शिमला: चुनावी साल में कर्मचारियों को खुश करने में सरकार जुट गई है. जयराम सरकार ने कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों के समाधान को लेकर वित्त सचिव अक्षय सूद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन (Jairam government formed a committee) किया है. कमेटी में कोषागार विभाग के अतिरिक्त निदेशक दीपक भारद्वाज, वित्त विभाग के राजेश शर्मा और राजेंद्र शर्मा को सदस्य बनाया गया है.
सरकार द्वारा गठित कमेटी के टर्म ऑफ रेफरेंस के अनुसार यदि जरूरी हुआ तो कमेटी कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत कर सकते हैं. कमेटी को निश्चित समय में रिपोर्ट देनी है. इसके बाद रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना को जाएगी और फिर मुख्यमंत्री से चर्चा होगी. अब यह संभावना है कि कुछ वित्तीय मांगों को मुख्यमंत्री बजट भाषण में भी हल कर सकते हैं. जिनमें पे-कमीशन एरियर को लेकर बजट में कोई घोषणा संभव है.
पे-कमीशन से संबंधित दो बड़े मामले सरकार के सामने लंबित हैं. उनमें दो साल के राइडर में फंसे कर्मचारियों को राहत देना और इनिशियल स्टार्ट का मुद्दा है, लेकिन अगर दो साल के राइडर वालों को राहत देते हैं, तो जो 2012 में छूट गई कैटेगरी हैं, वे भी यह लाभ मांगेंगी. वर्तमान में नियुक्ति या रेगुलर कर्मचारी भी फिर दो साल बाद हायर ग्रेड पे या पे बैंड की मांग करेंगे. इसलिए इस मसले पर वित्त विभाग और सरकार को सभी असर स्टडी करने के बाद ही फैसला लेना है.
चुनावी साल में कर्मचारियों को तोहफा: कर्मचारी लंबे वक्त से नए वेतनमान की मांग कर रहे थे, लेकिन 2022 की शुरुआत में सरकार की मेहरबानी को विशेषज्ञ सियासी मजबूरी बता रहे हैं. इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Election 2022) होने हैं ऐसे में सबको लुभाने की कोशिश है. सरकारी कर्मचारियों (government employees in himachal) का भी एक वोट बैंक हैं. इस फैसले का फायदा तो 2 लाख कर्मचारियों को होगा लेकिन असर 2 लाख परिवारों पर पड़ेगा.
हिमाचल पर करीब 65 हजार करोड़ का कर्ज: बता दें कि हिमाचल पर करीब 65 हजार करोड़ का कर्ज है. सरकारी कर्मचारी लंबे वक्त से नए वेतन आयोग को लागू करने की मांग उठा रहे थे. अब हिमाचल में करीब 2 लाख सरकारी कर्मचारियों को जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान मिलेगा. इस फैसले के बाद इन कर्मचारियों को जनवरी 2022 से बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा. नए वेतनमान के मुताबिक हर कर्मचारी के वेतन में औसतन करीब 16 हजार रुपये की वृद्धि होगी. 2016 से एरियर भी सरकार दे रही है, ऐसे में कर्मचारियों की जेब में पैसा तो जाएगा लेकिन सरकार के खजाने पर बोझ पढ़ेगा. जिससे भविष्य में अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए सरकार को और कर्ज (Debt burden on Himachal) लेना होगा.
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