया जाएगा. इस तरह की प्रतियोगिता करवाने का मकसद बच्चों को नशे से दूर रखना है. रमेश चौहान ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता से बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत होते हैं.

बता दें कि जूडो खेल को डॉ. कानो जिगोरो की ओर से 1882 में जापान में इजाद किया गया था. एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है. इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना या ज्वाइंट लॉक करके यानि जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है.

हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जूडो का एक हिस्सा है, लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों में होता है, क्योंकि जूडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है.

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