शिमला: विधानसभा चुनाव लड़ने वालों को 7 जनवरी तक अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा देना जरूरी है. ऐसा न करने पर चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं अगर कोई चुना हुआ विधायक है और वह अपने खर्चे का ब्यौरा समय पर जमा नहीं करवाता तो उसकी विधायकी जा सकती है. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को 7 जनवरी से पूर्व चुनावी खर्चा का लेखा-जोखा जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा. (Himachal Pradesh Assembly Election)
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत चुनाव परिणामों की घोषणा के 30 दिन के भीतर प्रत्येक प्रत्याशी को अपना चुनावी खर्च का पूरा ब्यौरा जमा करना होता है. इसलिए चुनावी खर्च का लेखा-जोखा जमा करने की अंतिम तिथि 7 जनवरी है. चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के व्यय रजिस्टरों की पहले भी जांच की जा चुकी है. उम्मीदवारों द्वारा तैयार किए गए दैनिक खर्च रजिस्टर, कैश रजिस्टर और बैंक रजिस्टर का मिलान सहायक व्यय प्रेक्षकों के शैडो रजिस्टर के साथ किया जाता है. इसलिए सभी उम्मीदवारों को अपने खर्च का पूरा और सही लेखा-जोखा देना जरूरी है.
40 लाख खर्च की अधिकतम सीमा: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपए है. परिणाम की घोषणा के बाद जिला निवार्चन अधिकारियों द्वारा बैठक कर उम्मीदवार के व्यय रजिस्टर का मिलान शैडो रजिस्टर के साथ किया जाता है. जिला निवार्चन अधिकारियों द्वारा इसके लिए बैठकें भी की गईं जिसमें उम्मीदवारों अपने रजिस्टर की त्रुटियों को दूर करने का मौका दिया गया.
मुख्य निवार्चन अधिकारी मनीष गर्ग ने कहा है कि चुनावों के परिणाम आने के 30 दिनों के भीतर सभी प्रत्याशियों को अपने चुनावी खर्च का पूरा ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है. व्यय का पूरा ब्यौरा न देने पर या सही ढंग से ब्यौरा न देने पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत भारत निर्वाचन आयोग उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कर सकता है. उन्होंने सभी उम्मीदवारों से अपील की है कि वे तय समय सीमा के भीतर अपने चुनाव व्यय का हिसाब जरूर दें.
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