शिमलाः हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर यूनियन ने प्रदेश में बसें नहीं चलाने का फैसला लिया है. प्रदेश सरकार की 40 करोड़ की राहत के बावजूद भी निजी बस संचालकों ने बस चलाने से इनकार कर दिया है.
हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर यूनियन की वर्चुअल बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता निजी बस ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष राजेश पराशर ने की. वर्चुअल बैठक में सभी जिला स्तर की यूनियन से यह बात सामने आई कि निजी बस ऑपरेटर सरकार की ओर से मिली इस राहत से संतुष्ट नहीं हैं. ऐसे में हड़ताल को जारी रखा जाएगा.
निजी बस संचालक असंतुष्ट
निजी बस ऑपरेटर यूनियन के महासचिव रमेश कमल ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की ओर से मिली राहत से भी संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यह राहत अधूरी है. रमेश कमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उन्हें बेवकूफ बनाने का काम किया है. प्रदेश सरकार की ओर से दी गई राहत से वह संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जब तक उनकी सारी मांगे नहीं मानेगी, तब तक प्रदेश भर में निजी बस संचालन नहीं होगा.
सरकार कर रह अपना नुकसान
यूनियन के महासचिव रमेश कमल ने कहा कि प्रदेश सरकार उनकी मांगें न मानकर रोजाना अपना करोड़ों रुपए का नुकसान कर रही है. उन्होंने कहा कि स्पेशल टैक्स और टोकन टैक्स के अलावा भी निजी बस संचालक प्रदेश सरकार को अप्रत्यक्ष टैक्स के माध्यम से अरबों रुपए का टैक्स चुकती है. ऐसे में प्रदेश सरकार को यह तय करना है कि सरकार करोड़ों रुपए का टैक्स माफ करना चाहती है या अरबों का नुकसान वहन करना चाहती है.
लोगों को होगी समस्या
प्रदेश भर में करीब 3100 निजी बस चलती हैं. इन बसों के चलने से हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम का बोझ भी कम होता है. प्रदेश भर में कल से हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने 1 हजार से अधिक रूट पर बस चलाने का फैसला लिया है. अब निजी बस संचालन न होने की वजह से निगम को भी रूट में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है.
3 मई से हड़ताल पर हैं निजी बस संचालक
हिमाचल प्रदेश की निजी बस ऑपरेटर यूनियन ने 3 मई से हड़ताल का ऐलान किया था. इसके कुछ दिन बाद प्रदेश भर में बस सेवाओं को बंद करने का फैसला लिया गया. मंत्रिमंडल की बैठक में 14 जून से बस चलाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन निजी बस संचालकों ने बस चलाने से इनकार कर दिया है.
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