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बीमा राशि अदा करने को मांगी थी 12 लाख की रिश्वत, हाई कोर्ट ने दो लाख के निजी मुचलके पर दी जमानत

हिमाचल हाई कोर्ट ने रिश्वत मांगने वाले इंश्योरेंस सर्वेक्षक को सशर्त जमानत दे दी है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने बीमा कंपनी के इंश्योरेंस सर्वेक्षक को दो लाख रुपए के निजी मुचलके पर ये जमानत दे दी.

हिमाचल हाई कोर्ट
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Published : Feb 3, 2023, 10:24 PM IST

शिमला: एक बीमा कंपनी के इंश्योरेंस सर्वेक्षक ने बीमा राशि जारी करने की एवज में 12 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी. शिकायत के बाद मामला सीबीआई जांच तक पहुंचा. आरोपी के खिलाफ अभी अदालत में आरोप पत्र दाखिल करना बाकी है. इस बीच, आरोपी जमानत के लिए हिमाचल हाई कोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने बीमा कंपनी के इंश्योरेंस सर्वेक्षक को दो लाख रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी. हाई कोर्ट ने केस में ये पाया है कि सीबीआई ने इस मामले में जांच लगभग पूरी कर ली है. आरोपी के खिलाफ सक्षम अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना अभी बाकी है. हाई कोर्ट के अनुसार सीबीआई के अभियोग का निपटारा करने में ट्रायल कोर्ट को अधिक समय लग सकता है. अभियोग का निपटारा होने तक आरोपी को हिरासत में रखना उचित नहीं है. ऐसे में हाई कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत दे दी.

मामले के अनुसार सोलन जिला के औद्योगिक नगर परवाणू के एक व्यापारी की शिकायत पर सीबीआई ने एनएस सिद्धू और जेके मित्तल के खिलाफ शिमला में प्राथमिकी दर्ज की थी. केतन कुमार नामक व्यक्ति न सीबीआई को शिकायत दी थी कि एक बीमा कम्पनी के सर्वेक्षक एनएस सिद्धू उससे 44 लाख रुपए बीमा की राशि को अदा करने के लिए 12 लाख रुपए की घूस मांग रहा है.

सीबीआई को बताया गया कि शिकायतकर्ता केतन कुमार की परवाणू में एक वाहन फैक्टरी थी. वर्ष 2010 में अचानक से फैक्टरी में आग लग गई. आग लगने से वहां करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया. शिकायतकर्ता ने फैक्टरी का बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी चंडीगढ़ से करवाया था. नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम दिल्ली ने शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपये की राशि 9 फीसदी ब्याज के साथ अदा करने के आदेश दिए थे. इंश्योरेंस सर्वेक्षक ने बीमा की राशि अदा करने के लिए 12 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी. सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है और अब सक्षम अदालत में ट्रायल शुरू होगा. फिलहाल, आरोपी को हिमाचल हाई कोर्ट से राहत मिल गई है.

ये भी पढ़ें: नादौन ही नहीं इन जगहों की पेयजल योजनाओं का पानी भी दूषित, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा

शिमला: एक बीमा कंपनी के इंश्योरेंस सर्वेक्षक ने बीमा राशि जारी करने की एवज में 12 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी. शिकायत के बाद मामला सीबीआई जांच तक पहुंचा. आरोपी के खिलाफ अभी अदालत में आरोप पत्र दाखिल करना बाकी है. इस बीच, आरोपी जमानत के लिए हिमाचल हाई कोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने बीमा कंपनी के इंश्योरेंस सर्वेक्षक को दो लाख रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी. हाई कोर्ट ने केस में ये पाया है कि सीबीआई ने इस मामले में जांच लगभग पूरी कर ली है. आरोपी के खिलाफ सक्षम अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना अभी बाकी है. हाई कोर्ट के अनुसार सीबीआई के अभियोग का निपटारा करने में ट्रायल कोर्ट को अधिक समय लग सकता है. अभियोग का निपटारा होने तक आरोपी को हिरासत में रखना उचित नहीं है. ऐसे में हाई कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत दे दी.

मामले के अनुसार सोलन जिला के औद्योगिक नगर परवाणू के एक व्यापारी की शिकायत पर सीबीआई ने एनएस सिद्धू और जेके मित्तल के खिलाफ शिमला में प्राथमिकी दर्ज की थी. केतन कुमार नामक व्यक्ति न सीबीआई को शिकायत दी थी कि एक बीमा कम्पनी के सर्वेक्षक एनएस सिद्धू उससे 44 लाख रुपए बीमा की राशि को अदा करने के लिए 12 लाख रुपए की घूस मांग रहा है.

सीबीआई को बताया गया कि शिकायतकर्ता केतन कुमार की परवाणू में एक वाहन फैक्टरी थी. वर्ष 2010 में अचानक से फैक्टरी में आग लग गई. आग लगने से वहां करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया. शिकायतकर्ता ने फैक्टरी का बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी चंडीगढ़ से करवाया था. नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम दिल्ली ने शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपये की राशि 9 फीसदी ब्याज के साथ अदा करने के आदेश दिए थे. इंश्योरेंस सर्वेक्षक ने बीमा की राशि अदा करने के लिए 12 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी. सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है और अब सक्षम अदालत में ट्रायल शुरू होगा. फिलहाल, आरोपी को हिमाचल हाई कोर्ट से राहत मिल गई है.

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