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आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दिखाई कोरोना की प्रोटीन संरचना, वायरस के इलाज में होगी आसानी

आईआईटी मंडी की टीम ने विभिन्न परिस्थितियों में सार्स-कोवि-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता (कन्फॉर्मेशन) का प्रायोगिक अध्ययन किया है. टीम ने कोविड-19 वायरस के एक प्रमुख प्रोटीन की संरचना के एक हिस्से को दर्शाया है. इससे कोविड 19 वायरस की गतिविधि, संक्रमण, बीमारी की गंभीरता समझने व वायरस रोधी उपचार विकसित करने में शोधकर्ताओं को जल्द बड़ी कामयाबी मिल सकती है.

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Published : May 27, 2021, 8:57 PM IST

मंडी: आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. रजनीश गिरी के नेतृत्व में कोरोना वायरस के एक प्रमुख प्रोटीन की संरचना के एक हिस्से को दर्शाया है. इससे कोविड 19 वायरस की गतिविधि, संक्रमण, बीमारी की गंभीरता समझने व वायरस रोधी उपचार विकसित करने में शोधकर्ताओं को जल्द बड़ी कामयाबी मिल सकती है.

टीम के निष्कर्षों को 'करंट रिसर्च इन वायरोलॉजिकल साइंस’ नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. वर्तमान में कोरोना का उपचार केवल लक्षणों पर अधारित होता है. शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र संक्रमण से लड़ता है. आज तक किसी एंटीवायरल दवा होने की पुष्टि नहीं की गई है जो वायरस को दोबारा पनपने से रोके.

प्रोटीन संरचना पर काम कर रहे वैज्ञानिक

किसी भी वायरस का असर समाप्त करने का एक तरीका उसके प्रोटीन पर हमला करना है. यह कोविड-19 वायरस के लिए भी सही है. वायरस संबंधी बीमारी को समझने व वायरस की असरदार दवाओं के विकास के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इन प्रोटीन संरचना व कामों को स्पष्ट रूप से जानने के अध्ययन में लगे रहे हैं. अनुरूपता या आकार के दृष्टिकोण से कई प्रोटीन में सिलसिलेवार व आंतरिक रूप से गैर सिलसिलेवार क्षेत्र होते हैं. यह पारंपरिक अनुरूपता सार्स कोवि-2 वायरस के प्रोटीन में भी होती हैं. गैर संरचनात्मक प्रोटीन 1 (एनएसपी 1) की संरचना 180 अमीनो एसिड से होती है.

सार्स-कोवि-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता

आईआईटी मंडी की टीम ने विभिन्न परिस्थितियों में सार्स-कोवि-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता (कन्फॉर्मेशन) का प्रायोगिक अध्ययन किया है. यह एक कार्बनिक घोल, मेम्ब्रेन माइमेटिक वातावरण और लिपोसोम के अंदर किया गया है. इसमें सर्कुलर डाइक्रोइज्म स्पेक्ट्रोस्कोपी, फ्लोरोसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और आण्विक गतिशीलता सिमुलेशन जैसी विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग किया है. शोधकर्ताओं ने एनएसपी 1 के आईडीआर के कान्फर्मेशन में गतिशील परिवर्तन दर्शाये हैं जो इसके परिवेश के परिणास्वरूप होते हैं, जिसकी वजह प्रोटीन और परिवेश के बीच परस्पर हाइड्रोफोबिक और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रक्रियाएं हैं.
ये भी पढ़ें: हॉन्गकॉन्ग से मयंक ने भेजे 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, बिलासपुर डीसी ने जताया आभार

मंडी: आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. रजनीश गिरी के नेतृत्व में कोरोना वायरस के एक प्रमुख प्रोटीन की संरचना के एक हिस्से को दर्शाया है. इससे कोविड 19 वायरस की गतिविधि, संक्रमण, बीमारी की गंभीरता समझने व वायरस रोधी उपचार विकसित करने में शोधकर्ताओं को जल्द बड़ी कामयाबी मिल सकती है.

टीम के निष्कर्षों को 'करंट रिसर्च इन वायरोलॉजिकल साइंस’ नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. वर्तमान में कोरोना का उपचार केवल लक्षणों पर अधारित होता है. शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र संक्रमण से लड़ता है. आज तक किसी एंटीवायरल दवा होने की पुष्टि नहीं की गई है जो वायरस को दोबारा पनपने से रोके.

प्रोटीन संरचना पर काम कर रहे वैज्ञानिक

किसी भी वायरस का असर समाप्त करने का एक तरीका उसके प्रोटीन पर हमला करना है. यह कोविड-19 वायरस के लिए भी सही है. वायरस संबंधी बीमारी को समझने व वायरस की असरदार दवाओं के विकास के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इन प्रोटीन संरचना व कामों को स्पष्ट रूप से जानने के अध्ययन में लगे रहे हैं. अनुरूपता या आकार के दृष्टिकोण से कई प्रोटीन में सिलसिलेवार व आंतरिक रूप से गैर सिलसिलेवार क्षेत्र होते हैं. यह पारंपरिक अनुरूपता सार्स कोवि-2 वायरस के प्रोटीन में भी होती हैं. गैर संरचनात्मक प्रोटीन 1 (एनएसपी 1) की संरचना 180 अमीनो एसिड से होती है.

सार्स-कोवि-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता

आईआईटी मंडी की टीम ने विभिन्न परिस्थितियों में सार्स-कोवि-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता (कन्फॉर्मेशन) का प्रायोगिक अध्ययन किया है. यह एक कार्बनिक घोल, मेम्ब्रेन माइमेटिक वातावरण और लिपोसोम के अंदर किया गया है. इसमें सर्कुलर डाइक्रोइज्म स्पेक्ट्रोस्कोपी, फ्लोरोसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और आण्विक गतिशीलता सिमुलेशन जैसी विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग किया है. शोधकर्ताओं ने एनएसपी 1 के आईडीआर के कान्फर्मेशन में गतिशील परिवर्तन दर्शाये हैं जो इसके परिवेश के परिणास्वरूप होते हैं, जिसकी वजह प्रोटीन और परिवेश के बीच परस्पर हाइड्रोफोबिक और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रक्रियाएं हैं.
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