ETV Bharat / state

HP High Court: संशोधित लीव इनकैशमेंट अदा न करने पर हाई कोर्ट ने सरकार पर लगाई 25 हजार की कॉस्ट - Revised leave encashment in Himachal

संशोधित लीव इनकैशमेंट अदा न करने से जुड़े मामले में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal high court) ने राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है. हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि वह छुट्टियों का बकाया संशोधित वेतन प्रार्थी अमिता गुप्ता को 4 सप्ताह के भीतर अदा करें. पढ़ें पूरी खबर...

HP High Court
HP High Court
author img

By

Published : Dec 1, 2022, 10:18 PM IST

शिमला: संशोधित लीव इनकैशमेंट अदा न करने से जुड़े मामले में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal high court) ने राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है. मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह छुट्टियों का बकाया संशोधित वेतन प्रार्थी अमिता गुप्ता को 4 सप्ताह के भीतर अदा करें. अन्यथा राज्य सरकार को बकाया लीव इनकैशमेंट की राशि पर 5 फीसदी ब्याज के साथ अदा करनी होगी.

प्रार्थी 30 सितंबर 2020 को सीनियर आर्किटेक्ट के पद से सेवानिवृत्त हो गईं थी. प्रार्थी को हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा 15 दिसंबर 2020 को जारी अधिसूचना के मुताबिक वेतनमान में संशोधन के चलते 1 जनवरी 2013 से काल्पनिक और 14 नवंबर 2014 से वास्तविक लाभ दे दिया गया था. प्रार्थी के वेतनमान के संशोधन के कारण प्रार्थी के संशोधित 300 दिनों की छुट्टियों के वेतन के लिए जब स्वीकृति मांगी गई तो राज्य कोषागार की आपत्ति के चलते संशोधित लीव इनकैशमेंट देने के लिए मना कर दिया.

राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि सीसीएस लीव रूल्स 1972 के नियम 39(2) (बी)के मुताबिक लीव इनकैशमेंट एक ही बार दिए जाने का प्रावधान है और इस बाबत वित्त विभाग ने 13 अगस्त 2013 को ज्ञापन भी जारी कर रखा है. खण्डपीठ ने कहा कि इस नियम की इस तरह से व्याख्या करना कानूनी तौर पर गलत है. अगर पिछली तारीख से संशोधित वेतन दिया जा सकता है तो उस स्थिति में संशोधित लीव इनकैशमेंट भी अदा करना होगा. जो वेतन प्रार्थी का उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख को संशोधन होकर बनता है. उस वेतन पर प्रार्थी कानूनी तौर पर संशोधित लीव इनकैशमेंट लेने का भी हक रखता है.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश महाधिवक्ता को यह आदेश जारी किए कि वह इस निर्णय को राज्य वित्त विभाग के ध्यान में लाए और संबंधित विभागों को भेजें ताकि बेवजह की मुकदमेबाजी से बचा जा सके. गौरतलब है कि सैकड़ों कर्मचारियों को उपरोक्त नियम की गलत व्याख्या के चलते संशोधित लीव इनकैशमेंट से वंचित होना पड़ रहा है.

ये भी पढे़ं: ममलीग नहीं सायरी में ही खोला जाए कॉलेज, हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर शिक्षा सचिव को नोटिस

शिमला: संशोधित लीव इनकैशमेंट अदा न करने से जुड़े मामले में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal high court) ने राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है. मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह छुट्टियों का बकाया संशोधित वेतन प्रार्थी अमिता गुप्ता को 4 सप्ताह के भीतर अदा करें. अन्यथा राज्य सरकार को बकाया लीव इनकैशमेंट की राशि पर 5 फीसदी ब्याज के साथ अदा करनी होगी.

प्रार्थी 30 सितंबर 2020 को सीनियर आर्किटेक्ट के पद से सेवानिवृत्त हो गईं थी. प्रार्थी को हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा 15 दिसंबर 2020 को जारी अधिसूचना के मुताबिक वेतनमान में संशोधन के चलते 1 जनवरी 2013 से काल्पनिक और 14 नवंबर 2014 से वास्तविक लाभ दे दिया गया था. प्रार्थी के वेतनमान के संशोधन के कारण प्रार्थी के संशोधित 300 दिनों की छुट्टियों के वेतन के लिए जब स्वीकृति मांगी गई तो राज्य कोषागार की आपत्ति के चलते संशोधित लीव इनकैशमेंट देने के लिए मना कर दिया.

राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि सीसीएस लीव रूल्स 1972 के नियम 39(2) (बी)के मुताबिक लीव इनकैशमेंट एक ही बार दिए जाने का प्रावधान है और इस बाबत वित्त विभाग ने 13 अगस्त 2013 को ज्ञापन भी जारी कर रखा है. खण्डपीठ ने कहा कि इस नियम की इस तरह से व्याख्या करना कानूनी तौर पर गलत है. अगर पिछली तारीख से संशोधित वेतन दिया जा सकता है तो उस स्थिति में संशोधित लीव इनकैशमेंट भी अदा करना होगा. जो वेतन प्रार्थी का उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख को संशोधन होकर बनता है. उस वेतन पर प्रार्थी कानूनी तौर पर संशोधित लीव इनकैशमेंट लेने का भी हक रखता है.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश महाधिवक्ता को यह आदेश जारी किए कि वह इस निर्णय को राज्य वित्त विभाग के ध्यान में लाए और संबंधित विभागों को भेजें ताकि बेवजह की मुकदमेबाजी से बचा जा सके. गौरतलब है कि सैकड़ों कर्मचारियों को उपरोक्त नियम की गलत व्याख्या के चलते संशोधित लीव इनकैशमेंट से वंचित होना पड़ रहा है.

ये भी पढे़ं: ममलीग नहीं सायरी में ही खोला जाए कॉलेज, हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर शिक्षा सचिव को नोटिस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.