शिमला: दिल्ली में आयोजित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद् की बैठक में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. इस अवसर पर बिक्रम सिंह ने कहा कि कोविड-19 के कारण राजस्व की स्थिति पर प्रभाव पड़ा है, जिससे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति राशि की आवश्यकता और बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के उपरांत प्रदेश की विवरण दाखिल करने की अनुपालना राष्ट्रीय औसत से सदैव अधिक रही है. उन्होंने कहा कि यह राज्य की बेहतर वस्तु एवं सेवा कर की प्रभावी कार्यान्वयन के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.
उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्यों को जून 2022 तक क्षतिपूर्ति कंपनसेशन सेस के अतंर्गत एकत्रित राशि द्वारा होनी है. वर्तमान परिस्थितियों में न सेस की दर को बढ़ाया जाना उचित है और न ही अन्य वस्तुओं पर सेस लगाया जाना ही उचित है. इस परिस्थिति में राज्य ऋण तभी ले सकता है, जब प्रदेश पर ब्याज का बोझ न आये और उनकी ऋण लेने की क्षमता प्रभावित न हो. उन्होंने हिमाचल प्रदेश में वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित विभिन्न विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की.
बैठक के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि कोविड19 के कारण इस साल जीएसटी कलेक्शन को काफी नुकसान हुआ है. जीएसटी मुआवजा कानून के मुताबिक, राज्यों को क्षतिपूर्ति दिए जाने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार जीएसटी मुआवजे के तौर पर राज्यों को वित्त वर्ष 2019-20 में 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी कर चुकी है. इसमें मार्च के लिए 13806 करोड़ रुपये का मुआवजा शामिल है. गुजरे वित्त वर्ष में सेस से आई धनराशि 95444 करोड़ रुपये रही.