ETV Bharat / state

हिमाचल के इस जिले में महकेंगी अमरूद की बगिया, बदलेगी बागवानों की तकदीर...मजबूत होगी आर्थिकी - GUAVA CULTIVATION SIRMAUR

अमरूद की खेती को लेकर शिवा-प्रोजेक्ट नई क्रांति की ओर कदम बढ़ा रहा है. इसके लिए 2400 बीघा खेती की योजना तैयार की गई है.

सिरमौर में एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत होगी अमरूद की खेती
सिरमौर में एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत होगी अमरूद की खेती (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 3:03 PM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में जल्द अमरूद की बगिया महकेंगी. यहां 2400 बीघा जमीन पर अमरूद की खेती की योजना तैयार हो गई है. एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा. योजना के सिरे चढ़ने से न केवल जिला के किसानों की तकदीर बदलेगी, बल्कि उनकी आर्थिकी भी मजबूत हो पाएगी.

दरअसल, जिला में सब-ट्रॉपिकल फ्रूट में अमरूद की खेती को लेकर एचपी शिवा प्रोजेक्ट एक नई फ्रूट क्रांति की ओर कदम बढ़ाने जा रहा है. हिमाचल में जहां किन्नौर, शिमला और कुल्लू का सेब प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है तो वहीं आने वाले कुछ समय में सिरमौर भी बेहतर किस्म के अमरूद की खेती के लिए पहचाना जाएगा. जिले में श्वेता और हिसार सफेदा किस्मों के अमरूद के बगीचे लगाए जा रहे हैं. हाल ही में हिसार सफेदा की नई किस्म को इंट्रोड्यूज किया गया है. योजना के प्रथम चरण में 28 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं. अमरूद के बगीचों के लिए एडीबी बैंक की ओर से की जाने वाली फंडिंग से इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है.

शिवा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए अमरूद के बगीचे
शिवा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए अमरूद के बगीचे (ETV BHARAT)

जिले में बनाए गए 17 क्लस्टर

बागवानी विभाग ने इस योजना के लिए जिला में 17 क्लस्टर बनाए हैं, जिसमें फिलहाल नाहन और पांवटा साहिब के किसानों को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत नाहन के डूंगी सैर की 3.78 हेक्टेयर, जमटा महीपुर रोड़ क्षेत्र के जुड़ग में 5 हेक्टेयर, सिंबलवाड़ा में 8.10 हेक्टेयर, नाहन के बुडड़ियों में 4 और खैरी चांगण में 7 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं.

एमएसपी पर बगीचों से ही उठेगा प्रोड्यूसइस

योजना के तहत किसानों को अमरूद की मार्केटिंग के लिए भी धक्के नहीं खाने पड़ेंगे. सरकार की योजना के तहत बेनिफिशियरी की प्रोड्यूस को बगीचे से ही एमएसपी रेट पर उठाया जाएगा. यही नहीं ग्रेडिंग के बाद जो वेस्टेज होगी, इसे हिमकू की प्रोसेसिंग यूनिट में जूस के लिए भेजा जाएगा. इस यूनिट को सिरमौर के धौलाकुआं में बनाने का कार्य भी बड़े स्तर पर चला हुआ है.

27 हेक्टेयर पर बगीचे तैयार, अन्य भूमि पर तैयारी

उधर, बागवानी विभाग सिरमौर के विषय विशेषज्ञ राजीव टेगटा ने बताया कि, 'आने वाले मार्च-अप्रैल में सिरमौर में 32 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने की तैयारी कर दी गई है. जबकि, 28 हेक्टेयर जमीन पर बगीचे तैयार हो चुके हैं. इस योजना के तहत जिला सिरमौर में 200 हेक्टेयर यानी 2400 बीघा जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अमरूद की भारतीय बाजार में जबरदस्त डिमांड बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह ये है कि अमरूद में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. इसमें विटामिन ए और सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्व प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके साथ साथ आयरन और फोलिक एसिड एनीमिया से भी राहत दिलाते हैं. लिहाजा, स्वास्थ्य की दृष्टि से इस फल को श्रेष्ठ माना गया गया.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस जिले में होती है सिंदूर की खेती, मात्र 100 रुपए में मिल रहा ये प्राकृतिक सिंदूर

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में जल्द अमरूद की बगिया महकेंगी. यहां 2400 बीघा जमीन पर अमरूद की खेती की योजना तैयार हो गई है. एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा. योजना के सिरे चढ़ने से न केवल जिला के किसानों की तकदीर बदलेगी, बल्कि उनकी आर्थिकी भी मजबूत हो पाएगी.

दरअसल, जिला में सब-ट्रॉपिकल फ्रूट में अमरूद की खेती को लेकर एचपी शिवा प्रोजेक्ट एक नई फ्रूट क्रांति की ओर कदम बढ़ाने जा रहा है. हिमाचल में जहां किन्नौर, शिमला और कुल्लू का सेब प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है तो वहीं आने वाले कुछ समय में सिरमौर भी बेहतर किस्म के अमरूद की खेती के लिए पहचाना जाएगा. जिले में श्वेता और हिसार सफेदा किस्मों के अमरूद के बगीचे लगाए जा रहे हैं. हाल ही में हिसार सफेदा की नई किस्म को इंट्रोड्यूज किया गया है. योजना के प्रथम चरण में 28 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं. अमरूद के बगीचों के लिए एडीबी बैंक की ओर से की जाने वाली फंडिंग से इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है.

शिवा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए अमरूद के बगीचे
शिवा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए अमरूद के बगीचे (ETV BHARAT)

जिले में बनाए गए 17 क्लस्टर

बागवानी विभाग ने इस योजना के लिए जिला में 17 क्लस्टर बनाए हैं, जिसमें फिलहाल नाहन और पांवटा साहिब के किसानों को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत नाहन के डूंगी सैर की 3.78 हेक्टेयर, जमटा महीपुर रोड़ क्षेत्र के जुड़ग में 5 हेक्टेयर, सिंबलवाड़ा में 8.10 हेक्टेयर, नाहन के बुडड़ियों में 4 और खैरी चांगण में 7 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं.

एमएसपी पर बगीचों से ही उठेगा प्रोड्यूसइस

योजना के तहत किसानों को अमरूद की मार्केटिंग के लिए भी धक्के नहीं खाने पड़ेंगे. सरकार की योजना के तहत बेनिफिशियरी की प्रोड्यूस को बगीचे से ही एमएसपी रेट पर उठाया जाएगा. यही नहीं ग्रेडिंग के बाद जो वेस्टेज होगी, इसे हिमकू की प्रोसेसिंग यूनिट में जूस के लिए भेजा जाएगा. इस यूनिट को सिरमौर के धौलाकुआं में बनाने का कार्य भी बड़े स्तर पर चला हुआ है.

27 हेक्टेयर पर बगीचे तैयार, अन्य भूमि पर तैयारी

उधर, बागवानी विभाग सिरमौर के विषय विशेषज्ञ राजीव टेगटा ने बताया कि, 'आने वाले मार्च-अप्रैल में सिरमौर में 32 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने की तैयारी कर दी गई है. जबकि, 28 हेक्टेयर जमीन पर बगीचे तैयार हो चुके हैं. इस योजना के तहत जिला सिरमौर में 200 हेक्टेयर यानी 2400 बीघा जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अमरूद की भारतीय बाजार में जबरदस्त डिमांड बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह ये है कि अमरूद में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. इसमें विटामिन ए और सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्व प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके साथ साथ आयरन और फोलिक एसिड एनीमिया से भी राहत दिलाते हैं. लिहाजा, स्वास्थ्य की दृष्टि से इस फल को श्रेष्ठ माना गया गया.'

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस जिले में होती है सिंदूर की खेती, मात्र 100 रुपए में मिल रहा ये प्राकृतिक सिंदूर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.