रामपुर: माता हाटकोटी के मुख्य द्वार पर एक तांबे का घड़ा विराजमान हैं. इस घड़े को भीम का घड़ा भी कहा जाता है. मान्यता है कि यह घड़ा प्राचीन काल के समय का है. इसका उदगम पबबर नदी से हुआ है. कहा जाता है कि नदी से दो घड़े उदगम हुए थे. एक घड़े में खजाना था और एक खाली था जिसे वहां मौजूद लोगों ने पकड़ लिया, लेकिन खजाने वाला घड़ा पकड़ने में वे नाकाम हो गए और खाली घड़े को माता के मंदिर में रख लिया.
लोगों का कहना है कि जब-जब पबबर नदी में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती थी तो यह घड़ा भी नदी की ओर जाने की कोशिश करता है. इसे देखते हुए इस घड़े को लोहे की शंगड़ से बांधा गया है और यह शंगड़ माता की उंगली से लिपटी हुई है.
मान्यता है जब श्रवण मास में पबबर नदी उफान पर होती है तो यह घड़ा लोहे की शंगड़ से मुक्ति पाने के लिए छटपटाहट करता है और जोर से सीटियों को मारने वाला जैसे वातावरण बना देता है. जिससे यह भी साफ हो जाता था कि घड़ा जलवेग में बह जाने के लिए तत्पर है.