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हिमाचल को गहरे जख्म देती है बरसात, चार साल पहले कोटरोपी हादसे में गई थी 47 की जान

हिमाचल प्रदेश को हर साल बरसात में गहरे जख्म मिलते हैं. अगस्त 2017 में मंडी के कोटरोपी में पहाड़ी से भूस्खलन के कारण दुखद हादसा हुआ, जिसमें 47 लोगों की मौत हो गई थी. देवभूमि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में हर साल एक हजार करोड़ से डेढ़ हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है. इसके अलावा कई लोगों की मौत होती है. मवेशियों की भी जान जाती है.

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Published : Jul 13, 2021, 10:19 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 10:30 PM IST

Himachal Pradesh News, हिमाचल प्रदेश न्यूज
फोटो.

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को हर साल बरसात में गहरे जख्म मिलते हैं. आपदा प्रबंधन के तमाम दावों के बावजूद हर दफा बरसात में जान और माल का भारी नुकसान होता है. अगस्त 2017 में मंडी के कोटरोपी में पहाड़ी से भूस्खलन के कारण दुखद हादसा हुआ, जिसमें 47 लोगों की मौत हो गई थी. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में हर साल एक हजार करोड़ से डेढ़ हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है. इसके अलावा कई लोगों की मौत होती है. मवेशियों की भी जान जाती है.

वर्ष 2018 में हिमाचल को 1600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. सरकारी संपत्ति में सड़कें, पुल, बिजली के खंभे, सरकारी भवनों को भी व्यापक क्षति पहुंचती है. इसी तरह वर्ष 2017 में 289 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही, 634 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई थी. तब अकेले 400 करोड़ रुपये का नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ था.

वर्ष 2016 में 570 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान के साथ 24 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2015 में 628 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 68 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2014 में 600 करोड़ का नुकसान हुआ था. उस साल 630 मवेशी भी भूस्खलन में दबने से मौत का शिकार हुए थे.

वर्ष 2013-14 में प्रदेश में 29 लोग बरसात, बाढ़ व भूस्खलन के कारण मौत के मुंह में समा गए थे. इस अवधि में 3246 मकान ध्वस्त हुए और 23 हजार से अधिक पशु भी मौत का ग्रास बने. इसी तरह वर्ष 2014-15 के दौरान 62 लोग आपदा में अपनी जान गवां बैठे.

कुल 1466 मकान गिरे और 862 पशुओं की मौत हुई. वर्ष 2015-16 में जनवरी तक का आंकड़ा सबसे भयावह रहा. तब बादल फटने व भूस्खलन से 133 लोगों की मौत हुई. 2042 मकान और 1364 पशुशालाएं ध्वस्त हो गई तथा 686 पशु भी मारे गए.

अगस्त महीना हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) पर हमेशा भारी रहता है. अगस्त महीने में भारी बरसात के कारण भूस्खलन और बादल फटने से भयावह नुकसान होता है. चौबीस साल पहले अगस्त के ही महीने में एक बड़ा हादसा हुआ था.

वर्ष 1997 में अगस्त महीने में ही चिड़गांव में बादल फटने से आई बाढ़ के कारण 115 अनमोल जीवन असमय काल के ग्रास बन गए थे. बीस साल बाद यानी 2017 में मंडी में कोटरोपी हादसा हुआ था. उसमें 47 लोग मारे गए थे और एक ही दिन में उस हादसे को मिलाकर मंडी में ही 50 अनमोल जानें गईं.

हिमाचल में 1990 से 2001 के बीच बादल फटने की तीस से अधिक घटनाएं हुईं. बादल फटने की सबसे भयावह घटना साल 1997 में अगस्त माह में चिड़गांव की थी, जिसमें 115 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था.

इस हादसे में दो हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. इसी तरह से बादल फटने की दूसरी बड़ी घटना कुल्लू जिला के गड़सा में साल 2003 में हुई थी. उस कुदरती कहर में 40 लोगों की जान चली गई थी. इससे पहले कुल्लू जिला के ही शाट नाला व फोजल नाला में भी बादल फटने से आई बाढ़ से भारी नुकसान हुआ. वर्ष 2007 में बादल फटने की घटना में रामपुर के गानवी में 52 लोगों की मौत हुई. वर्ष 2009 में निरमंड और 2010 में कुल्लू में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ.

इस साल बरसात में पहली ही मूसलाधार बारिश ने धर्मशाला में कहर बरपाया है. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो चुका है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कुल्लू, शिमला, चंबा, मंडी, किन्नौर में बरसात से सबसे अधिक नुकसान होता है. वर्ष 2017 में अगस्त महीने में मंडी के कोटरोपी में हुए हादसे के जख्म हिमाचल कभी नहीं भूल सकता. उस हादसे में 47 लोगों की मौत हुई थी. पहाड़ी धंसने से ये हादसा पेश आया था.

इसी तरह वर्ष 2005 में पारछू झील टूटने से किन्नौर से लेकर शिमला तक भयावह नुकसान हुआ था. अभी धर्मशाला में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. पूरे प्रदेश में सौ से अधिक सड़कें भारी बारिश के कारण बंद हैं. अभी बरसात अपने यौवन पर नहीं आई है.

आने वाले समय में यदि बारिश का सिलसिला ऐसे ही जारी रहता है तो नुकसान और अधिक होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) ने कहा कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन ढांचे को सक्रिय किया है. केंद्र ने भी एनडीआरएफ की टीम भेजी है.

ये भी पढ़ें- जब वीरभद्र सिंह ने मरीजों को एयरलिफ्ट करने के लिए दिया सरकारी हेलीकॉप्टर, खुद रुके किन्नौर में

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को हर साल बरसात में गहरे जख्म मिलते हैं. आपदा प्रबंधन के तमाम दावों के बावजूद हर दफा बरसात में जान और माल का भारी नुकसान होता है. अगस्त 2017 में मंडी के कोटरोपी में पहाड़ी से भूस्खलन के कारण दुखद हादसा हुआ, जिसमें 47 लोगों की मौत हो गई थी. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में हर साल एक हजार करोड़ से डेढ़ हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है. इसके अलावा कई लोगों की मौत होती है. मवेशियों की भी जान जाती है.

वर्ष 2018 में हिमाचल को 1600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. सरकारी संपत्ति में सड़कें, पुल, बिजली के खंभे, सरकारी भवनों को भी व्यापक क्षति पहुंचती है. इसी तरह वर्ष 2017 में 289 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही, 634 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई थी. तब अकेले 400 करोड़ रुपये का नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ था.

वर्ष 2016 में 570 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान के साथ 24 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2015 में 628 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 68 लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2014 में 600 करोड़ का नुकसान हुआ था. उस साल 630 मवेशी भी भूस्खलन में दबने से मौत का शिकार हुए थे.

वर्ष 2013-14 में प्रदेश में 29 लोग बरसात, बाढ़ व भूस्खलन के कारण मौत के मुंह में समा गए थे. इस अवधि में 3246 मकान ध्वस्त हुए और 23 हजार से अधिक पशु भी मौत का ग्रास बने. इसी तरह वर्ष 2014-15 के दौरान 62 लोग आपदा में अपनी जान गवां बैठे.

कुल 1466 मकान गिरे और 862 पशुओं की मौत हुई. वर्ष 2015-16 में जनवरी तक का आंकड़ा सबसे भयावह रहा. तब बादल फटने व भूस्खलन से 133 लोगों की मौत हुई. 2042 मकान और 1364 पशुशालाएं ध्वस्त हो गई तथा 686 पशु भी मारे गए.

अगस्त महीना हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) पर हमेशा भारी रहता है. अगस्त महीने में भारी बरसात के कारण भूस्खलन और बादल फटने से भयावह नुकसान होता है. चौबीस साल पहले अगस्त के ही महीने में एक बड़ा हादसा हुआ था.

वर्ष 1997 में अगस्त महीने में ही चिड़गांव में बादल फटने से आई बाढ़ के कारण 115 अनमोल जीवन असमय काल के ग्रास बन गए थे. बीस साल बाद यानी 2017 में मंडी में कोटरोपी हादसा हुआ था. उसमें 47 लोग मारे गए थे और एक ही दिन में उस हादसे को मिलाकर मंडी में ही 50 अनमोल जानें गईं.

हिमाचल में 1990 से 2001 के बीच बादल फटने की तीस से अधिक घटनाएं हुईं. बादल फटने की सबसे भयावह घटना साल 1997 में अगस्त माह में चिड़गांव की थी, जिसमें 115 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था.

इस हादसे में दो हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. इसी तरह से बादल फटने की दूसरी बड़ी घटना कुल्लू जिला के गड़सा में साल 2003 में हुई थी. उस कुदरती कहर में 40 लोगों की जान चली गई थी. इससे पहले कुल्लू जिला के ही शाट नाला व फोजल नाला में भी बादल फटने से आई बाढ़ से भारी नुकसान हुआ. वर्ष 2007 में बादल फटने की घटना में रामपुर के गानवी में 52 लोगों की मौत हुई. वर्ष 2009 में निरमंड और 2010 में कुल्लू में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ.

इस साल बरसात में पहली ही मूसलाधार बारिश ने धर्मशाला में कहर बरपाया है. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो चुका है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कुल्लू, शिमला, चंबा, मंडी, किन्नौर में बरसात से सबसे अधिक नुकसान होता है. वर्ष 2017 में अगस्त महीने में मंडी के कोटरोपी में हुए हादसे के जख्म हिमाचल कभी नहीं भूल सकता. उस हादसे में 47 लोगों की मौत हुई थी. पहाड़ी धंसने से ये हादसा पेश आया था.

इसी तरह वर्ष 2005 में पारछू झील टूटने से किन्नौर से लेकर शिमला तक भयावह नुकसान हुआ था. अभी धर्मशाला में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. पूरे प्रदेश में सौ से अधिक सड़कें भारी बारिश के कारण बंद हैं. अभी बरसात अपने यौवन पर नहीं आई है.

आने वाले समय में यदि बारिश का सिलसिला ऐसे ही जारी रहता है तो नुकसान और अधिक होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) ने कहा कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन ढांचे को सक्रिय किया है. केंद्र ने भी एनडीआरएफ की टीम भेजी है.

ये भी पढ़ें- जब वीरभद्र सिंह ने मरीजों को एयरलिफ्ट करने के लिए दिया सरकारी हेलीकॉप्टर, खुद रुके किन्नौर में

Last Updated : Jul 13, 2021, 10:30 PM IST
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